AajTak : Sep 21, 2020, 03:52 PM
Delhi: ग्लोबल वार्मिंग और जहरीली गैसों की वजह से दुनियाभर के ग्लेशियरों की बर्फ पिघलने की वजह से अगले 80 सालों में समुद्र का जलस्तर 15 इंच बढ़ जाएगा। यह खुलासा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में बताया है। नासा के साइंटिस्ट्स ने इसे ग्रीन हाउस के उत्सर्जन को बड़ी वजह माना है। इस अध्ययन के अनुसार उत्सर्जन की प्रक्रिया अगर इसी तरह जारी रही तो अगले 80 साल में समुद्र का स्तर करीब 38 सेंटीमीटर बढ़ सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि बर्फ की चादरों से पिघलने वाला पानी समुद्री जल स्तर की वृद्धि में एक तिहाई तक योगदान देता है। ऐसे में जाहिर है कि समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी आने वाले दिनों में बर्फ की चादरों से निकलने वाले पानी पर निर्भर होगीद क्रायोस्फेयर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में अनुमान जताया है कि ग्रीनलैंड 2000-2100 के बीच समुद्री जल स्तर में 8 से 27 सेंटीमीटर की बढ़ोत्तरी कर सकता है। वहीं, अंटार्कटिका तीन से 28 सेंटीमीटर तक इसमें योगदान दे सकता है। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की निगरानी में आइस शीट मॉडल इंटरकंपेरिजन प्रोजेक्ट (आइएसएमआइपी-6) के इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने जलवायु बदलाव पर निगरानी रखने की सलाह दी है। अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित बफेलो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक सोफी नोविकी का कहना है कि समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी आगामी वर्षों में बर्फ की चादरों से पिघलने वाले पानी पर निर्भर करेगी। वहीं बर्फ की चादरें कितना पिघलती हैं यह जलवायु में बदलावों के आधार पर तय होगा।
वहीं, नीदरलैंड स्थित यूट्रेच यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक हिको गोएलजर का कहना है कि ग्रीनलैंड की बर्फ समुद्र के स्तर में काफी वृद्धि कर सकती है। ग्रीनलैंड आइसशीट पर काम करने वाले वैज्ञानिक गोएलजर का मानना है कि इससे पहले भी सामने आए अध्ययनों में यह दावा किया जा चुका है कि ग्रीनलैंड की बर्फ से पिघलने वाला पानी समुद्र के स्तर में छह मिलीमीटर तक बढ़ोतरी कर सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि बर्फ की चादरों से पिघलने वाला पानी समुद्री जल स्तर की वृद्धि में एक तिहाई तक योगदान देता है। ऐसे में जाहिर है कि समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी आने वाले दिनों में बर्फ की चादरों से निकलने वाले पानी पर निर्भर होगीद क्रायोस्फेयर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में अनुमान जताया है कि ग्रीनलैंड 2000-2100 के बीच समुद्री जल स्तर में 8 से 27 सेंटीमीटर की बढ़ोत्तरी कर सकता है। वहीं, अंटार्कटिका तीन से 28 सेंटीमीटर तक इसमें योगदान दे सकता है। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की निगरानी में आइस शीट मॉडल इंटरकंपेरिजन प्रोजेक्ट (आइएसएमआइपी-6) के इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने जलवायु बदलाव पर निगरानी रखने की सलाह दी है। अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित बफेलो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक सोफी नोविकी का कहना है कि समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी आगामी वर्षों में बर्फ की चादरों से पिघलने वाले पानी पर निर्भर करेगी। वहीं बर्फ की चादरें कितना पिघलती हैं यह जलवायु में बदलावों के आधार पर तय होगा।
वहीं, नीदरलैंड स्थित यूट्रेच यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक हिको गोएलजर का कहना है कि ग्रीनलैंड की बर्फ समुद्र के स्तर में काफी वृद्धि कर सकती है। ग्रीनलैंड आइसशीट पर काम करने वाले वैज्ञानिक गोएलजर का मानना है कि इससे पहले भी सामने आए अध्ययनों में यह दावा किया जा चुका है कि ग्रीनलैंड की बर्फ से पिघलने वाला पानी समुद्र के स्तर में छह मिलीमीटर तक बढ़ोतरी कर सकता है।