Vikrant Shekhawat : Jun 04, 2021, 04:19 PM
MP: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, बेटी है तो कल है जैसे स्लोगन पोस्टर बैनरों और विज्ञापनों में तो बड़े अच्छे लगते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के बैतूल में तस्वीर जरा अलग है। यहां के ग्रामीण इलाकों में बेटियों को पानी की एक-एक बूंद के लिए रोजना जान जोखिम में डालनी पड़ रही है और इसके बाद भी इन बेटियों को इतना गन्दा मटमैला पानी पीने को मिलता है जिसे शायद ही कोई पीना चाहेगा। बेटियों की इस दुर्दशा पर ग्राम पंचायत से लेकर जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन भी मौन साधकर बैठे हैं। पढ़ें ये पूरी रिपोर्ट
गांव वाले सभी जगह गुहार लगा चुके हैं मगर हर साल गर्मी में यही हालात बन जाते हैं। गर्मी के मौसम में बोरखेड़ी मैं लगा एक हेड पंप दम तोड़ने लगा है। घंटों तक चलाने के बाद भी इस हेड पंप से पानी नहीं आता है। जिसके चलते ग्रामीणों को एकदम से वापस होकर गांव से लगभग एक किलोमीटर दूरी पर बने एक कुआं में पानी भरने जाना पड़ता है।बैतूल से 80 किलोमीटर की दूर इस गांव की आबादी करीब 600 है। कुएं में पानी का स्तर नीचे चले जाने के कारण रस्सी बाल्टी के सहारे पानी नही भर पाते। जान जोखिम में डालकर टेढ़े-मेढे़ और चिकने पत्थरों पर पैर रखकर पांच बच्चियां कुएं में उतरती है। इनमें से एक बालिका सबसे नीचे उतर जाती है तो एक बीच में खड़ी रहती है, जबकि बाकी 3 बच्चियां कुएं से कुछ नीचे उतर कर खड़ी हो जाती है, जो पानी भरकर ऊपर तक पहुंचाती है।कुएं में उतरने वाली बच्ची राधा का कहना है कि दसवीं कक्षा पढ़ती हूं पिछले 3 माह से गंदा पानी पी रहे हैं। कुएं में उतरने में डर तक लगता है, लेकिन मजबूरी में उतरना पड़ता है। वहीं ग्रामीण महिला रुकमा बाई का कहना है कि पूरे गांव के लोग पानी भरने आते हैं कुएं का गंदा पानी पीना पड़ता है कोई मदद नहीं करता है। बच्चियों को पानी भरने के लिए उतारना पड़ता है। युवा ग्रामीण शानमन कस्देकर का कहना है कि पानी की बहुत बड़ी समस्या है और इसको लेकर सभी को बोला है लेकिन कोई मदद करने आगे नहीं आता है। मजबूरी है कि कुआं का पानी पीना पड़ रहा है।भैंसदेही एसडीएम कैलाश चंद परते का कहना है कि इस संबंध में मुझे जानकारी मिली है मैंने सीईओ जनपद पंचायत और पीएचई वालों को निर्देश दिए हैं कि इस गांव की पानी की समस्या का निराकरण किया जाए।
गांव वाले सभी जगह गुहार लगा चुके हैं मगर हर साल गर्मी में यही हालात बन जाते हैं। गर्मी के मौसम में बोरखेड़ी मैं लगा एक हेड पंप दम तोड़ने लगा है। घंटों तक चलाने के बाद भी इस हेड पंप से पानी नहीं आता है। जिसके चलते ग्रामीणों को एकदम से वापस होकर गांव से लगभग एक किलोमीटर दूरी पर बने एक कुआं में पानी भरने जाना पड़ता है।बैतूल से 80 किलोमीटर की दूर इस गांव की आबादी करीब 600 है। कुएं में पानी का स्तर नीचे चले जाने के कारण रस्सी बाल्टी के सहारे पानी नही भर पाते। जान जोखिम में डालकर टेढ़े-मेढे़ और चिकने पत्थरों पर पैर रखकर पांच बच्चियां कुएं में उतरती है। इनमें से एक बालिका सबसे नीचे उतर जाती है तो एक बीच में खड़ी रहती है, जबकि बाकी 3 बच्चियां कुएं से कुछ नीचे उतर कर खड़ी हो जाती है, जो पानी भरकर ऊपर तक पहुंचाती है।कुएं में उतरने वाली बच्ची राधा का कहना है कि दसवीं कक्षा पढ़ती हूं पिछले 3 माह से गंदा पानी पी रहे हैं। कुएं में उतरने में डर तक लगता है, लेकिन मजबूरी में उतरना पड़ता है। वहीं ग्रामीण महिला रुकमा बाई का कहना है कि पूरे गांव के लोग पानी भरने आते हैं कुएं का गंदा पानी पीना पड़ता है कोई मदद नहीं करता है। बच्चियों को पानी भरने के लिए उतारना पड़ता है। युवा ग्रामीण शानमन कस्देकर का कहना है कि पानी की बहुत बड़ी समस्या है और इसको लेकर सभी को बोला है लेकिन कोई मदद करने आगे नहीं आता है। मजबूरी है कि कुआं का पानी पीना पड़ रहा है।भैंसदेही एसडीएम कैलाश चंद परते का कहना है कि इस संबंध में मुझे जानकारी मिली है मैंने सीईओ जनपद पंचायत और पीएचई वालों को निर्देश दिए हैं कि इस गांव की पानी की समस्या का निराकरण किया जाए।