Vikrant Shekhawat : Jun 11, 2020, 10:14 AM
नई दिल्ली । भारत सरकार ने 2020-21 के दौरान मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 1,280 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। मध्य प्रदेश राज्य ने 2020-21 के लिए अपनी वार्षिक कार्य योजना सचिव, पेयजल एवं स्वच्छता, जल शक्ति मंत्रालय की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय समिति के विचार और अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की है। जल शक्ति मंत्रालय के तहत शुरू किए गए जल जीवन मिशन (जेजेएम) का लक्ष्य 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में नियमित और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित गुणवत्ता का पेय जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराना है। यह मिशन बुनियादी ढांचे के सृजन पर नहीं, बल्कि ‘सेवा प्रदान करने’ पर ध्यान केंद्रित करता है।
इस मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पिछले स्वतंत्रता दिवस के भाषण में की थी। इस मिशन के तहत ग्रामीण लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और ग्रामीण महिलाओं खासकर लड़कियों के कठिन परिश्रम में कमी लाने के उद्देश्य के साथ पेयजल क्षेत्र में सुधार लाने की अपेक्षा की गई है। इस परिवर्तनकारी कार्यक्रम के लिए 3.60 लाख करोड़ रुपये का बहुत बड़ा बजट आवंटित किया गया है।
भारत सरकार ने 2020-21 में राज्य में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 1,280 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। अव्ययित शेष के रूप में 244.95 करोड़ रुपये की राशि और इस वर्ष के केंद्रीय आवंटन तथा राज्य के अंश के मिलान के साथ इस वर्ष राज्य के पास 3,093 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध होगी।
जीवन में परिवर्तन लाने वाले इस मिशन के तहत, मध्य प्रदेश राज्य ने 2023-24 तक 100 प्रतिशत फंक्शनल टैप वॉटर कनेक्शन (एफएचटीसी) देने की योजना बनाई है। राज्य के 1.21 करोड़ ग्रामीण घरों में से, 13.52 लाख घरों में पहले से ही नल कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। वर्ष 2020-2021 में राज्य की 26.27 लाख घरों में नल कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना है। घरों के सम्पूर्ण कवरेज की योजना बनाते समय पानी के अभाव वाले क्षेत्रों, गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के प्रभुत्व वाली बस्तियों/ गांवों, महत्वाकांक्षी जिलों, सांसद आदर्श ग्रामीण योजना गांवों को प्राथमिकता दी गई है।
जल गुणवत्ता से प्रभावित बस्तियों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति जेजेएम के तहत सर्वोच्च प्राथमिकता है और राज्य घरेलू नल कनेक्शन और सामुदायिक जल शोधन संयंत्रों का प्रावधान करते हुए ऐसी 395 बस्तियों में पेयजल उपलबध कराने की मंशा रखता है।
संविधान के 73वें संशोधन की सच्ची भावना का अनुसरण करते हुए जेजेएम के तहत पेयजल सुरक्षा का लक्ष्य हासिल करने हेतु स्थानीय ग्राम समुदाय / ग्राम पंचायतों और / या उपयोगकर्ता समूहों को दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव में शामिल किया जा रहा है। जल जीवन मिशन को सही मायने में लोगों की मुहिम बनाने के लिए सभी गांवों में सामुदायिक संघटन के साथ-साथ आईईसी अभियान चलाया जाना है। सामुदायिक संघटन के लिए स्वयंसेवी संगठनों,स्व-सहायता समूहों को साथ जोड़ा गया है ताकि उनके लिए बनी जल आपूर्ति योजनाओं के नियोजन, कार्यान्वयन और साथ ही संचालन और रखरखाव में उनकी सक्रिय भागीदारी हो सके।
जल जीवन मिशन के तहत, समुदाय को शामिल करने के साथ-साथ अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से जल की गुणवत्ता पर नजर रखने पर जोर दिया जा रहा है अर्थात प्रत्येक गांव में 5 व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध कराए जा रहे पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए स्कूल और कॉलेज के छात्रों को फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रत्येक स्रोत का साल में एक बार भौतिक और रासायनिक मापदंडों के लिए और दो बार बैक्टीरीअलाजिकल संदूषण के लिए परीक्षण करने की आवश्यकता होती है।
