India vs China / चीन से अदावत बन सकती है रुकावट, करोड़ों डॉलर का ये इंवेस्टमेंट प्लान रोक सकती है सरकार?

भारत को दुनिया के किसी भी देश से एफडीआई या अन्य तरह का निवेश करने को लेकर कोई आपत्ति हो या ना हो, लेकिन उसे चीन का पैसा बिलकुल नागवार है. तभी तो चीन की एक बड़ी कंपनी जहां भारत में करोड़ों डॉलर का निवेश करने की इच्छुक है, तो वहीं दूसरी ओर खबर है कि मोदी सरकार इसे लेकर उतनी रोमांचित नहीं. संभावना तो ये भी है कि कंपनी का इंवेस्टमेंट प्लान अटक भी सकता है.

Vikrant Shekhawat : Jul 16, 2023, 12:06 AM
India vs China: भारत को दुनिया के किसी भी देश से एफडीआई या अन्य तरह का निवेश करने को लेकर कोई आपत्ति हो या ना हो, लेकिन उसे चीन का पैसा बिलकुल नागवार है. तभी तो चीन की एक बड़ी कंपनी जहां भारत में करोड़ों डॉलर का निवेश करने की इच्छुक है, तो वहीं दूसरी ओर खबर है कि मोदी सरकार इसे लेकर उतनी रोमांचित नहीं. संभावना तो ये भी है कि कंपनी का इंवेस्टमेंट प्लान अटक भी सकता है.

चीन की बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चर कंपनी बीवाईडी भारत में 1 अरब डॉलर तक निवेश करने का प्लान बना रही है. इससे कंपनी भारत में इलेक्ट्रिक कार और बैटरी बनाने की शुरुआत करना चाहती है, जिसके लिए वह एक भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी भी कर रही है. लेकिन सरकारी महकमे में इस डील या इंवेस्टमेंट प्लान को लेकर कोई खास रोमांच नहीं दिख रहा है.

चीन से अदावत बनी रुकावट

रिपोर्ट के मुताबिक बीवाईडी ने अपना निवेश प्लान सरकार के पास जमा करा दिया है. हालांकि गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अंदर चीन की कंपनी के इस इंवेस्टमेंट प्लान को लेकर एक असहजता देखी जा रही है.

वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की कोशिश रही है कि देश के अहम सेक्टर्स में चीनी कंपनियों के प्रवेश को रोका जाए. सरकार इसके पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क देती है. देश में जब चीन की कई सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन लगा था, तब भी सरकार की ये मंशा जाहिर हुई थी और तब भी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही इन ऐप्स पर ये बैन लगाया था.

चीनी सरकार का होता है कंपनियों में दखल

खबर के मुताबिक भारत सरकार की चिंता इस बात को लेकर है कि कई भारतीय कंपनियों के ‘जॉइंट वेंचर्स’ चीनी कंपनियां बनवाती हैं. इसमें कुछ को वहां की सरकार का समर्थन भी हासिल होता है. इन जॉइंट वेंचर में चीन का पैसा भारी मात्रा में निवेश किया जाता है और इनका नियंत्रण भी लगभग उन्हीं के हाथ में रहता है.

इस स्थिति में भारतीय कंपनी महज एक डमी कंपनी बनकर रह जाती है. जॉइंट वेंचर की टेक्नोलॉजी, डिसिजन मेकिंग पर उसका बहुत ज्यादा नियंत्रण नहीं रहता है. इसी के साथ चीनी कंपनियों में चीन की सरकार के दखल की टेंशन भी भारत सरकार को है.

बीवाईडी के मामले में भी सरकार की चिंता इसी तरह की है. चीन की ये कंपनी भारत के मार्केट में अग्रेसिव तरीके से बढ़त बनाने की इच्छा रखती है. इसके लिए कंपनी भारत में बीवाईडी ब्रांड नाम के तहत इलेक्ट्रिक व्हीकल की एक पूरी रेंज उतारना चाहती है. बीवाईडी ने हैदराबाद की एक प्राइवेट कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ मिलकर भारत में निवेश करने का प्लान बनाया है.