देश / पुलवामा हमले की कैसे रची गई थी साजिश, हुआ अब तक का सबसे बड़ा खुलासा

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को हुए आतंकी हमले को अभी भी देश भूल नहीं सका है। आज भी लोगों के जेहन में वो मंजर ताजा हैं जब आतंकियों ने विस्फोटक से भरी गाड़ी को सीआरपीएफ के ट्रक से टकरा दिया था, जिसमें 40 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के एक साल अब इस बात का खुलासा हुआ है कि आखिर आतंकियों के पास इतनी मात्रा में विस्फोट आया कहां से था।

News18 : May 26, 2020, 10:12 AM
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पुलवामा (Pulwama) में 14 फरवरी 2019 को हुए आतंकी हमले (Terrorist Attack) को अभी भी देश भूल नहीं सका है। आज भी लोगों के जेहन में वो मंजर ताजा हैं जब आतंकियों ने विस्फोटक से भरी गाड़ी को सीआरपीएफ (CRPF) के ट्रक से टकरा दिया था, जिसमें 40 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के एक साल अब इस बात का खुलासा हुआ है कि आखिर आतंकियों के पास इतनी मात्रा में विस्फोट आया कहां से था। इस हमले में ​इस्तेमाल बारूद की जांच कर रहे अधिकारियों ने खुलासा किया है कि आतंकियों ने इस साजिश को पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया था।

हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक अधिकारियों ने इस पूरी घटना का खुलासा करते हुए कहा कि आतंकियों ने बम बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सामान की छिटपुट चोरी को अंजाम दिया था। बड़ा हमला करने के लिए आतंकियों ने पत्थर की खदानों से लगभग 500 जिलेटिन छड़े चोरी की थीं। इसके साथ ही उन्होंने अमोनियम नाइट्रेट और अमोनियम पाउडर को आसपास की दुकानों से छोटी-छोटी मात्रा में खरीदा, जिससे किसी को उन पर शक ही न हो। इसके साथ ही आरडीएक्स को कई बार में छोटी-छोटी मात्रा में पाकिस्तान से मंगाया गया था।

पुलवामा हमले के लिए ​विस्फोटक सामग्री कैसे हासिल की गई इसकी जानकारी देते हुए एक काउंटर इंसर्जेंसी अधिकारी ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद कमांडर मुदस्सिर अहमद खान (11 मार्च, 2019 को पिंगलिश में एक मुठभेड़ में मारा गया), इस्माइल भाई उर्फ लम्बू (वर्तमान में कश्मीर में मुख्य जेएम कमांडर), समीर अहमद डार (घाटी में जैश का दूसरा कमांडर) और शाकिर बशीर माग्रे (28 फरवरी, 2020 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार) ने खादानों से और खेव (पुलवामा), खुन्नम (श्रीनगर), त्राल, अवंतीपोरा और लेथपोरा क्षेत्रों में चट्टानों को तोड़ने वाली कंपनी में इस्तेमाल होने वाली जिलेटिन की छड़ों को धीरे-धीरे चोरी किया।

प्लानिंग से इकट्ठा किया गया था सामान

बता दें कि जिलेटिन की छेड़ें जिसमें नाइट्रोग्लिसरीन होता है, इसे खुफिया एजेंसियों से बचाने के लिए 5 किलो और 10 किलो की मात्रा में ही इकट्टठा किया गया। अधिकारी ने बताया कि अमोनियम नाइट्रेट (लगभग 70 किलोग्राम) और अमोनियम पाउडर को स्थानीय बाजार से ही खरीदा गया था जबकि 35 किलोग्राम आरडीएक्स पाकिस्तान से लाया गया था।


पाकिस्तान से छोटी-छोटी मात्रा में मंगाया गया आरडीएक्स

मामले की जांच कर रहे फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने पहले ही इस बात की पुष्टि कर दी थी कि आत्मघाती हमले में अमोनियम नाइट्रेट, नाइट्रोग्लिसरीन और आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था। गृह मंत्रालय (एमएचए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ​हमले के तुरंत बाद एनआईए ने सभी साक्ष्य इकट्ठे कर लिए थे। विस्फोटक सामग्री कैसे एकत्र की गई थी और डिलीवरी के पीछे कौन लोग थे, इसका पता लगाया जा चुका था। उन्होंने बताया कि आरडीएक्स बहुत छोटी-छोटी मात्रा में पाकिस्तान से भारत भेजा गया था। बताया जाता है कि जैश के आतंकी भारत में चुपके से दाखिल हुए थे।


पहले भी चोरी के मामले सामने आते रहे हैं

बता दें कि जिलेटिन की छड़ें खुलेआम नहीं मिलती है। ये छड़े सरकार की ओर से अधिकत्रत कंपनियों या फिर सरकारी विभाग जैसे भूविज्ञान विभाग को ही दी जाती हैं।हालांकि पहले भी जांच में पता चला है कि पहाड़ों/चट्टानों को नष्ट करने के लिए खदानों में इस्तेमाल होने वाले विस्फोटक अपराधियों और आतंकवादियों के हाथों में पहुच जाते हैं।