ग्राम स्तर पर नियोजन के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में, जीपी या उनकी उप-समिति यानी ग्राम जल और स्वच्छता समितियों या पानी समितियों का गठन किया गया है। गांवों की ग्राम कार्य योजनाओं के आधार पर राज्य के लिए वार्षिक कार्य योजना को अंतिम रूप दिया गया है। राज्य के जल स्रोतों को मजबूत बनाने, जलभृत पुनर्भरण, अपशिष्ट जल प्रबंधन इत्यादि से संबंधित कार्य करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, 15वें वित्त आयोग के अनुदान से लेकर ग्रामीण स्थानीय निकायों, एसबीएम, सीएएमपीए, जिला खनिज विकास कोष, स्थानीय क्षेत्र विकास कोष आदि जैसे विभिन्न स्रोतों से धन जुटाना सुनिश्चित कर रहा है।
मौजूदा कोविड -19 की परिस्थिति के दौरान सरकार का प्रयास है कि ग्रामीण घरों में प्राथमिकता के आधार पर नल कनेक्शन प्रदान किए जाएं, ताकि ग्रामीण लोगों को सार्वजनिक स्टैंड-पोस्टों से पानी लाने और लंबी कतार में खड़े होने की तकलीफे न उठानी पड़ें। सरकार की मंशा है कि समाज के गरीब और हाशिए पर मौजूद लोगों को उनके घर के अंदर नल कनेक्शन के जरिए पानी मिले और वे स्टैंड-पोस्ट पर जाने से बचें और सामाजिक दूरी सुनिश्चित हो सके, जिससे ग्रामीण समुदायों को संक्रमित होने से बचाया जा सके।
इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है और मॉनसून निकट है तथा देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में अपने पैतृक गांवों में लौटे प्रवासी कामगारों के लिए आजीविका उपलब्ध कराना और भी जरूरी हो गया है। ये प्रवासी कामगार मूल रूप से कुशल और अर्ध-कुशल हैं, उन्हें प्रत्येक गांव में जलापूर्ति,विशेष रूप से प्लंबिंग, फिटिंग, जल संरक्षण कार्य आदि से संबंधित रोजगार उपलब्ध करवाकर गांवों में उनकी सेवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है, ताकि गांवों में पर्याप्त मात्रा में भू-जल उपलब्धता सुनिश्चित हो सके, जिससे जल सुरक्षा, कृषि के लिए पानी की उपलब्धता और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्येक ग्रामीण घर को पीने के पानी की आपूर्ति करने में मदद मिलेगी।
इस मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पिछले स्वतंत्रता दिवस के भाषण में की थी। इस मिशन के तहत ग्रामीण लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और ग्रामीण महिलाओं खासकर लड़कियों के कठिन परिश्रम में कमी लाने के उद्देश्य के साथ पेयजल क्षेत्र में सुधार लाने की अपेक्षा की गई है। इस परिवर्तनकारी कार्यक्रम के लिए 3.60 लाख करोड़ रुपये का बहुत बड़ा बजट आवंटित किया गया है।
भारत सरकार ने 2020-21 में राज्य में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 1,280 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। अव्ययित शेष के रूप में 244.95 करोड़ रुपये की राशि और इस वर्ष के केंद्रीय आवंटन तथा राज्य के अंश के मिलान के साथ इस वर्ष राज्य के पास 3,093 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध होगी।
जीवन में परिवर्तन लाने वाले इस मिशन के तहत, मध्य प्रदेश राज्य ने 2023-24 तक 100 प्रतिशत फंक्शनल टैप वॉटर कनेक्शन (एफएचटीसी) देने की योजना बनाई है। राज्य के 1.21 करोड़ ग्रामीण घरों में से, 13.52 लाख घरों में पहले से ही नल कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। वर्ष 2020-2021 में राज्य की 26.27 लाख घरों में नल कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना है। घरों के सम्पूर्ण कवरेज की योजना बनाते समय पानी के अभाव वाले क्षेत्रों, गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के प्रभुत्व वाली बस्तियों/ गांवों, महत्वाकांक्षी जिलों, सांसद आदर्श ग्रामीण योजना गांवों को प्राथमिकता दी गई है।
