AajTak : Dec 12, 2019, 03:59 PM
अमेरिका के एक लीगल फर्म ने आईटी दिग्गज इन्फोसिस के खिलाफ 'गलतबयानी' करने और 'गुमराह करने' का आरोप लगाते हुए मुकदमा कायम किया है। स्शैल लॉ फर्म द्वारा दायर इस मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि कंपनी के आरोपी मुख्य कार्यकारी (CEO) सलिल पारेख ने जांच से बचने के लिए बड़े सौदों की मानक समीक्षा नहीं करने दी। क्या हैं आरोप
आरोप में कहा गया है कि इन्फोसिस ने शॉर्ट टर्म मुनाफा हासिल करने के लिए आमदनी का अनुचित ब्योरा दिया है। लॉ फर्म ने कहा कि इन्फोसिस की फाइनेंस टीम पर दबाव डालकर इन सौदों का विवरण ऑडिटर्स पर छिपाने के लिए कहा गया। फर्म ने कहा है, 'सच तो यह है कि कंपनी की फाइनेंस टीम पर भी इस बात के लिए दबाव डाला गया कि वे ऑडिटर्स और कंपनी के निदेशक मंडल से इन सौदों का विवरण और अन्य एकाउंटिंग के मामले छिपाएं। '
फर्म ने कहा है कि इन तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इन्फोसिस के सार्वजनिक बयान गलत हैं और गुमराह करने वाले हैं। फर्म ने कहा, 'जब बाजार को इन्फोसिस के बारे में सच्चाई का पता चला तो निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। ' स्शैल लॉ फर्म ने उन सभी निवेशकों को उससे संपर्क करने को भी कहा है जिनको 1 लाख डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है। यह मुकदमा अमेरिकी सिक्यूरिटी ऐंड एक्सचेंज कमीशन के सिक्योटिरटी एक्सचेंज एक्ट की धारा 10 (बी) और 20 (ए) तथा नियम 10बी 5 के उल्लंघन करने के लिए किया गया है। क्या है इन्फोसिस का विवाददरअसल, व्हिसलब्लोअर के एक समूह ने देश की दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस के सीईओ सलिल पारेख और कंपनी के सीएफओ निलांजन रॉय पर कम समय में आय और लाभ बढ़ाने के लिए ‘अनैतिक व्यवहारों’ में लिप्त होने की शिकायत की है। कंपनी के निदेशक मंडल को 20 सितंबर को लिखे पत्र में समूह ने कहा, ‘‘हालिया तिमाहियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा किए गए अनैतिक व्यवहार को हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं। कम समय में आय और लाभ को बढ़ाने के लिए इसी तरह के कदम चालू तिमाही में भी उठाए गए हैं। ’’समूह का दावा है कि इन आरोपों को साबित करने के लिए ईमेल और वॉयस रिकॉर्डिंग भी मौजूद हैं। व्हिसलब्लोअर समूह ने इस बाबत अमेरिका के नियामक सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन को भी 3 अक्टूबर को एक पत्र लिखा था। बता दें कि व्हिसलब्लोअर उस व्यक्ति को कहा जाता है जो किसी संस्थान में होने वाली गलतियों को उजागर करता है।
इन्फोसिस का क्या है पक्षइस पूरे विवाद पर इन्फोसिस की ओर से भी एक बयान आया है। इन्फोसिस की ओर से कहा गया, ' कंपनी की प्रक्रिया के तहत व्हिसलब्लोअर की शिकायत को ऑडिट समिति के समक्ष रखा गया है। इस पर कंपनी की व्हिसलब्लोअर नीति के अनुरूप कार्रवाई होगी। ’’इन्फोसिस को कंपनी के कामकाज में लापरवाही को लेकर पहले भी शिकायत मिल चुकी हैं। इससे पहले इसी तरह की एक शिकायत कंपनी के इजरायल की कंपनी पनाया को खरीदने में की गयी गड़बड़ी को लेकर की गई थी।
आरोप में कहा गया है कि इन्फोसिस ने शॉर्ट टर्म मुनाफा हासिल करने के लिए आमदनी का अनुचित ब्योरा दिया है। लॉ फर्म ने कहा कि इन्फोसिस की फाइनेंस टीम पर दबाव डालकर इन सौदों का विवरण ऑडिटर्स पर छिपाने के लिए कहा गया। फर्म ने कहा है, 'सच तो यह है कि कंपनी की फाइनेंस टीम पर भी इस बात के लिए दबाव डाला गया कि वे ऑडिटर्स और कंपनी के निदेशक मंडल से इन सौदों का विवरण और अन्य एकाउंटिंग के मामले छिपाएं। '
फर्म ने कहा है कि इन तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इन्फोसिस के सार्वजनिक बयान गलत हैं और गुमराह करने वाले हैं। फर्म ने कहा, 'जब बाजार को इन्फोसिस के बारे में सच्चाई का पता चला तो निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। ' स्शैल लॉ फर्म ने उन सभी निवेशकों को उससे संपर्क करने को भी कहा है जिनको 1 लाख डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है। यह मुकदमा अमेरिकी सिक्यूरिटी ऐंड एक्सचेंज कमीशन के सिक्योटिरटी एक्सचेंज एक्ट की धारा 10 (बी) और 20 (ए) तथा नियम 10बी 5 के उल्लंघन करने के लिए किया गया है। क्या है इन्फोसिस का विवाददरअसल, व्हिसलब्लोअर के एक समूह ने देश की दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस के सीईओ सलिल पारेख और कंपनी के सीएफओ निलांजन रॉय पर कम समय में आय और लाभ बढ़ाने के लिए ‘अनैतिक व्यवहारों’ में लिप्त होने की शिकायत की है। कंपनी के निदेशक मंडल को 20 सितंबर को लिखे पत्र में समूह ने कहा, ‘‘हालिया तिमाहियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा किए गए अनैतिक व्यवहार को हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं। कम समय में आय और लाभ को बढ़ाने के लिए इसी तरह के कदम चालू तिमाही में भी उठाए गए हैं। ’’समूह का दावा है कि इन आरोपों को साबित करने के लिए ईमेल और वॉयस रिकॉर्डिंग भी मौजूद हैं। व्हिसलब्लोअर समूह ने इस बाबत अमेरिका के नियामक सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन को भी 3 अक्टूबर को एक पत्र लिखा था। बता दें कि व्हिसलब्लोअर उस व्यक्ति को कहा जाता है जो किसी संस्थान में होने वाली गलतियों को उजागर करता है।
इन्फोसिस का क्या है पक्षइस पूरे विवाद पर इन्फोसिस की ओर से भी एक बयान आया है। इन्फोसिस की ओर से कहा गया, ' कंपनी की प्रक्रिया के तहत व्हिसलब्लोअर की शिकायत को ऑडिट समिति के समक्ष रखा गया है। इस पर कंपनी की व्हिसलब्लोअर नीति के अनुरूप कार्रवाई होगी। ’’इन्फोसिस को कंपनी के कामकाज में लापरवाही को लेकर पहले भी शिकायत मिल चुकी हैं। इससे पहले इसी तरह की एक शिकायत कंपनी के इजरायल की कंपनी पनाया को खरीदने में की गयी गड़बड़ी को लेकर की गई थी।