भारत-चीन तनाव / सरहद पर बाज नहीं आ रहा चीन, नई साजिश, लद्दाख के डेपसांग में नफरी बढ़ा नया मोर्चा खोला

भारत और चीन के बीच सरहदी तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। हमेशा से धोखेबाजी करता आया चीन एक बार फिर से नई साजिश रच रहा है। गलवान घाटी में विवाद के बाद अब उत्तरी लद्दाख के डेपसांग सरहद पर उसने नया मोर्चा खोल दिया है। इसके बाद दौलत बेग ओल्‍डी (डीबीओ) में भारतीय सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई है। 2013 में भी इस क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच लंबा तनाव देखा जा चुका है।

Vikrant Shekhawat : Jun 24, 2020, 10:02 PM
नई दिल्‍ली | भारत और चीन के बीच सरहदी तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। हमेशा से धोखेबाजी करता आया चीन एक बार फिर से नई साजिश रच रहा है। गलवान घाटी में विवाद के बाद अब उत्तरी लद्दाख के डेपसांग सरहद पर उसने नया मोर्चा खोल दिया है। इसके बाद दौलत बेग ओल्‍डी (डीबीओ) में भारतीय सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई है। 2013 में भी इस क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच लंबा तनाव देखा जा चुका है। साथ ही यह भी खबर आ रही है कि गलवान घाटी (Galwan Valley) में एक बार फिर से चीनी सेना के अतिक्रमण कर रहा है। गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच जहां 15 जून को झड़प हुई थी वहां चीन के सैनिकों की फिर से वापसी हो गई है। सूत्रों का कहना है कि चीन के सैनिकों ने पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर टेंट लगा लिया है।

भारत ने भी चीन की चुनौती से निपटने के लिए कमर कस ली है और भारत ने अपने सबसे अच्छे टी-90 टैंकों को लद्दाख में तैनात कर दिया है। भारत-चीन के बीच लद्दाख में शुरू हुए सीमा विवाद को अब दो महीने बीतने वाले हैं। खबरों के मुताबिक चीन ने अपनी सीमा में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों, तोपों और सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है। जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत ने भी अपने सबसे भरोसेमंद हथियार को लद्दाख के मोर्चे पर पहुंचाने के साथ ही नफरी बढ़ानी शुरू कर दी है।

टी-90 टैंकों की तैनाती

लद्दाख में भारत ने 2016 में टैंकों की पहली ब्रिगेड तैनात की थी. इसमें टी-72 टैंक तैनात किए गए थे. लेकिन चीन की तरफ से टी 95 टैंकों की तैनाती की खबरों के बाद भारतीय सेना ने टी 90 टैंकों को मैदान में उतार दिया है। लद्दाख के खुले मैदान टैंकों के लिए बहुत अच्छा मौका देते हैं। यहां पूर्वी लद्दाख के स्पांगुर गैप से होकर सीधे चीन के अंदर जा सकते हैं। इसके अलावा डेमचौक इलाक़े में जिसे इंडल वैली कहते हैं, के पांच महत्वपूर्ण पासों की सुरक्षा का ज़िम्मा भी ये टैंक संभाल सकते हैं। दोनों ही इलाकों में खुले हुए मैदान हैं जहां टैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। 1962 की लड़ाई में भी भारतीय सेना ने लद्दाख के मोर्चे पर हल्के एएसएक्स टैंकों को भेजा था। इन टैंकों ने चुशूल, पेंगांग झील इलाक़े में चीनी सेना का डटकर मुक़ाबला किया था और उसे रोका था। भारतीय सेना जानती है कि पूर्वी लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान में अच्छे टैंक लड़ाई का रुख बदल सकते हैं। यहां जमीन रेतीली है इसलिए टैंकों के जरिए तेजी से आगे बढ़ना आसान है। स्पांगुर गैप या डेमचौक दोनों ही जगहों से चीन का महत्वपूर्ण जी 219 हाईवे 50 किमी से ज्यादा दूर नहीं है। अगर लड़ाई भड़की तो चीन के लिए इस हाईवे की सुरक्षा करना सबसे ज़रूरी होगा। उस समय ये हाईवे भारतीय टैंकों के लिए आसान निशाना होंगे।