Apple Airpods: दुनिया की अग्रणी टेक कंपनी एप्पल अपने उत्पादन विस्तार की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। अप्रैल 2025 से, कंपनी भारत के हैदराबाद स्थित फॉक्सकॉन प्लांट में निर्यात के लिए एयरपॉड्स का उत्पादन शुरू करने की योजना बना रही है। यह भारत में आईफोन के बाद दूसरा प्रमुख उत्पाद होगा जिसका निर्माण एप्पल यहां करेगी।
फॉक्सकॉन का निवेश और उत्पादन प्रक्रिया
उद्योग के एक सूत्र ने पुष्टि की है कि एयरपॉड्स का निर्माण हैदराबाद में फॉक्सकॉन की उत्पादन सुविधा में शुरू होगा। यह कदम एप्पल की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला रणनीति का हिस्सा है, जिससे कंपनी चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रही है। गौरतलब है कि फॉक्सकॉन ने अगस्त 2023 में इस प्लांट के निर्माण के लिए 40 करोड़ डॉलर (लगभग 3,500 करोड़ रुपये) का निवेश किया था।
एयरपॉड्स की वैश्विक बाजार हिस्सेदारी
ट्रू वायरलेस स्टीरियो (TWS) सेगमेंट में एप्पल पहले से ही एक अग्रणी ब्रांड है। शोध फर्म कनालिस के अनुसार, 2024 में कंपनी की वैश्विक बाजार हिस्सेदारी 23.1% थी, जो कि उसके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सैमसंग (8.5%) से तीन गुना अधिक है। भारतीय बाजार में उत्पादन शुरू करने से एप्पल को अपने निर्यात क्षमता को बढ़ाने और लागत को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
भारत में उत्पादन का महत्व
भारत में एयरपॉड्स का उत्पादन बढ़ाने के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। एक ओर जहां यह स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देगा, वहीं दूसरी ओर अमेरिका द्वारा लगाए जा रहे नए टैरिफ का प्रभाव भी एप्पल की रणनीति को प्रभावित कर सकता है। हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है। इससे बचने के लिए एप्पल अपने उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका में स्थापित करने की योजना बना रहा है और अगले चार वर्षों में वहां 500 अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा कर चुका है।
आयात शुल्क और उद्योग की प्रतिक्रिया
इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के अनुसार, भारत में हियरेबल्स (सुनने योग्य) और वियरेबल्स (पहनने योग्य) डिवाइसेस पर 20% आयात शुल्क लगाया जाता है, जबकि अमेरिका में यह शुल्क शून्य है। ICEA ने सरकार से इस आयात शुल्क को कम करने की मांग की है ताकि भारतीय बाजार को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बनाया जा सके।
निष्कर्ष
एप्पल का यह निर्णय भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन साबित हो सकता है। यह न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा। यदि सरकार आयात शुल्क पर पुनर्विचार करती है, तो इससे स्थानीय बाजार को भी लाभ मिल सकता है।
फिलहाल, एप्पल और फॉक्सकॉन द्वारा इस विषय पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं दी गई है, लेकिन यह पहल भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।