Vikrant Shekhawat : Apr 14, 2021, 07:27 AM
बहराइच: मानव -वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं से चिंतित वन महकमे के अफसरों ने इस पर नियंत्रण को पिछले वर्ष कार्य योजना बनाई थी। आंवटित धन से 2 ड्रोन, खाबड़, वन्यजीव को पकड़ने के अभियान को हमला प्रतिरोधक कपड़े, बख्तरबंद ट्रैक्टर की व्यवस्था की गई थी। बुधवार को खैरीघाट के सोहबतिया के मठरहनपुरवा में तेंदुए को पकड़ने में ड्रोन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।खैरीघाट थाने के सोहबतिया के मजरे मठरहनपुरवा में बुधवार की सुबह एकाएक पलक झपकते ही मादा तेंदुए ने 11 लोगों को घायल किया था। इससे पहले इस इलाके में ऐसी कोई तेंदुए की गतिविधि नहीं दिखाई दी थी। जिससे वन महकमा या ग्रामीण सतर्कता बरतने की स्थिति में होते। यही नहीं तेंदुआ हमले की वारदात के बाद बांके के खेत जिसमें गेहूं की तैयार फसल कटने को खड़ी थी। उसमें छिपे तेंदुए की लोकेशन नहीं मिल पा रही थी। बुधवार सुबह 7 बजे के बाद से हवा चलने पर पूरी फसल लहरा उठती थी। तेंदुआ किस जगह छिपा है, इसकी रंच मात्र जानकारी नहीं मिल पा रही थी। कतर्नियाघाट से बख्तरबंद ट्रैक्टर आ चुका था। खेत से काफी दूरी पर खाबड़ की दीवार खड़ी की गई। खाबड़ कम पड़े तो वहां आए विभिन्न अफसरों के वाहनों को खड़ा कर दीवार बनाई गई। लखनऊ जू व पीलीभीत टाइगर रिजर्व के विशेषज्ञ भी पहुंच गए। तेंदुए की लोकेशन नहीं मिल पा रही थी। ड्रोन तैयार था पर इसकी आवाज से तेंदुआ भाग न जाए इसकी भी आशंका थी। मोतीपुर, नानपारा, खैरीघाट, मटेरा इन चार थानों का भारी पुलिस बल था पर दूसरी ओर एक दर्जन गांवों से आई लगभग 10 हजार लोगों की भीड़ अनुरोध पर भी नहीं जा रही थी। मानव वन्यजीव संघर्ष को टालने की योजना कभी भी धराशाई हो सकती थी। जिस पर डीएफओ मनीष कुमार सिंह ने वन कर्मियों को हमला प्रतिरोधक वस्त्र में तैयार देखा तो ड्रोन की मदद लेने का फैसला किया। यह पहली बार देखा गया कि आक्रामक होने के बाद तेंदुए की कोई भी हल्की सी गतिविधि भी मयस्सर नहीं थी। ड्रोन धीरे धीरे नीचे लाया गया। जैसे ही तेंदुए की हल्की झलक मिली। पलक झपकते ही ट्रेंकुलाइजेशन एक्सपर्ट ने कार्यवाई कर उसे बेहोश कर पिंजरे में कैद कर लिया। तब तक भी भीड़ नहीं हटी थी। 12 घंटे बीत चुके थे। डीएफओ बताते है कि इस अभियान में ड्रोन का महत्वपूर्ण सहयोग रहा, जिससे यह अभियान सफल हो सका।