COVID-19 Update / सबसे ज्यादा वैक्सीन लगाने के बाद भी कोरोना से त्रस्त है ये देश, WHO भी चिंतित

कोरोना वायरस से बचाव का सबसे कारगर उपाय वैक्सीन ही माना जा रहा है। हालांकि, अफ्रीकी देश सेशेल्स में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले को लेकर लोग एक बार फिर वैक्सीन को संदेह की नजरों से देखने लगे हैं। आपका बता दें कि दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन का काम सेशेल्स में ही हुआ है। 7 मई तक सेशेल्स में कोरोना के दोगुने मामले सामने आ चुके थे

Vikrant Shekhawat : May 12, 2021, 04:24 PM
Delhi: कोरोना वायरस से बचाव का सबसे कारगर उपाय वैक्सीन ही माना जा रहा है। हालांकि, अफ्रीकी देश सेशेल्स में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले को लेकर लोग एक बार फिर वैक्सीन को संदेह की नजरों से देखने लगे हैं। आपका बता दें कि दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन का काम सेशेल्स में ही हुआ है। 7 मई तक सेशेल्स में कोरोना के दोगुने मामले सामने आ चुके थे, जिसके बाद से ये पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन चुका है। सेशेल्स के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, यहां पिछले हफ्ते से कोरोना के एक्टिव मामले दोगुने हो गए हैं। कोरोना के नए मामलों की संख्या 2,486  तक पहुंच गई है। हैरत की बात ये है कि इनमें से 37 फीसदी वो लोग हैं जो वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके हैं।

सेशेल्‍स में 57 फीसदी लोगों को चीन की सिनोफार्म और बाकी लोगों को भारत में बनी ऑक्‍सफोर्ड की कोविशील्‍ड वैक्‍सीन लगाई गई है। भारत में भी अधिकतर लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन ही लग रही है, ऐसे में ये भारत के लिए भी चिंता की बात है। हालांकि, सेशेल्‍स न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन लेने वाले किसी भी संक्रमित की अब तक मौत नहीं हुई है।

100,000 से भी कम आबादी वाले सेशेल्‍स में टीकाकरण अभियान बहुत तेजी से चलाया गया था। हालांकि बढ़ते मामलों के बाद पिछले हफ्ते यहां फिर से स्कूलों को बंद और खेल आयोजनों को रद्द करने का फैसला लिया गया है। लोगों के मिलने-जुलने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। 

सेशेल्‍स में पर्यटन ही ज्यादातर लोगों के जीवनयापन का जरिया है। पर्यटकों के लिए ये जगह जल्द खोली जा सके, इसके लिए यहां वैक्सीनशेन का काम जोरों पर किया गया था। डार्टमाउथ जिसेल स्कूल ऑफ मेडिसिन के क्लिनिकल प्रोफेसर डैनियल लूसी ने अपने ब्लॉग में कहा था सेशेल्‍स में अप्रैल के जेनेटिक सिक्वेंसिंग का डेटा अब तक उपलब्ध नहीं हो सका है।

प्रोफेसर डैनियल लूसी ने लिखा है कि सेशेल्‍स में फरवरी के महीने में दक्षिण अफ्रीका का वेरिएंट B।1।351 पाया गया था। एक स्टडी के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन इस वेरिएंट पर कम कारगर पाई गई है। यही वजह है कि दक्षिण अफ्रीका ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर रोक लगा दिया है।

वैक्सीन पर उठ रहे सवालों के बीच WHO ने भी चिंता जाहिर की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि बिना किसी समीक्षा के ये नहीं कहा जा सकता है कि वैक्सीन काम नहीं कर रही है। सेशेल्स में बढ़ रहे मामलों का मूल्यांकन किया जा रहा है।

WHO के वैक्सीन और बायोलॉजिकल विभाग के डायरेक्‍टर केट ओ ब्रायन ने एक ब्रीफिंग में कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन सेशेल्‍स की सरकार के साथ सीधे संपर्क में है। उन्‍होंने कहा कि मामले को समझने के लिए वायरस के स्‍ट्रेन और इसकी गंभीरता की समीक्षा की जरूरत है।

हालांकि सेशेल्‍स की सरकार और WHO दोनों का कहना है कि कोरोना से संक्रमित जितने भी लोग पाए गए हैं उनमें से ज्यादातर लोगों ने या तो वैक्सीन नहीं लगवाई थी या फिर इसकी एक डोज ही लगवाई थी। जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज ली थी, उनमें से किसी की भी कोरोना से मौत नहीं हुई है। कोरोना के गंभीर मामले वैक्सीन ना लगवाने वालों में ही देखे जा रहे हैं।

WHO का कहना है कि वो सेशेल्‍स की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है। संगठन का कहना है कि सिर्फ वैक्सीन लगवाने से संक्रमण को फैलने से नहीं रोका जा सकता है। लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने और हाथ धोने जैसे नियम बरकरार रखने होंगे।