Reserve Bank Of India / विदेशी पैसे की देश में आएगी सुनामी, RBI वो करेगा जो आज तक नहीं हुआ

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। लिस्टेड कंपनियों में व्यक्तिगत विदेशी निवेश की सीमा 5% से बढ़ाकर 10% करने की योजना है। यह निर्णय विदेशी पूंजी प्रवाह को बढ़ाने और शेयर बाजार की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।

Reserve Bank Of India: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए ऐतिहासिक बदलाव की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, लिस्टेड कंपनियों में व्यक्तिगत विदेशी निवेशकों के लिए निवेश सीमा को 5% से बढ़ाकर 10% किया जा सकता है। इस कदम से विदेशी पूंजी प्रवाह को गति मिलेगी और भारतीय बाजारों को स्थिरता मिलेगी।

विदेशी निवेश में गिरावट और सरकार की चिंता

सितंबर 2024 के बाद से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 28 बिलियन डॉलर से अधिक भारतीय शेयर बाजार से निकाल लिए हैं। बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं, अमेरिकी टैरिफ की संभावनाओं और ऊंची वैल्यूएशन के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से दूरी बना रहे हैं।

RBI की रणनीति

RBI ने सरकार को लिखे पत्र में यह संकेत दिया है कि विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नियमों में तेजी से बदलाव किए जा सकते हैं। इसमें सभी विदेशी व्यक्तिगत निवेशकों को भारतीय लिस्टेड कंपनियों में अधिकतम 10% तक निवेश की अनुमति देने का प्रस्ताव शामिल है। वर्तमान में, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत प्रवासी भारतीय नागरिकों को 5% तक की हिस्सेदारी खरीदने की ही अनुमति है।

बदलाव से मिलने वाले फायदे

  1. निवेश का विस्तार: विदेशी निवेशकों के लिए सीमाएं बढ़ने से बाजार में अधिक पूंजी प्रवाहित होगी।

  2. शेयर बाजार को समर्थन: पिछले एक साल में विदेशी निवेशकों द्वारा भारी निकासी हुई है। नए नियमों से बाजार में स्थिरता आ सकती है।

  3. वैश्विक प्रतिस्पर्धा: अन्य देशों की तुलना में भारत निवेश के लिए अधिक आकर्षक बन सकता है।

चुनौतियां और संभावित जोखिम

हालांकि, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने विदेशी निवेश की निगरानी को लेकर कुछ चिंताएं व्यक्त की हैं। यदि किसी एक विदेशी निवेशक की हिस्सेदारी 10% हो जाती है और वह सहयोगियों के साथ 34% से अधिक नियंत्रण प्राप्त कर लेता है, तो अधिग्रहण नियम लागू हो सकते हैं। SEBI ने आगाह किया है कि बिना प्रभावी निगरानी के यह प्रक्रिया पारदर्शिता में बाधा बन सकती है।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

इस बदलाव से भारतीय कंपनियों को विदेशी पूंजी प्राप्त करने का बेहतर अवसर मिलेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है। हालांकि, सरकार और बाजार नियामकों को इस बदलाव के प्रभावों पर बारीकी से नजर रखनी होगी।