- भारत,
- 21-Apr-2025 07:40 PM IST
China News: परमाणु बम का नाम सुनते ही ज़हन में हीरोशिमा और नागासाकी की तबाही ताज़ा हो जाती है। लेकिन अब लगता है कि वो डर पुराने ज़माने की बात बनने जा रहा है। वजह है चीन के वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किया गया एक धमाकेदार आविष्कार — एक ऐसा बम, जो न तो यूरेनियम का इस्तेमाल करता है और न ही प्लूटोनियम का, लेकिन तबाही वही परमाणु बम जैसी करता है।
चांदी जैसे पाउडर से तबाही!
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ये नया हथियार एक खास तरह के हाइड्रोजन-आधारित डिवाइस पर आधारित है, जिसे चीन की सरकारी कंपनी चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन (CSSC) के 705 रिसर्च इंस्टिट्यूट में विकसित किया गया है। इस विस्फोट में इस्तेमाल किया गया पदार्थ है मैग्नीशियम हाइड्राइड, एक चांदी जैसा दिखने वाला पाउडर, जिसे पहले बिजली-विहीन इलाकों में हाइड्रोजन ट्रांसपोर्ट करने के लिए प्रयोग में लाया जाता था। अब इसका रूप बदल चुका है — ये बन गया है अगली पीढ़ी का विनाशकारी हथियार।
कैसे करता है काम?
जैसे ही इस डिवाइस में पारंपरिक विस्फोटक एक्टिवेट होता है, मैग्नीशियम हाइड्राइड गर्म होकर तेजी से हाइड्रोजन गैस छोड़ता है। यह गैस बेहद ज्वलनशील होती है और पलभर में आग का एक भीषण गोला बना देती है, जिसकी तापमान 1000 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा होता है। यह आग करीब दो सेकंड तक लगातार जलती रहती है, जो पारंपरिक विस्फोटकों से 15 गुना अधिक समय है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस धमाके में कोई रेडिएशन नहीं होता।
मैग्नीशियम हाइड्राइड: विनाश का नया सूत्र
अब तक इस खतरनाक पदार्थ को बड़ी मात्रा में बनाना मुश्किल था, क्योंकि इसकी मैन्युफैक्चरिंग के लिए बहुत ज्यादा तापमान और दबाव की ज़रूरत होती थी। साथ ही हवा में इसके आने से तत्काल विस्फोट का खतरा रहता है। लेकिन चीन ने तकनीक में महारत हासिल करते हुए शांक्सी प्रांत में एक बड़ी फैक्ट्री बना ली है, जो हर साल 150 टन मैग्नीशियम हाइड्राइड बना सकती है।
हाइड्रोजन: कम ऊर्जा, ज़्यादा तबाही
हाइड्रोजन की ज्वलनशीलता और तेजी से फैलने की क्षमता इसे बेहद ख़तरनाक बनाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसे जलाना बहुत आसान है और एक बार आग लगने के बाद इसे रोक पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि यह तकनीक पारंपरिक विस्फोटकों से कहीं अधिक प्रभावशाली और खतरनाक साबित हो सकती है — वो भी बिना किसी रेडियोधर्मी खतरे के।
सैन्य तकनीक या ऊर्जा स्रोत?
इस नई खोज का इस्तेमाल केवल हथियारों तक सीमित नहीं रहेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हाइड्रोजन बम तकनीक को सबमरीन फ्यूल सेल्स, लॉन्ग रेंज ड्रोन और रिमोट एरिया एनर्जी सिस्टम्स में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यानी यह खोज भविष्य की सैन्य रणनीतियों के साथ-साथ ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी क्रांति ला सकती है।