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- 26-Apr-2025 11:03 AM IST
Reserve Bank Of India: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत में ही अब तक 57.5 टन सोना खरीदकर देश के कुल स्वर्ण भंडार को 879.6 टन तक पहुंचा दिया है। यह खरीदारी पिछले सात वर्षों में दूसरी सबसे बड़ी वार्षिक गोल्ड पर्चेज मानी जा रही है। यह कदम न सिर्फ भारत की आर्थिक रणनीति में बदलाव का संकेत देता है, बल्कि वैश्विक अस्थिरता के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखने की दूरदर्शिता भी दर्शाता है।
सोना: सिर्फ धातु नहीं, एक रणनीतिक संपत्ति
सोने को पारंपरिक रूप से संकट के समय में सुरक्षित निवेश (Safe Haven) के रूप में देखा जाता रहा है। यही कारण है कि आम निवेशकों के साथ-साथ अब RBI भी इसे अपने विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा बना रहा है। मौजूदा समय में जब दुनिया आर्थिक अनिश्चितता से जूझ रही है और डॉलर जैसी प्रमुख करेंसी में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, RBI का यह कदम बेहद रणनीतिक माना जा रहा है।
क्यों बढ़ रही है गोल्ड की खरीदारी?
RBI की यह लगातार गोल्ड खरीद वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए की जा रही है। अमेरिका और यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं में छाई मंदी, डॉलर की अस्थिरता, और भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारणों से अब दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपनी विदेशी मुद्रा संपत्तियों में विविधता ला रहे हैं। भारत भी इसी वैश्विक ट्रेंड का अनुसरण करते हुए अपने रिजर्व को सुरक्षित और संतुलित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
सोने की खरीद का ट्रेंड
पिछले कुछ वर्षों में RBI की गोल्ड खरीद के आंकड़े इस रणनीति को स्पष्ट करते हैं:
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2021-22: 66 टन
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2022-23: 35 टन
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2023-24: 27 टन
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2024-25 (अब तक): 57.5 टन
डोनाल्ड ट्रंप के नवंबर 2024 में दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद डॉलर में आई अस्थिरता ने सोने की ओर रुझान को और तेज कर दिया है। RBI की यह सक्रिय नीति न सिर्फ विदेशी मुद्रा भंडार की विविधता बढ़ा रही है, बल्कि जोखिम को भी कम कर रही है।
कहां रखा है भारत का सोना?
भारत का अधिकांश स्वर्ण भंडार इंग्लैंड और अन्य विदेशी बैंकों में सुरक्षित रूप से जमा है। यह व्यवस्था वर्षों पुरानी है और वैश्विक व्यापारिक मानकों के अनुरूप मानी जाती है। वर्ष 2024 की पहली तिमाही में भारत विश्व के सबसे अधिक सोना खरीदने वाले देशों में शामिल रहा, जो कि इस नीति की गंभीरता को दर्शाता है।
संकट में काम आने वाला हथियार
वित्तीय विशेषज्ञ मानते हैं कि सोना एक ऐसा संसाधन है जो विदेशी कर्ज चुकाने, मुद्रा संकट के समय मुद्रा स्थिरीकरण करने और अंतरराष्ट्रीय भुगतान संतुलन बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाता है। इसके साथ ही, बढ़ता स्वर्ण भंडार भारतीय रुपये को वैश्विक मुद्रा बाज़ार में मजबूती प्रदान करने में भी सहायक हो सकता है।
RBI की नीति, भारत की सुरक्षा
RBI की यह आक्रामक गोल्ड पॉलिसी केवल एक तात्कालिक कदम नहीं, बल्कि भारत की दीर्घकालिक आर्थिक रणनीति का हिस्सा है। इसका उद्देश्य है देश को वैश्विक वित्तीय अस्थिरता से सुरक्षित रखना, मुद्रा भंडार को संतुलित करना और भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना।