अहमदाबाद / आरटीआई एक्टिविस्ट की हत्या के मामले में बीजेपी के पूर्व सांसद को आजीवन कारावास

अहमदाबाद (गुजरात) की सीबीआई कोर्ट ने पूर्व बीजेपी नेता दीनू सोलंकी और 6 अन्य लोगों को 2010 में हुई आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या मामले में आजीवन कारावास दिया है। कोर्ट ने सभी पर ₹59,25,000 का जुर्माना भी लगाया है। बकौल रिपोर्ट्स, जेठवा ने गिर अभयारण्य के आसपास अवैध खनन का पर्दाफाश किया था जिसमें सोलंकी भी शामिल थे।

Vikrant Shekhawat : Jul 11, 2019, 03:33 PM
अहमदाबाद. जूनागढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट 35 वर्षीय अमित जेठवा हत्या केस में भाजपा के पूर्व सांसद दीनू बोधा सोलंकी समेत 7 को सीबीआई जज के.एम.दवे ने हत्या और हत्या का षड्यंत्र रचने का दोषी पाया है। सातों को सीबीआई की विशेष अदालत ने आजीवान कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा लाखों रुपए का दंड भी लगाया है।

अभियुक्तों पर लाखों का दंड

जेठवा हत्या के अभियुक्तों को कोर्ट ने उम्र कैद के साथ दंड भी लगाया है। उसमें से 11 लाख रुपए जेठवा के परिवार वालों को दिया जाएगा। इसमें से 5 लाख अमित जेठवा की पत्नी और 3-3 लाख रुपए उसकी दोनों संतानों को दिए जाएंगे। इसके अलावा शैलष पंड्या को आर्म्स एक्ट में उम्र कैद की सजा और 10 लाख का दंड, उदाजी ठाकोर को 25 हजार, शिवा पंचाल को 8 लाख, शिवा सोलंकी को 15 लाख, पुलिस कांस्टेबल बहादुर सिंह वाढेर को 10 लाख, संजय चौहान को एक लाख, दीनू बोधा सोलंकी को 15 लाख का दंड वसूला जाएगा।

सीबीआई के डीआईजी ने की थी दीनू की धरपकड़

अभियुक्त दीनू बोधा को उसके फार्म हाउस के नौकर रामा हाजा का बयान भारी पड़ा। अमित जेठवा को 20 जुलाई 2010 को हाईकोर्ट के सामने सत्यमेव कॉम्पलेक्स के पास बाइक पर आए दो शख्सों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में कानूनी लड़ाई के बाद सीबीाआई काे जांच सौंपी गई थी।  सीबीआई के डीआईजी अरुण बोथरा ने 5 नवम्बर 2013 को दीनू बोधा की धरपकड़ की थी। उसके बाद उसे 4 दिनों तक रिमांड पर रखा था, फिर बोधा समेत 7 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट प्रस्तुत की थी।

जिस दिन अवैध खनन पर पीआईएल की, उसी दिन हुई हत्या

अमित जेठवा ने जूनागढ के गिर के जंगलों में चल रहे अवैध खनन के मामले पर 20 जुलाई 2010 को हाईकोर्ट में पीआईएल लगाई थी। उसी दिन उसकी हत्या कर दी गई। अमित की हत्या के पीछे दीनू बोधा सोलंकी का हाथ है, ऐसा आरोप अमित के पिता भीखाभाई ने लगाया था। इस पर पुलिस ने भाजपा के तत्कालीन सांसद दीनू बोधा और उसके भतीजे शिवा सोलंकी की धरपकड़ की थी। मामले की जांच के बाद क्राइम ब्रांच ने दीनू बोधा को क्लिन चिट दे दी। इस पर यह मामला सुरेंद्रनगर के एसपी राघवेंद्र वत्स को सौंपा गया। उन्होंने भी दीनू बोधा सोलंकी को क्लिन चिट दे दी। इस पर 2012 में गुजरात हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी गई। तब कोर्ट ने यह मामला सीबीआई को सौंपा। 2013 में सीबीआई ने जांच कर दीनू बोधा सोलंकी को गिरफ्तार किया था।

दोषियों को उम्र कैद की सिफारिश

इस मामले में पूर्व सांसद दीनू बोधा, उनके भतीजे शिवा सोलंकी समेत शैलेष पंड्या, उदाजी ठाकोर, शिवा पंचाल, बहादुर सिंह वाढेर (पुलिस कांस्टेबल), संजय चौहान को दोषी पाया गया है। बचाव पक्ष के वकील ने पूर्व सांसद दीनू बोधा की अधिक उम्र का हवाला देते हुए उनकी सजा कम करने की मांग की थी। सीबीआई वकील ने दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की सिफारिश की थी। सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजने का आदेश दिया था।

192 में से 155 गवाह मुकरे

इस मामले की सुनवाई के दौरान 192 गवाहों में से 155 गवाह अपने बयान से मुकर गए थे। काफी संख्या में गवाहों के मुकर जाने से अमित जेठवा के पिता भीखा भाई जेठवा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसे ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने 27 गवाहों को रिकॉल किया। इसमें दीनू बोधा के फार्म हाउस का नौकर रमा आजा भी था। सभी का फिर से बयान लिया गया थे। इसमें भी कई गवाह अपने बयान से मुकर गए थे।