Vikrant Shekhawat : Jun 27, 2021, 06:42 AM
Delhi: मां बनना हर महिला के लिए सबसे सुखद पल होता है लेकिन कई बार शरीर में दिक्कतों की वजह से कई महिलाएं मां नहीं बन पातीं। ऐसे में मातृत्व का सुख लेने के लिए ऐसी महिलाएं सरोगेसी का सहारा लेती हैं। भारत में इस पर पाबंदी है यही वजह है कि माता-पिता बनने की ख्वाहिश रखने वाले ऐसे जोड़े कई देशों से यूक्रेन का रुख करते हैं जहां बच्चों की फैक्ट्री चलाई जाती है। इसका मतलब ये हुआ कि य्रूकेन में सरोगेसी को कानूनी मान्यता मिली हुई जिससे हर साल हजारों जोड़े संतान प्राप्त करते हैं।
रूस से सटा हुआ यूक्रेन वैसे तो अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है लेकिन अब वो सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा करने की फैक्ट्रियां चलाने के लिए धीरे-धीरे पूरी दुनिया में चर्चित हो चुका है। हालांकि इस खूबसूरत देश की बदसूरत सच्चाई ये है कि वहां सरोगेट मदर को किसी जानवर की तरह रखा और काम लिया जाता है।डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन में कोई भी जोड़ा जो खुद से संतान पैदान करने के काबिल नहीं है वो 40 से 42 लाख रुपये खर्च कर बच्चे का सौदा कर सकता है और कुछ ही महीनों में अपने बच्चों को लेकर वहां से जा सकता है। इस पूरे काम को वहां इतने पेशेवर ढंग से अंजाम दिया जाता है कि इसकी सेवा लेने वाले को पता ही नहीं चलता कि जिस महिला के जरिए उन्हें संतान सुख प्राप्त हुआ उन्होंने किन परिस्थितियों में उनके बच्चे को पैदा किया है।पैसे देकर सरोगेट मदर की सेवा लेने वाले जोड़े कभी ये नहीं सोचते हैं कि जो बच्चा उनकी गोद में है उसे पैदा करने वाली महिला ने 9 महीने में कितना संघर्ष किया होगा। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक इस बात का खुलासा तब हुआ जब सरोगेसी के जरिए माता-पिता बनने वाले बियांका और विनी स्मिथ ने इस बच्चा फैक्ट्री की सच्चाई जानी। बियांका ने कहा, 'हमारे लिए यह पता लगाना बहुत मुश्किल है कि भाषा की बाधा के कारण सरोगेट्स के साथ कैसा व्यवहार किया गया 'लेकिन हर कोई जानता है कि इस माध्यम से कौन खुश नहीं है।' बियांका और स्मिथ उस वक्त हैरान रह गए जब उन्हें सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा करने वाली एक महिला ने सच्चाई बतायी। इस जोड़े को सरोगेसी के जरिए दो जुड़वां बेटे हुए थे। सरोगेसी के लिए काम करने वाली एक महिला ने बताया कि डिलीवरी से पहले उन्हें बेहद खराब परिस्थितियों में जानवरों की तरह रखा जाता है।इन्हें गंदगी भरे जगहों पर रहना होता है और शौच के लिए भी गंदे पानी का सहारा लेना पड़ता है। वो इसकी शिकायत परिवार पर बदले की कार्रवाई के डर से नहीं कर पाती हैं। महिला ने बियांका और विनी स्मिथ को बताया कि उन्हें गर्मी में रहने के लिए छोड़ दिया जाता और एसी तक की सुविधा नहीं दी जाती है। इस काम के लिए भले उन्हें साल में 10 लाख की रकम दी जाती है लेकिन सुविधा के नाम पर बस सरोगेसी के जरिए संतान चाहने वाले माता-पिता से झूठ बोला जाता है। महिला के मुताबिक यूक्रेन में इसे अन्य धंधे की तरह ही बड़े पैमाने पर चलाया जाता है और कंपनियां इसका प्रमोशन और ईवेंट भी कराती है जहां सरोगेस की जरिए पैदा होने वाले बच्चों को बुलाकर इसके लिए प्रचार प्रसार किया जाता है लेकिन पर्दे के पीछे की काली सच्चाई किसी को पता नहीं है। बता दें कि भारत, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों में सरोगेसी को लेकर काफी सख्त कानून है जिसके जरिए लोग इस देश का रुख करते हैं। हालांकि ब्रेटिन में सरोगेसी को कानूनी मान्यता मिली हुई है।
