Vikrant Shekhawat : Jan 05, 2021, 02:06 PM
नई दिल्ली: भारतीय टीम को परेशान करने का सिलसिला आगाज हुआ और एक वायरल वीडियो को वजह बनाकर 5 भारतीय खिलाड़ियों को ऑस्ट्रेलियन मीडिया ने कटघरे में ये कहते हुए खड़ा कर दिया कि भारतीय खिलाड़ी लापरवाह हैं. और उन्हें बायो बबल सिक्योरिटी की कोई भी परवाह नहीं है और वो कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे हैं.
5 खिलाड़ियों को आइसोलेशन में डाल दिया गया:
आनन-फानन में पांचों भारतीय खिलाड़ी रोहित शर्मा, ऋषभ पंत, शुभमन गिल, नवदीप सैनी और पृथ्वी शॉ को आइसोलेशन में डाल दिया गया. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और पूर्व ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर्स को लगा कि यही सुनहरा अवसर है जहां भारतीय क्रिकेटर्स को मनोवैज्ञानिक तौर पर दबाव में लाया जा सकता है और सभी मिल कर भारतीय खिलाड़ियों (Indian Players) को कोसने में लग गए. लेकिन सबसे अच्छी बात ये रही कि बीसीसीआई (BCCI) ने अपने क्रिकेटर्स का साथ दिया.
दोनों क्रिकेट बोर्ड ने एक ज्वाईंट इन्वेस्टिगेशन की बात कही और खिलाड़ियों को तब तक आइसोलेट रहने को कहा जब तक कि उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव नहीं आ जाती. तीन जनवरी को आखिरकार उनका कोविड टेस्ट किया गया और सभी की रिपोर्ट निगेटिव आ गई, जिसके बाद अब सभी खिलाड़ी सिडनी (Sydney) पहुंच गए हैं जहां पर तीसरा टेस्ट मुकाबला खेला जाना है.
क्वारंटीन नियमों की दुहाई दे रहे हैं ब्रैड हैडिन:
ऑस्ट्रेलियन मीडिया और पूर्व क्रिकेटर्स के पेट में अब ऐसी मरोड़ उठी है कि उन्हें भारतीय खिलाड़ियों के अगले टेस्ट में बेखौफ उतरने का दर्द जान लेता नजर आ रहा है. सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड से लेकर तमाम ऑस्ट्रेलियन मीडिया इसी बात के पीछे पड़ी हुई नजर आ रही है कि किसी तरह से भारतीय टीम के खिलाड़ियों का मनोबल गिर जाए. इसी वजह से अब ब्रिसबेन टेस्ट को लेकर एक बार फिर से क्वारंटीन नियमों की दुहाई ब्रैड हैडिन (Brad Haddin) जैसे खिलाड़ी दे रहे हैं और भारत को क्वारंटीन में नहीं जाने की वजह ब्रिसबेन में ना खेलने के डर को बता रहे हैं.
चलिए अब जरा ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ियों और उनके मीडिया को आईना भी दिखा दिया जाए. 2007 से पहले तक जब-जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जाती रही है तब-तब खिलाड़ियों के साथ-साथ वहां की मीडिया हमेशा दौरे से पहले से ही माइंड गेम खेलना शुरू कर देती थी, लेकिन ये सिलसिला थमा 2007-08 के बाद जब हमने वनडे सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में घुस कर बेस्ट ऑफ थ्री फाइनल्स के पहले दोनों ही फाइनल में जीत हासिल कर ट्रॉफी पर कब्जा कर लिया और हां सबसे खास बात ये कि इंडियन टीम ने दोनों ही मुकाबलों में बड़े-बड़े सूरमाओं से सुसज्जित ऑस्ट्रेलियाई टीम को 250 रन का आंकड़ा तक नहीं छूने दिया था. और बाद में आईपीएल में ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ियों की भागिदारी ने भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की स्लेजिंग को लगभग खत्म सा कर दिया था, लेकिन एक बार फिर से जैसे ही भारत से मुंह की खानी पड़ी है तभी से पूरा ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और पूर्व क्रिकेटर बिलबिलाने लगे हैं.
