श्रीनगर / अलगाववादियों और मुख्यधारा के नेताओं पर राज्यपाल का तंज- किसी ने आतंकवाद में अपनों को नहीं खोया

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मंगलवार को अलगाववादियों और राज्य के मुख्यधारा के नेताओं पर तंज कसा। राज्यपाल ने कहा कि इन लोगों में से किसी ने भी आतंकवाद में अपने को नहीं खोया है। पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस का नाम लिए बगैर सत्यपाल मलिक ने कहा- ये नेता और अलगाववादी दूसरों को तो जिहाद से जन्नत का रास्ता दिखाते हैं, जबकि इनके अपने बच्चे तो विदेशों में पढ़ रहे हैं। यहां यही सब चल रहा है।

Dainik Bhaskar : Oct 23, 2019, 12:27 PM
श्रीनगर | जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मंगलवार को अलगाववादियों और राज्य के मुख्यधारा के नेताओं पर तंज कसा। राज्यपाल ने कहा कि इन लोगों में से किसी ने भी आतंकवाद में अपने को नहीं खोया है। पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस का नाम लिए बगैर सत्यपाल मलिक ने कहा- ये नेता और अलगाववादी दूसरों को तो जिहाद से जन्नत का रास्ता दिखाते हैं, जबकि इनके अपने बच्चे तो विदेशों में पढ़ रहे हैं। यहां यही सब चल रहा है।

राज्यपाल ने कहा- करीब 200 युवाओं से मैंने खुद बात की

उन्होंने कहा- प्रभावशाली और ताकतवर लोगों ने कश्मीर के युवाओं के सपने को कुचल दिया और उनकी जिंदगी तबाह कर दी। वक्त है कि कश्मीर का युवा सच को समझे। आपके पास रहने के लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह है। आप आगे आएं और इस नए दौर का हिस्सा बनें।

राज्यपाल बोले- सामाज के मुखिया, धर्मगुरुओं, मौलवियों, हुर्रियत नेताओं, मुख्यधारा के दलों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल आम कश्मीरी के बच्चों को मारने के लिए किया। न तो इनका कोई अपना कभी आतंकवाद में मारा गया और न ही इनके परिवार का कोई व्यक्ति आतंकवाद में शामिल हुआ। 

उन्होंने कहा- जबसे मैं राज्यपाल बना हूं, तबसे इंटेलीजेंस मुझे इस बारे में नहीं बता रही है। वे हमें या दिल्ली को जानकारी नहीं दे रहे हैं। मैंने खुद 150-200 युवाओं से बातचीत की है। मैंने स्कूलों-कॉलेजों में कार्यक्रमों के दौरान उन युवाओं को भी पहचानने की कोशिश की जो राष्ट्रगान के दौरान खड़े नहीं होते हैं। 

सत्यपाल मलिक ने कहा, "मैंने 25-30 साल के युवाओं बात की। जिनके सपने कुचल दिए गए थे और उन्हें गुमराह किया। वे अब गुस्से में हैं, वे हुर्रियत, हमें या दिल्ली को नहीं चाहते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उन्हें बताया गया है कि मौत के बाद ही जन्नत नसीब होगी।'

"मैं राज्य के लोगों से कहना चाहता हूं कि कश्मीर को दिल्ली के हाथों में सौंप दीजिए, जिसने आपके लिए खजाने का रास्ता खोला है। हम आपसे कश्मीर को किसी भी तरह से छीनना नहीं चाहते हैं। 22 हजार कश्मीरी बच्चे आज राज्य से बाहर हैं। उन्हें शिक्षा के लिए बाहर क्यों जाना पड़ा? क्योंकि यहां स्तरीय शिक्षा मुहैया ही नहीं करवाई जा सकी। अगर कश्मीर को मिले पैसे का सही इस्तेमाल हुआ होता तो आपके घरों की छतेें सोने की बनी होतीं।'