Vikrant Shekhawat : Aug 22, 2022, 08:31 PM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि आपराधिक केस लंबित होने के आधार पर किसी सरकारी कर्मचारी का प्रमोशन अनिश्चितकाल के लिए रोके रखना अनुचित है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आपराधिक केस लंबित होने से सरकारी सेवक को उसके प्रमोशन से इनकार नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्र ने पुलिस कांस्टेबल नीरज कुमार पांडेय की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम को सुनकर याचिका निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका में डीआईजी/एसपी स्थापना डीजीपी मुख्यालय के यहां से एक जनवरी 2021 को जारी हेड कांस्टेबल प्रमोशन लिस्ट में याची का प्रमोशन सील कवर में रखने को चुनौती देते हुए उसे खोलने की मांग की गई थी। हेड कांस्टेबल पद पर याची के प्रमोशन को उसके विरुद्ध आपराधिक केस लंबित होने के कारण सील कवर में रखा गया था।याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि याची को आपराधिक केस के कारण यूपी पुलिस अफसर ऑफ सबार्डिनेट रैंक (पनिशमेंट एंड अपील रूल्स) 1991 के नियम 8(2) (बी) के तहत बर्खास्त कर दिया गया था। हाईकोर्ट के आदेश से उसे सेवा में बहाल कर लिया गया और वह पुलिस विभाग में निरंतर कार्यरत रहा।सीनियर एडवोकेट ने बहस में कहा कि क्रिमिनल केस लंबित रहने के बावजूद याची को नौकरी में बनाए रखा गया है तो उसी क्रिमिनल केस के आधार पर प्रमोशन से वंचित रखना गलत है। आपराधिक केस के आधार पर बर्खास्तगी को हाईकोर्ट ने रद्द कर बहाली का आदेश दिया तो पुनः उसी आधार पर प्रमोशन देने से इनकार करना अवैधानिक है।हाईकोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए सक्षम पुलिस अधिकारियों को दो माह के भीतर सील कवर प्रक्रिया खोलने के संदर्भ में आदेश करने का निर्देश दिया।