NavBharat Times : Dec 25, 2019, 11:29 AM
Christmas Day 2019 | भारत समेत दुनियाभर में 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है, इसके लिए वह कई दिनों से तैयारी करते हैं। 24 दिसंबर की रात से ही हैप्पी क्रिसमस और मैरी क्रिसमस की बधाइयों का सिलसिला शुरू हो जाता है। एक-दूसरे को केक खिलाकर खुशियां बांटते हैं। जगह-जगह क्रिसमस ट्री सजाए जाते हैं और सांता उपहार देते हैं। क्रिसमस वैसे तो ईसाई धर्म के मानने वाले लोगों का त्योहार है लेकिन अन्य धर्म के लोग भी इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। आइए जानते हैं आखिर 25 दिसंबर को ही क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है…जन्म को लेकर नहीं है कोई स्रोतक्रिसमस डे के दिन ईश्वर की संतान जीसस क्राइस्ट (जिसे ईसा मसीह भी कहा जाता है।) का जन्मदिवस है। बाइबल के अनुसार, जीसस ईश्वर की संतान है, जिसने पृथ्वी पर प्यार और सद्भावना का संदेश दिया था। शांति के मसीहा ईसा के जन्म की तारीख को लेकर वैसे तो कोई माणिक स्रोत नहीं है यहां तक कि बाइबल में भी उनके बर्थ डेट का जिक्र नहीं किया गया है।इन्होंने दी थी जन्मतिथि को मान्यताइतिहास पर नजर डालें तो कुछ जगह उल्लेख मिलता है कि 7 से 2 ई. पूर्व के बीच जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था। आज भी इनके जन्मतिथि से संबंधित आज भी कई सवाल मौजूद हैं। लेकिन परंपरागत रूप से रोमन के पहले ईसाई सम्राट कॉन्सटेंटाइन के समय इस तिथि को मान्यता मिली।पहले नहीं थी कोई तिथिईसा के जन्मदिन 25 दिसंबर होने की बात को लोकप्रिय बनाने वाले व्यक्ति थे पोप सेक्स्तुस जूलियस अफ्रिकानुस। इन्होंने 221 ई. में ईसाई क्रोनोग्राफी में इस तिथि का जिक्र किया था। इससे पहले क्रिसमस मनाने की कोई निश्चित तिथि नहीं थी। उसी समय से 25 दिसंबर को जीसस क्राइस्ट का जन्मदिवस मनाया जाने लगा, जो क्रिसमस डे के नाम से प्रसिद्ध है।जीसस को लेकर है एक प्रचलित कथाईसाई धर्म में जीसस क्राइस्ट का जन्मदिवस को लेकर एक रोचक कथा प्रचलित है। कथा के मुताबिक ईश्वर ने अपने दूत जिब्राईल/गैब्रिएल को मरियम नाम की महिला के पास भेजा ताकि उनके गर्भ से जीसस का जन्म हो सके। गैब्रिएल ने मरियम को बताया कि जन्म लेने वाले बच्चे का नाम जीसस क्राइस्ट होगा और वह ऐसा राजा बनेगा जिसके साम्राज्य की कोई सीमा नहीं होगी।अविवाहित थीं जीसस की मांऐसी कहानी है कि जब-जब देवदूतों का जन्म होता है तो गैब्रिएल पहले आकर इसकी सूचना दे जाते हैं। जिस समय मरियम की जीसस के जन्म की जानकारी मिली थी, उस समय वह अविवाहित थीं। कुछ समय बाद मरियम की शादी जोसफ नाम के युवक से हुई थी। मरियम और जोसेफ नाजरथ नामक जगह पर रहते थे, जो इजराइल के एक शहर का नाम है।अस्तबल में हुआ था जीसस का जन्मउस वक्त इस शहर पर रोमन का साम्राज्य था। जब मरियम गर्भवती थीं तो उस समय जनगणना का कार्यक्रम चल रहा था, इस वजह से नाजरथ में कोई भी जगह खाली नहीं थी। इस वजह से जीसस क्राइस्ट का जन्म अस्तबल में हुआ था। अस्तबल से दूर चरवाहे भेड़ चरा रहे थे। कहा जाता है कि देवदूतों ने चरवाहों से कहा था कि ईश्वर की संतान ने अभी जन्म लिया है, वह एक मुक्तिदाता है।बच्चे को देखकर हो गए चकाचौंधदेवदूतों की बात सुनकर चरवाहे और शहर के लोग बच्चे को देखने गए। जब उन्होंने बच्चे को देखा तो चकाचौंध हो गए, क्योंकि बच्चे में सूर्य के समान तेज था। धीरे-धीरे वहां भीड़ बढ़ती गई। लोगों का मानना था कि ईश्वर ने मानव कल्याण के लिए अपने पुत्र के पृथ्वी पर आया है।