MP उपचुनाव एग्जिट पोल / BJP को 16 से 18 सीटें, कांग्रेस को 10 से 12 सीटें, ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ में कमलनाथ आगे

मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 355 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे। ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है और नतीजे 10 नवंबर को आएंगे, लेकिन शिवराज सिंह चौहान की सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया को गहरा सदमा लगा है ।

Vikrant Shekhawat : Nov 08, 2020, 07:07 AM
मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 355 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे। ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है और नतीजे 10 नवंबर को आएंगे, लेकिन  शिवराज सिंह चौहान की सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया को गहरा सदमा लगा है ।

भाजपा को एमपी की 28 विधानसभा सीटों में से 16 से 18 सीटें मिल रही हैं, जबकि कांग्रेस को 10 से 12 सीटें मिलने का अनुमान है। इस तरह शिवराज सिंह चौहान अपनी सरकार बचा लेंगे, लेकिन जिस तरह से कमलनाथ एक दर्जन सीटें जीतने की स्थिति में हैं। ऐसे में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए समर्थक सिंधिया विधायकों को बड़ा झटका लग सकता है।

MP का एग्जिट पोल

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान पहली पसंद हो सकते हैं, लेकिन कमलनाथ भी पीछे नहीं हैं।  एमपी के मुख्यमंत्री पद के लिए शिवराज सिंह चौहान 46 प्रतिशत की पसंद हैं, जबकि 43 प्रतिशत लोग कमलनाथ को पसंद करते हैं।

आपको बता दें कि मप्र की 29 विधानसभा सीटें खाली हैं, जिनमें से 28 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस के 25 विधायकों के इस्तीफे और 3 विधायकों की मौत से खाली हुई सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। ऐसे में बीजेपी ने कांग्रेस के सभी 25 विधायकों को मैदान में उतारा है, जिनमें से 14 शिवराज सरकार के मंत्री हैं।

शिवराज और कमलनाथ

एमपी में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 29 सीटें खाली हैं। इनमें से 28 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, इस हिसाब से 229 सीटों के आधार पर बहुमत का आंकड़ा 115 होना चाहिए। ऐसे में भाजपा को बहुमत संख्या जीतने के लिए केवल आठ सीटें जीतने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को सभी 28 सीटें जीतनी होंगी। भाजपा के पास वर्तमान में 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 87 विधायक, चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा है।

28 सीटों पर उपचुनाव

मध्य प्रदेश में 28 सीटें हो रही हैं, जिनमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में हैं। इनमें मुरैना, मेहगांव, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर, डबरा, बामोरी, अशोक नगर, अंबाह, पोहरी, भांडेर, सुमावली, करेरा, मुंगौली, गोहद, डिमानी और जौरा सीटें शामिल हैं। वहीं, मालवा-निमाड़ क्षेत्र में सुवासरा, मांधाता, सांवरस आगर, बदनवर, हाटपिपल्या और नेपानगर सीटें हैं। इसके अलावा सांची, मल्हारा, अनूपपुर, बियोरा और सुरखी सीटें हैं। इसमें से जौरा, आगर और बियोरा सीटों के 3 विधायकों की मौत के कारण उपचुनाव हो रहे हैं।


दांव पर शिवराज के मंत्रियों की विश्वसनीयता

मप्र उपचुनाव में 14 मंत्रियों की साख दांव पर है। इसमें से ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं, की प्रतिष्ठा भी दांव पर है, क्योंकि उन्हें उनका समर्थक माना जाता है और सभी ने सिंधिया के सुझाव पर ही पार्टी बदली। इनमें तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभु राम चौधरी, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गिर्राज दंडोतिया, ओपीएस भदोरिया, सुरेश धाकड़, बृजेन्द्र सिंह यादव, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, एडवान सिंह मानस सिंह सिंह, सिंह सिंघल गोबर। सब देख रहे हैं।


सिंधिया के सामने खुद को साबित करने की चुनौती

यह गणित ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए थोड़ा अलग है। गुना से चार बार के लोकसभा सांसद सिंधिया चाहेंगे कि उनके समूह के सभी 22 विधायक, जिन्होंने उनके लिए इस्तीफा दे दिया था, फिर से जीते और विधानसभा पहुंचे। सिंधिया के लिए, यह उपचुनाव उनके क्षेत्र में राजनीतिक कद को फिर से परिभाषित और बहाल करेगा, क्योंकि 22 में से 16 सीटें ग्वालियर और चंबल क्षेत्र से हैं, जहां सिंधिया परिवार का वर्चस्व है। सिंधिया को अपनी नई पार्टी भाजपा (और लोगों) के सामने खुद को साबित करने की जरूरत है, उनकी चुनौती सिर्फ कांग्रेस नहीं है, बसपा भी इस उपचुनाव में हर सीट पर चुनाव लड़ रही है।