Live Hindustan : Nov 18, 2019, 10:47 AM
नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र आज (सोमवार) से शुरू हो रहा है। विपक्षी दल जहां आर्थिक सुस्ती और कश्मीर में स्थिति को लेकर केंद्र को घेरने की तैयारी में हैं वहीं, सरकार नागरिकता (संशोधन) विधेयक समेत तमाम बिल पारित कराना चाहेगी। इसे लेकर गर्मागर्म बहस होने के आसार हैं। संसद का शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सर्वदलीय बैठक में कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। लंबित मुद्दों के सकारात्मक ढंग से समाधान और प्रदूषण, अर्थव्यवस्था व किसानों से जुड़े मसलों पर सभी दलों के साथ मिलकर काम करेंगे। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद प्रधानमंत्री के इस आश्वासन से सहमत नहीं दिखे। उन्होंने कहा कि सदन में बात जब बेरोजगारी, आर्थिक मंदी और किसानों की स्थिति की होती है तो तब सरकार अलग रुख अपनाती है। उन्होंने कहा कि विपक्ष आर्थिक सुस्ती एवं बेरोजगारी जैसे मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगेगा।विपक्ष की रणनीतिसरकार पिछले सत्र में विरोधी दलों के कई नेताओं को अपने पाले में कर तमाम विधेयक पारित करा लिया था। हालांकि, विधानसभा चुनावों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन, शिवसेना के साथ भाजपा का संबंध टूटना और आर्थिक सुस्ती पर रिपोर्ट ने उसे बड़ा मौका दे दिया है। शिवसेना के 18 सांसद भी सरकार को घेरने में उसकी मदद करेंगे।अध्यादेश कानून में बदलेंगेसरकार सत्र में दो अहम अध्यादेशों को कानून का रूप देने की कोशिश करेगी। आयकर अधिनियम, 1961 व वित्त अधिनियम, 2019 में संशोधन को प्रभावी बनाने को सितंबर में एक अध्यादेश जारी किया गया था जिसका उद्देश्य नई एवं घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में कमी लाकर आर्थिक सुस्ती को रोकना व विकास को बढ़ावा देना है। दूसरे अध्यादेश में ई-सिगरेट और इसी तरह के उत्पाद की बिक्री, निर्माण एवं भंडारण पर प्रतिबंध लगाया गया है। बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस से अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन, लोजपा के चिराग पासवान और सपा से राम गोपाल यादव समेत कई नेता मौजूद थे।