इसी क्रम में ब्रैड हैडिन के उस बयान की बात कर लेते हैं जब वो ब्रिसबेन के गाबा की तेज पिच की बात कर रहे हैं. जबकि वो भूल गए कि 2007 में किस तरह से भारतीय टीम के साथ पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम ने बेईमानी कर दी थी जिसमें उनके कप्तान पोंटिंग सिडनी टेस्ट में खुद ही अंपायर का काम पूरा कर रहे थे.
हैडिन साहब आप ज़रा खुद ही सोचिए..
आंकड़ों में भले ही ऑस्ट्रेलिया उसे अपनी जीत मान सकता है लेकिन हकीकत क्या रही है ये पूरी दुनिया के साथ-साथ ब्रैड हैडिन को भी मालूम है जो उस समय तक क्रिकेट का ककहरा सीख रहे थे. पर्थ जैसी सबसे तेज पिच पर भारत ने जीत हासिल की और एडिलेड टेस्ट को ड्रॉ करवाया. अब ब्रैड हैडिन साहब आप खुद ही सोचिए कि अगर सिडनी में आपने बेईमानी न की होती तो फिर सीरीज का रिजल्ट 2-1 से इंडिया के पक्ष में होता ना कि आपके..
और हां आपके ब्रिसबेन का भी भूत मैं उतार देते हैं, शायद आपको याद नहीं होगा कि वर्तमान बीसीसीआई प्रेसिडेंट और उस 2003-04 को दौरे के कप्तान हमारे दादा यानी सौरव गांगुली ने बारिश के बाद भी शानदार 144 रन तो बनाए ही थे. साथ ही मैच को ड्रॉ करवाकर मैन ऑफ द मैच भी बन गए और आखिरकार सीरीज 1-1 से ड्रॉ पर खत्म हुई. उसके बाद भारत जब-जब ऑस्ट्रेलिया पहुंचता है. आपकी टीम के पसीने छूटने लगते हैं और आपकी टीम और मीडिया ऐसे ही जुगाड़ सिस्टम का इस्तेमाल जीत के लिए करने लगती है.
लेकिन पूरी ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और टीम को समझने की जरुरत है कि ये नई यंग टीम है जो आंखों में आंखें डालकर जवाब देना जानती है और सीरीज तो इस बार भी भारतीय टीम ही जीतने वाली है. चाहे आप की ऑस्ट्रेलिया मीडिया कितने भी हथकंडे क्यों न अपना ले.
5 खिलाड़ियों को आइसोलेशन में डाल दिया गया:
आनन-फानन में पांचों भारतीय खिलाड़ी रोहित शर्मा, ऋषभ पंत, शुभमन गिल, नवदीप सैनी और पृथ्वी शॉ को आइसोलेशन में डाल दिया गया. ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और पूर्व ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर्स को लगा कि यही सुनहरा अवसर है जहां भारतीय क्रिकेटर्स को मनोवैज्ञानिक तौर पर दबाव में लाया जा सकता है और सभी मिल कर भारतीय खिलाड़ियों (Indian Players) को कोसने में लग गए. लेकिन सबसे अच्छी बात ये रही कि बीसीसीआई (BCCI) ने अपने क्रिकेटर्स का साथ दिया.
दोनों क्रिकेट बोर्ड ने एक ज्वाईंट इन्वेस्टिगेशन की बात कही और खिलाड़ियों को तब तक आइसोलेट रहने को कहा जब तक कि उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव नहीं आ जाती. तीन जनवरी को आखिरकार उनका कोविड टेस्ट किया गया और सभी की रिपोर्ट निगेटिव आ गई, जिसके बाद अब सभी खिलाड़ी सिडनी (Sydney) पहुंच गए हैं जहां पर तीसरा टेस्ट मुकाबला खेला जाना है.
