NASA ISRO Mission / क्या है NISAR मिशन? जानें लांच से लेकर खासियत तक एक-एक डिटेल

नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) सैटेलाइट का रडार एंटीना रिफ्लेक्टर भारत लाया जा रहा है। यह नासा के C-130 हरक्यूलिस विमान से 15 अक्टूबर को वर्जीनिया से उड़ा। NISAR का उद्देश्य पर्यावरणीय बदलावों और प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी करना है, और इसे 2025 में लॉन्च किया जाएगा।

Vikrant Shekhawat : Oct 22, 2024, 10:05 AM
NASA ISRO Mission: नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) यानी निसार (NISAR) सैटेलाइट के मिशन को सफल बनाने के लिए इसके रडार एंटीना रिफ्लेक्टर को हाल ही में भारत पहुंचाया जा रहा है। इसे नासा के C-130 हरक्यूलिस विमान से लाया गया है, जो 15 अक्टूबर को वर्जीनिया में नासा के वालॉप्स फ्लाइट फैसिलिटी से उड़ान भर चुका है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य निसार के रडार एंटीना रिफ्लेक्टर को सुरक्षित रूप से भारत के बेंगलुरु तक पहुंचाना है, जहां इसे स्पेसक्राफ्ट में लिंक किया जाएगा।

निसार मिशन की महत्वपूर्णता

निसार एक ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है, जिसे पर्यावरणीय बदलावों और प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी के लिए लॉन्च किया जाएगा। इसकी एडवांस्ड रडार इमेजिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करके यह सैटेलाइट धरती के इकोसिस्टम में होने वाले परिवर्तनों, बर्फों के पिघलने, भूकंप, और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का विस्तृत अध्ययन करेगा। इससे प्राप्त आंकड़े वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण होंगे और इससे पृथ्वी पर जीवन को बेहतर बनाने और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।

मिशन का समय

रडार एंटीना रिफ्लेक्टर बेंगलुरु पहुंचने के बाद इसे इसरो की एक सुविधा में रडार सिस्टम के साथ फिर से लिंक किया जाएगा। इसके बाद, इस मिशन को 2025 की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन अंतरराष्ट्रीय स्पेस सहयोग और धरती के ऑब्जर्वेशन में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा।

नासा और इसरो की साझेदारी

निसार सैटेलाइट को 3 से 5 साल तक काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना 2014 में ISRO और NASA के बीच एक एग्रीमेंट के तहत शुरू हुई थी। सैटेलाइट में दो अलग-अलग रडार लगे हुए हैं: एक एस-बैंड रडार, जो ISRO द्वारा विकसित किया गया है, और दूसरा एल-बैंड रडार, जिसे NASA ने बनाया है।

इसरो ने अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में एस-बैंड रडार तैयार किया है, जबकि NASA ने स्पेसक्राफ्ट बस में एल-बैंड रडार, GPS, और अन्य महत्वपूर्ण उपकरण लगाए हैं। यह सहयोग दोनों देशों के लिए और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अंतरिक्ष में वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देता है।

निसार की विशेषताएँ

NISAR सैटेलाइट में सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) का उपयोग किया गया है, जो इसे अन्य भारतीय सैटेलाइट्स की तुलना में उच्च रिज़ॉल्यूशन इमेज भेजने में सक्षम बनाता है। NASA के अनुसार, NISAR पहला ऐसा सैटेलाइट मिशन है, जिसमें दो अलग-अलग रडार फ्रीक्वेंसी (एल-बैंड और एस-बैंड) का उपयोग किया गया है। यह सैटेलाइट पृथ्वी की क्रस्ट, आइस शीट और इकोसिस्टम से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।

सीमा सुरक्षा में योगदान

NISAR सैटेलाइट केवल पर्यावरणीय अध्ययन के लिए नहीं, बल्कि सीमा सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। यह सैटेलाइट हिमालय में ग्लेशियरों की निगरानी करेगा, जहां ग्लोबल वार्मिंग के कारण तेजी से पिघलने की समस्या सामने आ रही है। इसके अतिरिक्त, यह जलवायु परिवर्तन, टेक्टोनिक शिफ्ट्स, भूस्खलन, और ज्वालामुखी विस्फोटों की निगरानी करेगा।

NISAR सैटेलाइट समुद्री तटों पर होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करने में भी सहायक होगा, जो प्राकृतिक आपदाओं से जुड़े घटनाक्रमों का सटीक विश्लेषण करने में मदद करेगा। यह न केवल असैनिक उपयोगों के लिए बल्कि भारत की सीमाओं पर भी निगरानी रखने में मदद करेगा, जहां हाल के वर्षों में तनावपूर्ण स्थितियाँ बनी हुई हैं।

निष्कर्ष

निसार मिशन भारत और अमेरिका के बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो विज्ञान और तकनीकी अनुसंधान के क्षेत्र में नई संभावनाओं को उजागर करता है। यह सैटेलाइट न केवल पृथ्वी के पर्यावरणीय और भूवैज्ञानिक परिवर्तनों का अध्ययन करने में मदद करेगा, बल्कि इससे अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नए आयाम खुलेंगे।