नई दिल्ली / अयोध्या केस | आखिर कौन-सी जगह हुआ श्री राम जन्म: मुस्लिम पक्ष

राम की पवित्रता पर कोई विवाद नहीं है। इसमें भी विवाद नहीं है कि उनका जन्म अयोध्या में हुआ। सवाल यह है कि जन्म की जगह कौन-सी है। उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को अयोध्या विवाद की 25वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने यह दलील दी। कैलाश पर्वत जैसी भौतिक अभिव्यक्ति और आस्था की निरंतरता के साथ यह भी दिखाया जाना चाहिए कि निश्चित रूप से वहीं प्रार्थना की जाती थी।

Live Hindustan : Sep 18, 2019, 07:45 AM
राम की पवित्रता पर कोई विवाद नहीं है। इसमें भी विवाद नहीं है कि उनका जन्म अयोध्या में हुआ। सवाल यह है कि जन्म की जगह कौन-सी है। उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को अयोध्या विवाद की 25वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने यह दलील दी। उन्होंने कहा, किसी स्थान को न्यायिक व्यक्ति में बदलने के लिए पवित्रता ही पर्याप्त नहीं है। इसके लिए उसमें कैलाश पर्वत जैसी भौतिक अभिव्यक्ति और आस्था की निरंतरता के साथ यह भी दिखाया जाना चाहिए कि निश्चित रूप से वहीं प्रार्थना की जाती थी।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने धवन से पूछा, क्या इसके लिए कुछ भौतिक अभिव्यक्तियां होनी चाहिए? क्या स्थान को व्यक्ति बनाने के लिए मापदंड निर्धारित करना बहुत मुश्किल नहीं होगा? इस पर धवन ने कहा, कोई भी ग्रंथ यह बताने में सक्षम नहीं हुआ है कि अयोध्या में राम का जन्म किस स्थान पर हुआ था। उन्होंने अदालत में अल्लामा इकबार का शेर पढ़ा, ‘है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज, अहले नजर समझते हैं उस को इमामे हिंद।’

क्या मस्जिद में चित्र होते हैं? संविधान पीठ के पांच जजों में से एक जस्टिस बोब्डे ने सवाल किया, 1950 की एक तस्वीर में विवादित स्थल पर एक शिला में दो शेर और बीच में एक गरुड़ नजर आता है। क्या मस्जिद में इस प्रकार के चित्र होते हैं? 

जवाब में वरिष्ठ अधिवक्ता धवन ने कहा, इन तस्वीरों से कुछ भी साबित नहीं होता। चूंकि कसौटी खंभों पर कमल है, क्या इसकी वजह से वे इस्लामी नहीं हैं? केरल में एक मंदिर के पास क्रॉस है। मस्जिदें केवल मुसलमानों ने ही नहीं बनाई थीं। ताजमहल का निर्माण अकेले मुसलमानों ने नहीं किया था। इसमें मुस्लिम और हिंदू मजदूर, दोनों शामिल थे।

कमल वास्तुकला का नमूना : जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि इन खंभों पर जो चित्र और आकृतियां बनी हुई हैं, उन पर हिंदू अपनी आस्था साबित कर रहे हैं। इस पर धवन ने कहा कि खंभे हमने लगाए थे। उन्होंने आगे कहा कि खंभे पर भगवान के चित्र नहीं हैं। इन पर बनी कमल और अन्य आकृतियां वास्तुकला का नूमना हैं।

कुतुब मीनार में जैन मूर्तियां

जस्टिस बोब्डे ने पूछा कि क्या कोई ऐसा साक्ष्य है, जिसमें ऐसी मूर्तियां मस्जिदों में पाई गई हैं? जवाब में धवन ने कुतुब मीनार के पास बनी मस्जिद का उदाहरण दिया। हालांकि, निर्मोही अखाड़े ने कहा कि कुतुब मीनार में जैन मंदिर था। वहां जो मूर्तियां हैं, वे जैन मूर्तियां हैं। धवन ने चार इतिहासकारों (एसके सहाय, डीएन झा, सूर्यभान और इरफान हबीब) की रिपोर्ट का जिक्र किया, जिन्होंने कहा गया था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का सबूत नहीं मिलता। 

और कितना समय लेंगे

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने वकीलों से पूछा कि दलीलें पूरी करने के लिए उन्हें कितना समय चाहिए। समय बताने के बाद सुनवाई का कार्यक्रम तय किया जाएगा। वकीलों ने कहा कि इस बारे में बुधवार को अदालत बताया जाएगा। छह अगस्त से रोजाना चल रही सुनवाई में हिंदू पक्ष अपनी दलीलें पूरी कर चुका है। उसने 19 दिन लिए थे।

बाबरी मस्जिद के मुद्दई के खिलाफ दर्ज होगा केस

अयोध्या। इस मुद्दे पर अन्तरराष्ट्रीय शूटर वर्तिका सिंह से अभद्र व्यवहार कर अपमानित करने, हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने में बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी व तीन महिलाओं सहित अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया है।