News18 : Oct 31, 2019, 10:30 AM
Chhath Puja 2019 | छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस का शुभारंभ 31 अक्टूबर यानी आज से हो रहा है. यह पर्व चार दिन तक चलता है. नहाय-खाय से लेकर उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने तक चलने वाले इस पर्व का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है. इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं. व्रत के दौरान वह पानी भी ग्रहण नहीं करते हैं. यह त्योहार पूर्वी भारत के बिहार, राझारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है. पारिवारिक सुख-समृध्दि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है. इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को होती है और यह कार्तिक शुक्ल सप्तमी को समाप्त होता है.छठ पूजा तिथि31 अक्टूबर 2019- नहाय-खाय1 नवंबर 2019- लोहंडा और खरना2 नवंबर 2019- संध्या अर्घ्य3 नवंबर 2019- सूर्योदय/ ऊषा अर्घ्य और पारणपहला अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्तछठ पूजा के दिन सूर्योदय - 2 नवंबर, 06:33 बजेछठ पूजा के दिन सूर्यास्त - 2 नवंबर, 05:35 बजे2 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय- 17:35 बजे3 नवंबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय- 06:34 बजेपूजा का विधानछठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. सूर्य प्रत्यक्ष रूप में दिखाई देने वाले देवता हैं जो पृथ्वी पर सभी प्राणियों के जीवन का आधार हैं. सूर्य देव के साथ-साथ छठ पर छठी मैया की पूजा का भी विधान है. पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी मैया या षष्ठी माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं. शास्त्रों में षष्ठी देवी को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री भी कहा गया है. पुराणों में इन्हें मां कात्यायनी भी कहा गया है, जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि पर होती है. षष्ठी देवी को हीबिहार-झारखंड की स्थानीय भाषा में छठ मैया कहा गया है.छठ पूजा विधिछठ पूजा से पहले निम्न सामग्री जुटा लें और फिर सूर्य देव को विधि विधान से अर्घ्य दें.बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास, चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी, नाशपती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई, प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू.अर्घ्य देने की विधिबांस की टोकरी में सभी सामान रखें. सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएं. फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें.