- भारत,
- 06-Apr-2025 08:15 PM IST
Reserve Bank Of India: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 54वीं बैठक 7 अप्रैल से शुरू हो रही है, और 9 अप्रैल को इसके निर्णयों की घोषणा की जाएगी। मौजूदा आर्थिक संकेतकों, वैश्विक परिदृश्य और घरेलू मांग को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई एक बार फिर से रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह फरवरी के बाद इस साल की दूसरी कटौती होगी, जिससे रेपो दर 6.0 प्रतिशत पर आ सकती है।
मुद्रास्फीति में नरमी: नीतिगत कटौती का आधार
फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति 3.61 प्रतिशत तक गिरकर सात महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई, जिसका प्रमुख कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी है। जनवरी में यह आंकड़ा 4.26 प्रतिशत और फरवरी 2024 में 5.09 प्रतिशत था। इस गिरावट ने आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करने का एक मजबूत आधार प्रदान किया है। केंद्रीय बैंक ने फरवरी में रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत किया था—जो मई 2020 के बाद पहली कटौती थी।
वैश्विक अस्थिरता और घरेलू दबाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 60 देशों पर टैरिफ लगाए जाने की घोषणा से वैश्विक व्यापार पर असर पड़ा है। भारत के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण होने के साथ-साथ अवसरों से भी भरी हुई है, क्योंकि इसके कई प्रतिस्पर्धी देश अब उच्च शुल्क का सामना कर रहे हैं। ऐसे समय में, घरेलू खपत और निवेश को प्रोत्साहित करना जरूरी हो गया है, और यही कारण है कि आरबीआई पर दरों में कटौती का दबाव बढ़ा है।
नीति निर्धारण में शामिल प्रमुख आवाजें
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में MPC में छह सदस्य होते हैं—तीन आरबीआई के और तीन सरकार द्वारा नियुक्त। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का मानना है कि वैश्विक घटनाक्रमों को देखते हुए एमपीसी को परंपरागत विश्लेषण से परे जाकर विचार करना होगा। वे मानते हैं कि तरलता की स्थिरता और मुद्रास्फीति के नियंत्रण में होने के कारण 0.25 प्रतिशत की कटौती की पूरी संभावना है।
औद्योगिक संगठनों की मिली-जुली राय
रेटिंग एजेंसी इक्रा को भी रेपो दर में कटौती की उम्मीद है, जबकि उद्योग मंडल एसोचैम का दृष्टिकोण थोड़ा सतर्क है। एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर का सुझाव है कि केंद्रीय बैंक को फिलहाल "देखो और इंतजार करो" की नीति अपनानी चाहिए, जिससे पहले से लागू तरलता उपायों का प्रभाव देखा जा सके।
रियल एस्टेट और निवेशकों की आशाएं
Signature Global के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने रेपो दर में कटौती को आवास क्षेत्र के लिए उत्प्रेरक बताया है। उनके अनुसार, सस्ती ब्याज दरें कर्ज लेने को प्रोत्साहित करेंगी, जिससे रियल एस्टेट में मांग बढ़ेगी। हालांकि, उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि वाणिज्यिक बैंक आरबीआई के निर्णय को ग्राहकों तक कितनी तेजी से और प्रभावी तरीके से पहुंचाते हैं।