Vikrant Shekhawat : Feb 23, 2021, 03:52 PM
अमरोहा। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में बवानीखेड़ी नरसंहार के दोषी शबनम (शबनम) को मंगलवार को जिला जज की अदालत में सुनाया जाना है। शबनम की रिपोर्ट जिला जज की अदालत में पेश की जाएगी। अगर इस रिपोर्ट में कोई याचिका लंबित नहीं पाई जाती है, तो शबनम की फांसी की तारीख तय की जा सकती है। रामपुर और मथुरा जेल को रिपोर्ट भेजी जाएगी। इस आधार पर यह तय किया जाएगा कि शबनम शबनम का डेथ वारंट कब जारी किया जाएगा। मृत्युदंड जारी होने के 10 दिनों के भीतर शबनम को फांसी दी जाएगी।
गौरतलब है कि 14/15 अप्रैल 2008 की रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर कुल्हाड़ी से अपने ही परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दोनों ने मौत की सजा को बरकरार रखा था। दिसंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया। इसके बाद, राष्ट्रपति ने शबनम की दया याचिका को भी खारिज कर दिया। हालांकि, नैनी जेल में बंद सलीम की दया याचिका पर फैसला होना बाकी है।पिछले हफ्ते, शबनम अपने 12 साल के बेटे से मिली और फूट-फूट कर रोई और मासूम का दावा करते हुए सीबीआई जांच की मांग की। शबनम के बेटे ताज का पालन-पोषण करने वाले उस्मानी सैफी ने बताया कि जब उन्होंने रामपुर जेल में शबनम से पूछा कि क्या उसने यह अपराध किया है, तो उसने इनकार कर दिया और सीबीआई जांच के लिए कहा। शबनम ने बेटे ताज से कहा कि उसे अपनी परछाई से दूर रहना चाहिए और पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बनना चाहिए।
अगर शबनम को फांसी दी जाती है, तो यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में दूसरी बार होगा जब एक महिला अपराधी को फांसी दी जाएगी। इससे पहले साल 1955 में रतन बाई जैन को फांसी दी गई थी। शबनम को फांसी देने के लिए मथुरा जेल में भी तैयारी शुरू कर दी गई है। इस बीच, दो वकील शुक्रवार को शबनम से मिलने के लिए रामपुर जेल पहुंचे थे। उन्होंने शबनम को एक और दया याचिका राज्यपाल को भेजने के लिए कहा है।
गौरतलब है कि 14/15 अप्रैल 2008 की रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर कुल्हाड़ी से अपने ही परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दोनों ने मौत की सजा को बरकरार रखा था। दिसंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया। इसके बाद, राष्ट्रपति ने शबनम की दया याचिका को भी खारिज कर दिया। हालांकि, नैनी जेल में बंद सलीम की दया याचिका पर फैसला होना बाकी है।पिछले हफ्ते, शबनम अपने 12 साल के बेटे से मिली और फूट-फूट कर रोई और मासूम का दावा करते हुए सीबीआई जांच की मांग की। शबनम के बेटे ताज का पालन-पोषण करने वाले उस्मानी सैफी ने बताया कि जब उन्होंने रामपुर जेल में शबनम से पूछा कि क्या उसने यह अपराध किया है, तो उसने इनकार कर दिया और सीबीआई जांच के लिए कहा। शबनम ने बेटे ताज से कहा कि उसे अपनी परछाई से दूर रहना चाहिए और पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बनना चाहिए।
अगर शबनम को फांसी दी जाती है, तो यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में दूसरी बार होगा जब एक महिला अपराधी को फांसी दी जाएगी। इससे पहले साल 1955 में रतन बाई जैन को फांसी दी गई थी। शबनम को फांसी देने के लिए मथुरा जेल में भी तैयारी शुरू कर दी गई है। इस बीच, दो वकील शुक्रवार को शबनम से मिलने के लिए रामपुर जेल पहुंचे थे। उन्होंने शबनम को एक और दया याचिका राज्यपाल को भेजने के लिए कहा है।