बॉलीवुड / आप तय करें कि क्या यह पब्लिसिटी स्टंट था: 5जी मुकदमे को लेकर वीडियो शेयर कर जूही

अभिनेत्री जूही चावला ने 5जी टेक्नोलॉजी के खिलाफ उनकी याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 'पब्लिसिटी स्टंट' बताए जाने के बाद वीडियो शेयर कर लिखा है, "आप तय करें कि क्या यह पब्लिसिटी स्टंट था?" जूही ने बताया कि अवैध मोबाइल टावर्स के खिलाफ उनका अभियान कैसे शुरू हुआ और कैसे विभिन्न एजेंसियों ने 2जी और 3जी को हानिकारक बताया था।

Vikrant Shekhawat : Aug 10, 2021, 09:38 AM
नई दिल्ली: 5जी के ख‍िलाफ कोर्ट में केस करने को लेकर आलोचनाएं झेल रही बॉलीवुड अभ‍िनेत्री जूही चावला (Juhi Chawla) ने पलटवार करने के लिए सोमवार को इंस्टाग्राम का सहारा लिया. जूही चावला की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. जूही चावला ने 14 मिनट का एक वीडियो पोस्ट करते हुए 5जी तकनीक और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर अपनी आपत्तियों का विवरण देते हुए लिखा, "मैं आपको यह तय करने दूंगी कि क्या यह एक पब्लिसिटी स्टंट था."

अभिनेत्री ने कहा कि उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया ताकि जनता को यह गारंटी मिल सके कि 5G इंसानों के लिए सुरक्षित है - "पुरुषों, महिलाओं, वयस्कों, छोटे बच्चों, जानवरों और हर प्रकार के जीवित जीवों के लिए." उन्होंने कहा कि यह सब तब शुरू हुआ जब मुंबई में उनके घर के पास 14 मोबाइल टावर लगाए गए और आज 11 साल की यात्रा ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया.

अभिनेत्री ने अपने घर के चारों ओर एक निजी से रेडिएशन टेस्ट कराया था और उनसे कहा गया था कि यह खतरनाक और हानिकारक स्तर पर था.

जून में, दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दी थी, 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए कड़ी टिप्पणी में कहा था कि मुकदमा "पब्लिसिटी के लिए" प्रतीत होता है.

अदालत की सुनवाई तब सुर्खियों में आई जब जूही चावला ने सोशल मीडिया पर अदालत की सुनवाई का एक लिंक साझा किया, जिसके बाद कुछ अवांछित प्रशंसकों ने लॉग ऑन कर जूही चावला के गाने चलाकर वर्चुअल सुनवाई को बाध‍ित किया.

अदालत ने जून में, चावला और दो अन्य लोगों द्वारा 5जी लाने के खिलाफ दायर मुकदमे को "दोषपूर्ण", "कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग" बताया था और कहा था कि इसे "प्रचार हासिल करने" के लिए दायर किया गया था.

अपने वीडियो में, अभिनेत्री ने कहा कि उन्होंने आरटीआई आवेदन देकर सरकार से पूछा था कि क्या 2जी से 5जी तक की सेलुलर प्रौद्योगिकियों के लिए जीवित प्राणियों पर मोबाइल टॉवर एंटीना से रेडिएशन के प्रभाव पर कोई अध्ययन किया गया था. इन सबके बाद ही उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में केस फाइल किया था.

उनके अनुसार, ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) ने जवाब दिया था कि वह 2G और 3G के फोन टावरों द्वारा उत्सर्जित रेडियोफ्रीक्वेंसी के प्रभाव पर एक अध्ययन कर रहा था.

विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड ने कथित तौर पर जवाब दिया कि 2जी, 3जी, 4जी और 5जी पर विशेष रूप से कोई अध्ययन नहीं किया गया था.

जूही चावला ने कहा कि उन्होंने 2013 में एक संसदीय समिति के समक्ष एक प्रेजेंटेशन भी दिया था और 2015 में मोबाइल टावर स्थापना पर नियमन के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

उन्होंने दावा किया कि वह मामला एक साल से अधिक समय तक जरा भी आगे नहीं बढ़ा, जब तक कि एक न्यायाधीश ने यह नहीं कहा कि इसे सुप्रीम कोर्ट में लंबित अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ा जा सकता है.

"यदि 2जी से 3जी और फिर 4जी एक-एक कदम है, तो 4जी से 5जी एक बड़ी छलांग है. आप दूरसंचार उद्योग में किसी से भी पूछ सकते हैं - 5जी रेडिएशन की सभी सीमाओं को पार कर जाएगा. तेज, बेहतर नेटवर्क की दौड़ में सभी कंपनियां हमें रेडिएशन में डुबो देंगी. जूही चावला ने सवाल पूछते हुए कहा, 'तो अगर, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, आने वाली पीढ़ियों, जानवरों, पौधों की सुरक्षा के लिए, हमने कुछ सवाल उठाए, तो क्या आपको लगता है कि हम गलत थे?"