Share Market News / ये शेयर बाजार में 'रैली' के लिए तैयार हैं, क्या आपने किया है निवेश?

इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा घरेलू कंपनियों के तिमाही नतीजों, अमेरिकी शुल्क घटनाक्रमों और एफपीआई रुख से तय होगी। निवेशक वैश्विक बाजार, कच्चे तेल के दाम और रुपये की चाल पर भी नजर रखेंगे। इन्फोसिस, एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक के नतीजे अहम रहेंगे।

Share Market News: इस सप्ताह घरेलू शेयर बाजार की चाल कई महत्वपूर्ण कारकों से प्रभावित होगी, जिनमें प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजे, वैश्विक व्यापार शुल्कों पर घटनाक्रम और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की गतिविधियां प्रमुख हैं। विश्लेषकों का मानना है कि निवेशकों की रणनीति इन कारकों के अनुरूप ढलती नजर आएगी, जिससे बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।

बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजों पर टिकी निगाहें

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा का कहना है कि इस सप्ताह निवेशकों की निगाहें एचसीएल टेक्नोलॉजीज, एक्सिस बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर और मारुति जैसी दिग्गज कंपनियों के तिमाही नतीजों पर रहेंगी। इन कंपनियों के प्रदर्शन से न केवल सेक्टर की धारणा बनेगी बल्कि समूचे बाजार की दिशा भी तय हो सकती है।

इन्फोसिस और IT सेक्टर की चुनौती

देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इन्फोसिस के हालिया नतीजों ने बाजार को चौंकाया है। मार्च तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 11.7 प्रतिशत घटकर 7,033 करोड़ रुपये रह गया है, जिससे सोमवार को इसके शेयर पर खास नजर बनी रहेगी। यह संकेत करता है कि टेक सेक्टर को धीमे वैश्विक डिमांड और मार्जिन दबावों का सामना करना पड़ सकता है।

बैंकिंग सेक्टर की मजबूती

एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के नतीजे बाजार के लिए सकारात्मक संकेत दे रहे हैं। एचडीएफसी बैंक ने 18,835 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया है, जबकि आईसीआईसीआई बैंक ने 15.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 13,502 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया है। हालांकि, एचडीएफसी बैंक ने ऋण वृद्धि को लेकर आशंका जताई है, विशेष रूप से आवास और कॉरपोरेट ऋण में मूल्य निर्धारण की चुनौतियों को लेकर।

एफपीआई का बढ़ता भरोसा

जियोजीत इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार के अनुसार, एफपीआई गतिविधियों में हाल ही में तेज बदलाव आया है। 17 अप्रैल तक के तीन कारोबारी दिनों में एफपीआई ने भारतीय बाजार में 14,670 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। इसका मुख्य कारण डॉलर इंडेक्स में गिरावट और अमेरिकी मुद्रा की कमजोर होती स्थिति है।

अन्य वैश्विक संकेतक भी अहम

निवेशक वैश्विक बाजारों के रुझानों, ब्रेंट कच्चे तेल के दाम और डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल पर भी नजर बनाए रखेंगे। इसके अलावा, यदि अमेरिका में व्यापार शुल्कों को लेकर तनाव बढ़ता है तो वैश्विक अस्थिरता का असर भारतीय बाजारों पर भी देखा जा सकता है।