PROBA-3 Mission / आज ISRO का प्रोबा-3 मिशन होगा लॉन्च, क्या स्टडी करेगा और कल क्यों टली थी लॉन्चिंग? जानिए

ISRO आज शाम 4:15 बजे श्रीहरिकोटा से प्रोबा-3 सोलर मिशन लॉन्च करेगा। यूरोपीय स्पेस एजेंसी का यह मिशन सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेगा। दो सैटेलाइट, 150 मीटर की दूरी पर प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइट में, सूर्य के बाहरी वातावरण की जानकारी जुटाएंगे। मिशन की लागत 1,778 करोड़ रुपये है।

Vikrant Shekhawat : Dec 05, 2024, 08:52 AM
PROBA-3 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर अंतरिक्ष विज्ञान में अपनी उत्कृष्टता का प्रदर्शन करने जा रहा है। आज शाम ISRO यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के प्रोबा-3 सोलर मिशन को लॉन्च करेगा। यह मिशन सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से भारतीय समयानुसार शाम 4:15 बजे लॉन्च किया जाएगा।

लॉन्च में देरी का कारण

इस मिशन को मूल रूप से बुधवार को PSLV-C59 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाना था, लेकिन प्रोबा-3 स्पेसक्राफ्ट में आई तकनीकी खामी के चलते इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया। अब, सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, और मिशन को आज सफलता पूर्वक लॉन्च करने का लक्ष्य है।

प्रोबा-3 मिशन: परिचय और उद्देश्य

प्रोबा-3, ESA के प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड ऑटोनॉमी (PROBA) कार्यक्रम का तीसरा मिशन है। यह विशेष रूप से सूर्य के बाहरी वातावरण, जिसे कोरोना कहा जाता है, का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस मिशन में दो उपग्रह शामिल हैं, जो एक साथ काम करते हुए सूर्य की गतिविधियों और उसके प्रभावों का बारीकी से अध्ययन करेंगे।

प्रोबा-3 की मुख्य विशेषताएं:

  1. दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग मिशन:
    इस मिशन के तहत दो उपग्रह लॉन्च किए जाएंगे, जो पृथ्वी की कक्षा में एक-दूसरे से लगभग 150 मीटर की दूरी पर स्थित रहेंगे।

  2. दो उपग्रहों की भूमिका:

    • कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट: यह सूर्य के प्रकाश को रोककर उसकी बाहरी परतों की स्टडी करेगा।
    • ऑक्लटर स्पेसक्राफ्ट: यह सूर्य को ढककर उसकी आंतरिक और बाहरी कोरोना का अध्ययन करने में मदद करेगा।
  3. सूर्य के कोरोना का गहन अध्ययन:
    प्रोबा-3 सूर्य के इनर और आउटर कोरोना के बीच मौजूद अंतराल की बारीकी से स्टडी करेगा, जो खगोल विज्ञान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

  4. संपूर्ण यूरोपीय सहयोग:
    इस मिशन के लिए स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, इटली और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने मिलकर काम किया है। इसकी लागत करीब 20 करोड़ यूरो (1,778 करोड़ रुपये) आई है।

इसरो और प्रोबा सीरीज का संबंध

प्रोबा सीरीज के मिशनों में ISRO का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस श्रृंखला का पहला मिशन 2001 में इसरो द्वारा ही लॉन्च किया गया था। अब, 23 साल बाद, प्रोबा-3 का लॉन्च ISRO और ESA के बीच वैज्ञानिक सहयोग का एक और उत्कृष्ट उदाहरण है।

मिशन की उपयोगिता

  • यह मिशन सौर तूफानों, सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र और उसके प्रभावों को समझने में मदद करेगा।
  • इस अध्ययन से पृथ्वी पर सौर गतिविधियों के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा।
  • इसके नतीजे अंतरिक्ष विज्ञान और मौसम विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

निष्कर्ष

प्रोबा-3 मिशन ISRO और ESA दोनों के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह केवल तकनीकी प्रगति का ही उदाहरण नहीं है, बल्कि यह इसरो की वैश्विक स्तर पर बढ़ती साख का भी प्रतीक है। आज की लॉन्चिंग न केवल अंतरिक्ष विज्ञान के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि भारत के वैज्ञानिक समुदाय को भी गौरवांवित करेगी।