जल गुणवत्ता से प्रभावित बस्तियों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति जेजेएम के तहत सर्वोच्च प्राथमिकता है और राज्य घरेलू नल कनेक्शन और सामुदायिक जल शोधन संयंत्रों का प्रावधान करते हुए ऐसी 395 बस्तियों में पेयजल उपलबध कराने की मंशा रखता है।
संविधान के 73वें संशोधन की सच्ची भावना का अनुसरण करते हुए जेजेएम के तहत पेयजल सुरक्षा का लक्ष्य हासिल करने हेतु स्थानीय ग्राम समुदाय / ग्राम पंचायतों और / या उपयोगकर्ता समूहों को दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव में शामिल किया जा रहा है। जल जीवन मिशन को सही मायने में लोगों की मुहिम बनाने के लिए सभी गांवों में सामुदायिक संघटन के साथ-साथ आईईसी अभियान चलाया जाना है। सामुदायिक संघटन के लिए स्वयंसेवी संगठनों,स्व-सहायता समूहों को साथ जोड़ा गया है ताकि उनके लिए बनी जल आपूर्ति योजनाओं के नियोजन, कार्यान्वयन और साथ ही संचालन और रखरखाव में उनकी सक्रिय भागीदारी हो सके।
जल जीवन मिशन के तहत, समुदाय को शामिल करने के साथ-साथ अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से जल की गुणवत्ता पर नजर रखने पर जोर दिया जा रहा है अर्थात प्रत्येक गांव में 5 व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध कराए जा रहे पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए स्कूल और कॉलेज के छात्रों को फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रत्येक स्रोत का साल में एक बार भौतिक और रासायनिक मापदंडों के लिए और दो बार बैक्टीरीअलाजिकल संदूषण के लिए परीक्षण करने की आवश्यकता होती है।
ग्राम स्तर पर नियोजन के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में, जीपी या उनकी उप-समिति यानी ग्राम जल और स्वच्छता समितियों या पानी समितियों का गठन किया गया है। गांवों की ग्राम कार्य योजनाओं के आधार पर राज्य के लिए वार्षिक कार्य योजना को अंतिम रूप दिया गया है। राज्य के जल स्रोतों को मजबूत बनाने, जलभृत पुनर्भरण, अपशिष्ट जल प्रबंधन इत्यादि से संबंधित कार्य करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, 15वें वित्त आयोग के अनुदान से लेकर ग्रामीण स्थानीय निकायों, एसबीएम, सीएएमपीए, जिला खनिज विकास कोष, स्थानीय क्षेत्र विकास कोष आदि जैसे विभिन्न स्रोतों से धन जुटाना सुनिश्चित कर रहा है।
मौजूदा कोविड -19 की परिस्थिति के दौरान सरकार का प्रयास है कि ग्रामीण घरों में प्राथमिकता के आधार पर नल कनेक्शन प्रदान किए जाएं, ताकि ग्रामीण लोगों को सार्वजनिक स्टैंड-पोस्टों से पानी लाने और लंबी कतार में खड़े होने की तकलीफे न उठानी पड़ें। सरकार की मंशा है कि समाज के गरीब और हाशिए पर मौजूद लोगों को उनके घर के अंदर नल कनेक्शन के जरिए पानी मिले और वे स्टैंड-पोस्ट पर जाने से बचें और सामाजिक दूरी सुनिश्चित हो सके, जिससे ग्रामीण समुदायों को संक्रमित होने से बचाया जा सके।
इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है और मॉनसून निकट है तथा देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में अपने पैतृक गांवों में लौटे प्रवासी कामगारों के लिए आजीविका उपलब्ध कराना और भी जरूरी हो गया है। ये प्रवासी कामगार मूल रूप से कुशल और अर्ध-कुशल हैं, उन्हें प्रत्येक गांव में जलापूर्ति,विशेष रूप से प्लंबिंग, फिटिंग, जल संरक्षण कार्य आदि से संबंधित रोजगार उपलब्ध करवाकर गांवों में उनकी सेवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है, ताकि गांवों में पर्याप्त मात्रा में भू-जल उपलब्धता सुनिश्चित हो सके, जिससे जल सुरक्षा, कृषि के लिए पानी की उपलब्धता और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्येक ग्रामीण घर को पीने के पानी की आपूर्ति करने में मदद मिलेगी।