Vikrant Shekhawat : Aug 31, 2024, 05:00 PM
J&K Election 2024: एनडीए की प्रमुख सहयोगी जेडीयू ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में पत्थरबाजों को लेकर नरम रुख अपनाया है, जबकि बीजेपी का रुख इस मुद्दे पर कठोर है। जेडीयू ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से पत्थरबाजों और राजनीतिक कैदियों की रिहाई की अपील की है, दावा किया है कि 840 पत्थरबाज जेलों में बंद हैं। पार्टी ने पिछली सरकारों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने युवाओं को फर्जी मामलों में गिरफ्तार किया। जेडीयू की इस नरम नीति से एनडीए के भीतर मतभेद स्पष्ट हो गए हैं, खासकर जब बीजेपी ने पत्थरबाजों को सरकारी नौकरियों से वंचित रखने की बात कही है। 18 और 25 सितंबर को होने वाले मतदान के लिए जेडीयू ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी की हैजेडीयू ने अपने घोषणापत्र में ये दावा किया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को सैकड़ों पत्थरबाज़ों के मामलों की समीक्षा करने और जेलों से उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए पत्र लिखा है. जानकारी के मुताबिक जेडीयू के घोषणापत्र में लिखा है- मामलों की समीक्षा करें और शांति और सुलह को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक कैदियों और पत्थरबाजों की रिहाई की सुविधा प्रदान करें.840 पत्थरबाज जेलों में बंद हैंजेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष जीएम शाहीन ने कहा है- हमें जानकारी मिली है कि घाटी के कई हिस्सों के 840 पत्थरबाज जेलों में बंद हैं. उन पर तब मामला दर्ज किया गया था जब नेशनल कॉन्फ्रेंस या पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सत्ता में थी.उन्होंने कहा कि हमने अपने लोगों की रिहाई का वादा किया है और पार्टी केंद्र के साथ इस पर सक्रिय रूप से काम कर रही है. हमने राजनीतिक कैदियों के लिए भी सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है.जेडीयू का पिछली सरकारों पर निशानाजेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष का आरोप है कि पिछली सरकारें इस सांठगांठ में शामिल थीं और पैसे के लिए युवाओं को गिरफ्तार कर रही थीं. और यही वजह है कि उन सबकी रिहाई के गृह मंत्रालय से मामलों की समीक्षा की मांग करनी पड़ी.गौरतलब है कि जेडीयू ने 18 सितंबर को होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए दो उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. पार्टी का दावा है कि कई उम्मीदवार जो सिस्टम से नाराज थे, वे अब चुनाव के दूसरे चरण में भाग ले रहे हैं. 25 सितंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा.पत्थरबाजों पर बीजेपी से अलग रुखजाहिर है जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों को लेकर एनडीए में दो अलग-अलग सुर दिखाई दे रहे हैं. बीजेपी का स्पष्ट रुख है कि घाटी में आतंकवादियों के परिवार और पत्थरबाजों को सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी लेकिन जेडीयू ने अपने घोषणापत्र में पत्थरबाजों पर नरम रुख अपना कर बड़ा दांव खेल दिया है.