Vikrant Shekhawat : Dec 20, 2024, 05:39 PM
Share Market News: भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ दिनों से गहरे संकट का सामना कर रहा है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बदलाव और विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली ने बाजार की धारणा पर गहरा प्रभाव डाला है। बीते 5 कारोबारी सत्रों में भारतीय बाजार ने 17 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति गंवाई है।
हफ्ते भर की सबसे बड़ी गिरावट
बीते सप्ताह शेयर बाजार में 2 साल की सबसे बड़ी वीकली गिरावट दर्ज की गई। हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन, सेंसेक्स 1.49% गिरकर 1176 अंकों की भारी गिरावट के साथ 78,041.33 पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 1.34% की गिरावट आई, जो 320 अंकों की गिरावट के साथ 23,631.25 पर बंद हुआ।पिछले दिन भी बाजार में ऐसी ही गिरावट देखी गई थी। गुरुवार को सेंसेक्स 964 अंकों की गिरावट के साथ 79,218.05 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 247 अंकों की गिरावट के साथ 23,951.70 पर पहुंचा।प्रमुख गिरावट वाले शेयर और सेक्टर
सेंसेक्स के 30 शेयरों में केवल तीन ने सकारात्मक प्रदर्शन किया। नेस्ले इंडिया और टाइटन के शेयर क्रमशः 0.12% और 0.07% बढ़त के साथ बंद हुए। वहीं, आईसीआईसीआई बैंक, आईटीसी, एशियन पेंट्स, मारुति, एचसीएल टेक, सन फार्मा, और हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसे प्रमुख शेयरों में तेज गिरावट दर्ज की गई।गिरावट की मुख्य वजहें
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व का फैसला:
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 18 दिसंबर को अपनी ब्याज दर को 25 आधार अंक घटाकर 4.25-4.50% किया। हालांकि, 2024 और 2025 के लिए फेड ने केवल सीमित दर कटौती का अनुमान जताया, जो बाजार की उम्मीदों से कम था। इससे वैश्विक बाजारों में निराशा फैल गई। - विदेशी निवेशकों की बिकवाली:
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) ने पिछले चार सत्रों में ₹12,000 करोड़ से अधिक मूल्य के भारतीय शेयर बेचे हैं। डॉलर में मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि ने निवेशकों को भारतीय बाजार से दूर कर दिया। - वैश्विक बाजारों में नकारात्मक रुझान:
फेड के कठोर रुख और अन्य वैश्विक आर्थिक चिंताओं ने निवेशकों की धारणा को कमजोर किया। इसके साथ ही, भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेशकों का आत्मविश्वास प्रभावित हुआ।
आगे का रास्ता
भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन अगले कुछ हफ्तों में वैश्विक और घरेलू कारकों पर निर्भर करेगा।- घरेलू आर्थिक संकेतक: भारतीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मक संकेत और केंद्रीय बैंक की नीतियों से बाजार में स्थिरता आ सकती है।
- विदेशी निवेशकों का रुख: डॉलर की स्थिरता और फेड की आगामी नीतियां विदेशी निवेश को फिर से भारतीय बाजार की ओर आकर्षित कर सकती हैं।
- आर्थिक सुधार: भारतीय बाजार को अपने घरेलू आधारभूत कारकों को मजबूत करते हुए विदेशी दबाव का सामना करना होगा।