Vikrant Shekhawat : Nov 20, 2020, 06:30 PM
वाशिंगटन। Google द्वारा किए गए एक वैश्विक अध्ययन के अनुसार, अमेरिका और भारत में अच्छी सेल्फी लेने के लिए 'फिल्टर' का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। अध्ययन में प्रतिभागियों के बीच जर्मनी के विपरीत, भारतीय लोगों ने बच्चों पर 'फिल्टर' के प्रभाव के बारे में ज्यादा चिंता व्यक्त नहीं की। इस शोध के अनुसार, 70 प्रतिशत से अधिक तस्वीरें 'फ्रंट कैमरा' (स्क्रीन के ऊपर कैमरा) से 'एंड्रॉइड' डिवाइस में ली गई हैं। भारतीयों में सेल्फी लेने और इसे अन्य लोगों के साथ साझा करने का बहुत चलन है और वे खुद को सुंदर दिखाने के लिए 'फिल्टर' को एक उपयोगी तरीका मानते हैं। अध्ययन में कहा गया, 'भारतीय महिलाएं अपनी तस्वीरों को सुंदर बनाने के लिए विशेष रूप से उत्साहित हैं और इसके लिए वे कई' फिल्टर ऐप 'और' एडिटिंग टूल्स 'का उपयोग करती हैं। इसके लिए, पिक्स आर्ट और मेकअप प्लस का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। वहीं, ज्यादातर युवा 'स्नैपचैट' का इस्तेमाल करते हैं।महिलाएं सबसे आगे हैंशोध के अनुसार, 'सेल्फी लेना और साझा करना भारतीय महिलाओं के जीवन का इतना बड़ा हिस्सा है कि यह उनके व्यवहार और यहां तक कि घरेलू अर्थशास्त्र को भी प्रभावित करता है। कई महिलाओं ने कहा कि अगर उन्हें एक सेल्फी लेनी होती, तो वे फिर से इसके लिए पहने हुए कपड़े नहीं पहनतीं। अध्ययन के अनुसार, भारतीय पुरुष भी सेल्फी लेने और 'फिल्टर' का उपयोग करने में पीछे नहीं हैं, लेकिन तस्वीर के पीछे की कहानी पर अधिक ध्यान दें कि वे खुद को कैसे देखते हैं।भारतीय माता-पिता ने वहां के बच्चों पर 'फिल्टर' के प्रभाव के बारे में ज्यादा चिंता व्यक्त नहीं की। वह बच्चों द्वारा 'फिल्टर' के उपयोग के बारे में बहुत सहज थे और वह इसे एक मजेदार गतिविधि के रूप में देखते हैं। अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय माता-पिता अपने बच्चों के मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग या स्मार्टफोन की गोपनीयता और सुरक्षा के बारे में अधिक चिंतित थे।