Zee News : Aug 18, 2020, 03:44 PM
नई दिल्ली: CAA, NRC के खिलाफ दिल्ली दंगों की जांच में नया खुलासा हुआ है। ज़ी न्यूज़ को मिली एक्सक्लूसिव खबर के मुताबिक, इस मामले में UAPA के तहत गिरफ्तार आसिफ इकबाल तन्हा ने पुलिस पूछताछ के दौरान कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को दिए बयान में आसिफ इकबाल ने जो बताया उससे देखकर तो ऐसा ही लगता है कि दिल्ली दंगा पूरी तरह से एक सुनियोजित साजिश थी। इसकी पूरी स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी थी, जिसे लोकतांत्रिक विरोध की आड़ में अंजाम दिया गया।आसिफ ने बताया कि कैसे CAA, NRC के विरोध के नाम पर लोगों को भड़काया गया, बसों और घरों को जलाया गया। उसने यहां तक कहा कि वो देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहता था। उसने माना कि उसने खुद जामिया में बसों में आग लगाई और हिंसा को भड़काया था।आरोपी ने पुलिस को दिए बयान में बताया की जब CAA/NRC बिल आया, तो उसे ये बिल एंटी मुसलमान लगा, उसके बाद से ही बिल का विरोध करने के लिए जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ जुड़ गया। आरोपी जामिया यूनिवर्सिटी का छात्र है और 2014 स्टूडेंट इस्लामिस्ट ऑर्गेनाइजेशन (SIO) का सदस्य भी है। उसने जो पुलिस को बताया उसे आप भी पढ़िए
दिल्ली दंगों पर सबसे बड़ा 'कबूलनामा' आरोपी आसिफ इकबाल ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि '12 दिसंबर को हम 2500-3000 लोग जामिया यूनिवर्सिटी के गेट नम्बर 7 पर मार्च करते हैं उसके बाद 13 दिसंबर को शरजील इमाम भड़काऊ भाषण देते हुए चक्का जाम करने की बात कहता है। मैं खुद लोगों को उकसाता हूं।जामिया मेट्रो से पार्लियामेंट तक मार्च की कॉल देते हैं, जिसमे कई संगठन हमें समर्थन देते हैं। जब हम मार्च करते हैं तो पुलिस हमें बैरिकेड लगाकर रोक लेती है। तभी मैंने कहा कि तुम आगे बढ़ो, पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं जो हमें रोक ले। फिर इसी दौरान जब हम जबरदस्ती आगे बढ़ते हैं तो पुलिस हम रोकती है और लाठीचार्ज हो जाता है। जिसमें पुलिस और छात्रों को चोट भी आती है'।
पहले ही लिखी जा चुकी थी दंगे की स्क्रिप्ट आरोपी आसिफ इकबाल ने बताया कि 'हम प्लानिंग के तहत 15 दिसंबर को पार्लियामेंट तक मार्च का ऐलान करते हैं। जिसका नाम हम गांधी पीस मार्च देते हैं। ताकि दिखने में ठीक लगे। फिर उसके बाद हम मार्च को जामिया से लेकर जाकिर नगर, बटला हाउस से होते हुए जामिया आते हैं। फिर सूर्या होटल के पास पुलिस बैरिकेड लगे होते हैं। हम जबरन बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। पुलिस हमें रोकने की कोशिश करती है। भीड़ बेकाबू हो जाती है, फिर पथराव शुरू हो जाता है, बसों में आग लगा दी जाती है, बहुत दंगा फसाद हो जाता है। इस दौरान JMI के कई छात्र समेत पुलिस वाले घायल हो जाते हैं'।AAJMI, PFI से होती थी फंडिंग आरोपी के मुताबिक जामिया में हुई हिंसा के बाद जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी (JCC) का गठन किया गया। जिसमें AISA, JSF, SIO, MSF, CYSS, CFI, NSUI जैसे संगठन से जुड़े लड़के शामिल थे। आसिफ इकबाल ने फंडिंग को लेकर भी बड़ा खुलासा किया और बताया कि AAJMI भी इस मूवमेंट में JCC के साथ थी। AAJMI और PFI से ही इस योजना की फंडिंग होती थी।