Vikrant Shekhawat : May 24, 2022, 05:21 PM
वाराणसी। उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित ज्ञानवापी मामले पर वाराणसी जिला अदालत में सुनवाई टल गई है। कोर्ट अब 26 मई को इस मामले पर सुनवाई करेगा। जिला जज की अदालत सबसे पहले इस केस की पोषणीयता पर सुनवाई करेगा। कोर्ट में सबसे पहले आर्डर 7 रूल 11 पर सुनवाई होगी। इस मामले में सरकारी वकील राणा संजीव सिंह ने बताया कि अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई के लिए 26 मई की तारीख मुकर्रर की है। उन्होंने बताया कि यह मुकदमा चलाने लायक है या नहीं, इस पर अदालत 26 मई को सुनवाई करेगी।
दरअसल, मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील दी गई थी कि 1991 प्लेसेज़ ऑफ़ वरशिप एक्ट की वजह से हिंदू पक्ष का वाद ख़ारिज कर दिया जाए। ऐसे में कोर्ट अब सबसे पहले इस केस की पोषणीयता पर सुनवाई होगा।हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने जिला अदालत के बाहर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया, ‘सीपीसी की ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत इस मामले को खारिज करने की मुस्लिम पक्ष की अपील पर अदालत 26 मई को सुनवाई करेगी। कोर्ट ने दोनों पक्षों से जांच आयोग की रिपोर्ट पर एक हफ्ते के भीतर अपनी आपत्तियां दर्ज कराने को कहा है।’दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिला जज की अदालत सबसे पहले आर्डर 7 रूल 11 पर सुनवाई करे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को ज्ञानवापी शृंगार गौरी परिसर मामले को वाराणसी सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत से जिला जज के न्यायालय में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले की संवेदनशीलता और जटिलता को देखते हुए यह बेहतर है कि कोई अनुभवी न्यायिक अधिकारी इस मामले की सुनवाई करे।इस पर अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता मोहम्मद तौहीद खान ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने अदालत में याचिका दायर करके कहा है कि यह मुकदमा चलाने लायक नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाए। वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के नियमित पूजन-अर्चन के लिए अदालत में याचिका दायर की है।इससे पहले वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने राखी सिंह तथा अन्य की याचिका पर ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था। सर्वेक्षण का यह काम पिछली 16 मई को पूरा हुआ था, जिसके बाद इसकी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी गई थी।हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने के अंदर कथित रूप से शिवलिंग मिलने का दावा किया था। उधर मुस्लिम पक्ष इसे वजूखाना में स्थित पुराना फव्वारा बता रहा था।
दरअसल, मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील दी गई थी कि 1991 प्लेसेज़ ऑफ़ वरशिप एक्ट की वजह से हिंदू पक्ष का वाद ख़ारिज कर दिया जाए। ऐसे में कोर्ट अब सबसे पहले इस केस की पोषणीयता पर सुनवाई होगा।हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने जिला अदालत के बाहर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया, ‘सीपीसी की ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत इस मामले को खारिज करने की मुस्लिम पक्ष की अपील पर अदालत 26 मई को सुनवाई करेगी। कोर्ट ने दोनों पक्षों से जांच आयोग की रिपोर्ट पर एक हफ्ते के भीतर अपनी आपत्तियां दर्ज कराने को कहा है।’दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिला जज की अदालत सबसे पहले आर्डर 7 रूल 11 पर सुनवाई करे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले शुक्रवार को ज्ञानवापी शृंगार गौरी परिसर मामले को वाराणसी सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत से जिला जज के न्यायालय में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामले की संवेदनशीलता और जटिलता को देखते हुए यह बेहतर है कि कोई अनुभवी न्यायिक अधिकारी इस मामले की सुनवाई करे।इस पर अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता मोहम्मद तौहीद खान ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने अदालत में याचिका दायर करके कहा है कि यह मुकदमा चलाने लायक नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाए। वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के नियमित पूजन-अर्चन के लिए अदालत में याचिका दायर की है।इससे पहले वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने राखी सिंह तथा अन्य की याचिका पर ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था। सर्वेक्षण का यह काम पिछली 16 मई को पूरा हुआ था, जिसके बाद इसकी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी गई थी।हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने के अंदर कथित रूप से शिवलिंग मिलने का दावा किया था। उधर मुस्लिम पक्ष इसे वजूखाना में स्थित पुराना फव्वारा बता रहा था।