क्वारंटीन नियमों की दुहाई दे रहे हैं ब्रैड हैडिन:
ऑस्ट्रेलियन मीडिया और पूर्व क्रिकेटर्स के पेट में अब ऐसी मरोड़ उठी है कि उन्हें भारतीय खिलाड़ियों के अगले टेस्ट में बेखौफ उतरने का दर्द जान लेता नजर आ रहा है. सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड से लेकर तमाम ऑस्ट्रेलियन मीडिया इसी बात के पीछे पड़ी हुई नजर आ रही है कि किसी तरह से भारतीय टीम के खिलाड़ियों का मनोबल गिर जाए. इसी वजह से अब ब्रिसबेन टेस्ट को लेकर एक बार फिर से क्वारंटीन नियमों की दुहाई ब्रैड हैडिन (Brad Haddin) जैसे खिलाड़ी दे रहे हैं और भारत को क्वारंटीन में नहीं जाने की वजह ब्रिसबेन में ना खेलने के डर को बता रहे हैं.
चलिए अब जरा ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ियों और उनके मीडिया को आईना भी दिखा दिया जाए. 2007 से पहले तक जब-जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जाती रही है तब-तब खिलाड़ियों के साथ-साथ वहां की मीडिया हमेशा दौरे से पहले से ही माइंड गेम खेलना शुरू कर देती थी, लेकिन ये सिलसिला थमा 2007-08 के बाद जब हमने वनडे सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में घुस कर बेस्ट ऑफ थ्री फाइनल्स के पहले दोनों ही फाइनल में जीत हासिल कर ट्रॉफी पर कब्जा कर लिया और हां सबसे खास बात ये कि इंडियन टीम ने दोनों ही मुकाबलों में बड़े-बड़े सूरमाओं से सुसज्जित ऑस्ट्रेलियाई टीम को 250 रन का आंकड़ा तक नहीं छूने दिया था. और बाद में आईपीएल में ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ियों की भागिदारी ने भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की स्लेजिंग को लगभग खत्म सा कर दिया था, लेकिन एक बार फिर से जैसे ही भारत से मुंह की खानी पड़ी है तभी से पूरा ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और पूर्व क्रिकेटर बिलबिलाने लगे हैं.
इसी क्रम में ब्रैड हैडिन के उस बयान की बात कर लेते हैं जब वो ब्रिसबेन के गाबा की तेज पिच की बात कर रहे हैं. जबकि वो भूल गए कि 2007 में किस तरह से भारतीय टीम के साथ पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम ने बेईमानी कर दी थी जिसमें उनके कप्तान पोंटिंग सिडनी टेस्ट में खुद ही अंपायर का काम पूरा कर रहे थे.
हैडिन साहब आप ज़रा खुद ही सोचिए..
आंकड़ों में भले ही ऑस्ट्रेलिया उसे अपनी जीत मान सकता है लेकिन हकीकत क्या रही है ये पूरी दुनिया के साथ-साथ ब्रैड हैडिन को भी मालूम है जो उस समय तक क्रिकेट का ककहरा सीख रहे थे. पर्थ जैसी सबसे तेज पिच पर भारत ने जीत हासिल की और एडिलेड टेस्ट को ड्रॉ करवाया. अब ब्रैड हैडिन साहब आप खुद ही सोचिए कि अगर सिडनी में आपने बेईमानी न की होती तो फिर सीरीज का रिजल्ट 2-1 से इंडिया के पक्ष में होता ना कि आपके..
और हां आपके ब्रिसबेन का भी भूत मैं उतार देते हैं, शायद आपको याद नहीं होगा कि वर्तमान बीसीसीआई प्रेसिडेंट और उस 2003-04 को दौरे के कप्तान हमारे दादा यानी सौरव गांगुली ने बारिश के बाद भी शानदार 144 रन तो बनाए ही थे. साथ ही मैच को ड्रॉ करवाकर मैन ऑफ द मैच भी बन गए और आखिरकार सीरीज 1-1 से ड्रॉ पर खत्म हुई. उसके बाद भारत जब-जब ऑस्ट्रेलिया पहुंचता है. आपकी टीम के पसीने छूटने लगते हैं और आपकी टीम और मीडिया ऐसे ही जुगाड़ सिस्टम का इस्तेमाल जीत के लिए करने लगती है.
लेकिन पूरी ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और टीम को समझने की जरुरत है कि ये नई यंग टीम है जो आंखों में आंखें डालकर जवाब देना जानती है और सीरीज तो इस बार भी भारतीय टीम ही जीतने वाली है. चाहे आप की ऑस्ट्रेलिया मीडिया कितने भी हथकंडे क्यों न अपना ले.