उसने बताया कि SIO के लोगों के कहने पर दिल्ली से बाहर कोलकाता, लखनऊ, कानपुर, उज्जैन, इंदौर, जयपुर, मंगरोल, कोटा, पटना सब्जीबाग, अररिया, समस्तीपुर, अहमदाबाद जैसी कई जगहों पर भड़काऊ भाषण देने के लिए गया। उसने बताया कि वो मुसलमानों को भारत सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए बोलता था और जरूरत पड़ने पर हिंसक प्रदर्शन के लिए भी कहता था। उसने कहा कि 'उमर खालिद ने ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय चक्का जाम करने के लिए कहा। जिसके बाद मिरान हैदर, सफूरा और बाकी लोगों के साथ मिलकर चक्का जाम करवाया जिससे दंगे भड़क गए'।
दिल्ली दंगों पर सबसे बड़ा 'कबूलनामा' आरोपी आसिफ इकबाल ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि '12 दिसंबर को हम 2500-3000 लोग जामिया यूनिवर्सिटी के गेट नम्बर 7 पर मार्च करते हैं उसके बाद 13 दिसंबर को शरजील इमाम भड़काऊ भाषण देते हुए चक्का जाम करने की बात कहता है। मैं खुद लोगों को उकसाता हूं।जामिया मेट्रो से पार्लियामेंट तक मार्च की कॉल देते हैं, जिसमे कई संगठन हमें समर्थन देते हैं। जब हम मार्च करते हैं तो पुलिस हमें बैरिकेड लगाकर रोक लेती है। तभी मैंने कहा कि तुम आगे बढ़ो, पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं जो हमें रोक ले। फिर इसी दौरान जब हम जबरदस्ती आगे बढ़ते हैं तो पुलिस हम रोकती है और लाठीचार्ज हो जाता है। जिसमें पुलिस और छात्रों को चोट भी आती है'।
पहले ही लिखी जा चुकी थी दंगे की स्क्रिप्ट आरोपी आसिफ इकबाल ने बताया कि 'हम प्लानिंग के तहत 15 दिसंबर को पार्लियामेंट तक मार्च का ऐलान करते हैं। जिसका नाम हम गांधी पीस मार्च देते हैं। ताकि दिखने में ठीक लगे। फिर उसके बाद हम मार्च को जामिया से लेकर जाकिर नगर, बटला हाउस से होते हुए जामिया आते हैं। फिर सूर्या होटल के पास पुलिस बैरिकेड लगे होते हैं। हम जबरन बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। पुलिस हमें रोकने की कोशिश करती है। भीड़ बेकाबू हो जाती है, फिर पथराव शुरू हो जाता है, बसों में आग लगा दी जाती है, बहुत दंगा फसाद हो जाता है। इस दौरान JMI के कई छात्र समेत पुलिस वाले घायल हो जाते हैं'।AAJMI, PFI से होती थी फंडिंग आरोपी के मुताबिक जामिया में हुई हिंसा के बाद जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी (JCC) का गठन किया गया। जिसमें AISA, JSF, SIO, MSF, CYSS, CFI, NSUI जैसे संगठन से जुड़े लड़के शामिल थे। आसिफ इकबाल ने फंडिंग को लेकर भी बड़ा खुलासा किया और बताया कि AAJMI भी इस मूवमेंट में JCC के साथ थी। AAJMI और PFI से ही इस योजना की फंडिंग होती थी।उसने बताया कि SIO के लोगों के कहने पर दिल्ली से बाहर कोलकाता, लखनऊ, कानपुर, उज्जैन, इंदौर, जयपुर, मंगरोल, कोटा, पटना सब्जीबाग, अररिया, समस्तीपुर, अहमदाबाद जैसी कई जगहों पर भड़काऊ भाषण देने के लिए गया। उसने बताया कि वो मुसलमानों को भारत सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए बोलता था और जरूरत पड़ने पर हिंसक प्रदर्शन के लिए भी कहता था। उसने कहा कि 'उमर खालिद ने ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय चक्का जाम करने के लिए कहा। जिसके बाद मिरान हैदर, सफूरा और बाकी लोगों के साथ मिलकर चक्का जाम करवाया जिससे दंगे भड़क गए'।