रूस से सटा हुआ यूक्रेन वैसे तो अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है लेकिन अब वो सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा करने की फैक्ट्रियां चलाने के लिए धीरे-धीरे पूरी दुनिया में चर्चित हो चुका है। हालांकि इस खूबसूरत देश की बदसूरत सच्चाई ये है कि वहां सरोगेट मदर को किसी जानवर की तरह रखा और काम लिया जाता है।डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन में कोई भी जोड़ा जो खुद से संतान पैदान करने के काबिल नहीं है वो 40 से 42 लाख रुपये खर्च कर बच्चे का सौदा कर सकता है और कुछ ही महीनों में अपने बच्चों को लेकर वहां से जा सकता है। इस पूरे काम को वहां इतने पेशेवर ढंग से अंजाम दिया जाता है कि इसकी सेवा लेने वाले को पता ही नहीं चलता कि जिस महिला के जरिए उन्हें संतान सुख प्राप्त हुआ उन्होंने किन परिस्थितियों में उनके बच्चे को पैदा किया है।पैसे देकर सरोगेट मदर की सेवा लेने वाले जोड़े कभी ये नहीं सोचते हैं कि जो बच्चा उनकी गोद में है उसे पैदा करने वाली महिला ने 9 महीने में कितना संघर्ष किया होगा। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक इस बात का खुलासा तब हुआ जब सरोगेसी के जरिए माता-पिता बनने वाले बियांका और विनी स्मिथ ने इस बच्चा फैक्ट्री की सच्चाई जानी। बियांका ने कहा, 'हमारे लिए यह पता लगाना बहुत मुश्किल है कि भाषा की बाधा के कारण सरोगेट्स के साथ कैसा व्यवहार किया गया 'लेकिन हर कोई जानता है कि इस माध्यम से कौन खुश नहीं है।' बियांका और स्मिथ उस वक्त हैरान रह गए जब उन्हें सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा करने वाली एक महिला ने सच्चाई बतायी। इस जोड़े को सरोगेसी के जरिए दो जुड़वां बेटे हुए थे। सरोगेसी के लिए काम करने वाली एक महिला ने बताया कि डिलीवरी से पहले उन्हें बेहद खराब परिस्थितियों में जानवरों की तरह रखा जाता है।इन्हें गंदगी भरे जगहों पर रहना होता है और शौच के लिए भी गंदे पानी का सहारा लेना पड़ता है। वो इसकी शिकायत परिवार पर बदले की कार्रवाई के डर से नहीं कर पाती हैं। महिला ने बियांका और विनी स्मिथ को बताया कि उन्हें गर्मी में रहने के लिए छोड़ दिया जाता और एसी तक की सुविधा नहीं दी जाती है। इस काम के लिए भले उन्हें साल में 10 लाख की रकम दी जाती है लेकिन सुविधा के नाम पर बस सरोगेसी के जरिए संतान चाहने वाले माता-पिता से झूठ बोला जाता है। महिला के मुताबिक यूक्रेन में इसे अन्य धंधे की तरह ही बड़े पैमाने पर चलाया जाता है और कंपनियां इसका प्रमोशन और ईवेंट भी कराती है जहां सरोगेस की जरिए पैदा होने वाले बच्चों को बुलाकर इसके लिए प्रचार प्रसार किया जाता है लेकिन पर्दे के पीछे की काली सच्चाई किसी को पता नहीं है। बता दें कि भारत, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों में सरोगेसी को लेकर काफी सख्त कानून है जिसके जरिए लोग इस देश का रुख करते हैं। हालांकि ब्रेटिन में सरोगेसी को कानूनी मान्यता मिली हुई है।