आंकड़ों में खेल / जुलाई के बाद फरवरी में कोरोना से सबसे ज्यादा 15 हजार मौतें, अचानक से कैसे बढ़ी मृत्युदर? जानें पूरा गणित

कोरोना से होने वाली दैनिक मृत्यु के आंकड़ों में जबरदस्त खेल हुआ है। आंकड़ों के इसी खेल के चलते फरवरी में 15 हजार से ज्यादा मौतें दर्ज की गईं। यह संख्या पिछले साल जुलाई में हुई मौतों के आंकड़ों के बाद सबसे ज्यादा है। जुलाई में 24 हजार से ज्यादा मौतें दर्ज की गई थीं, लेकिन अचानक से मौतों की संख्या में हुए इस इजाफे के पीछे नई बात निकलकर सामने आई है।

Vikrant Shekhawat : Feb 19, 2022, 09:51 AM
कोरोना से होने वाली दैनिक मृत्यु के आंकड़ों में जबरदस्त खेल हुआ है। आंकड़ों के इसी खेल के चलते फरवरी में 15 हजार से ज्यादा मौतें दर्ज की गईं। यह संख्या पिछले साल जुलाई में हुई मौतों के आंकड़ों के बाद सबसे ज्यादा है। जुलाई में 24 हजार से ज्यादा मौतें दर्ज की गई थीं, लेकिन अचानक से मौतों की संख्या में हुए इस इजाफे के पीछे नई बात निकलकर सामने आई है। 

दरअसल, फरवरी में कोरोना से सिर्फ 8,673 मौतें ही दर्ज की गई हैं। जबकि, इन आंकड़ों में 6,329(42%) पुरानी मौतों को जोड़ा गया है, जिससे यह संख्या 15 हजार पार कर गई। ऐसा ही खेल जनवरी में हुआ था। जनवरी में 14,752 मौतें दर्ज की गई थीं, जिसमें 5483 मौतों को जोड़ा गया था। 

सबसे ज्यादा केरल में दर्ज हुई मौतें 

कोरोना की पहली व दूसरी लहर में हुई मौतों को फरवरी में जोड़ने के मामले में केरल सबसे आगे रहा। केरल में फरवरी में 6217 मौतें दर्ज की गईं। इसके अलावा महाराष्ट्र में 936, कर्नाटक में 759, बंगाल 488, तमिलनाडु में 406 और गुजरात में 401 मौतें दर्ज की गईं। 

10 जनवरी के बाद सबसे कम दैनिक मौतें

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, शुक्रवार को 200 से कम दैनिक मौतें दर्ज की गईं, यह 10 जनवरी के बाद सबसे कम है। वहीं 22,191 नए कोरोना मरीज भी सामने आए। यह संख्या 31 दिसंबर के बाद सबसे कम है।  

पांच लाख के ऊपर मरने वालों की संख्या 

देश में कोरोना महामारी से अब तक 5,10,905 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 1,43,532 लोगों की मौत महाराष्ट्र में हुई। इसके अलावा केरल में 63,338 लोगों की मौत, कर्नाटक में 39,738, तमिलनाडु में 37,962, दिल्ली में 26,091, उत्तर प्रदेश में 23,419 तथा पश्चिम बंगाल में 21,094 लोगों की मौत हुई।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अब तक जिन लोगों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हुई है, उनमें से 70 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों को अन्य गंभीर बीमारियां भी थीं। मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि उसके आंकड़ों का भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के आंकड़ों के साथ मिलान किया जा रहा है।