चंडीगढ़ / मां का अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देकर मौसा ने बनाया संबंध

चंडीगढ़ यौन उत्पीड़न के मामले की सुनवाई के दौरान बेटी के आरोपों को सही मानते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने लड़की की मां और मौसा की सजा को बरकरार रखा है कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ऐसा बहुत कम होता है जब कोई बेटी अपनी ही मां पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाती हो मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माना कि पीड़ित लड़की की ओर से लगाए गए सभी आरोप बिल्कुल सही हैं और ऐसे में आरोपियों को सजा में छूट नहीं दी जा सकती

Vikrant Shekhawat : Jul 19, 2020, 08:32 AM

चंडीगढ़. यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) के मामले की सुनवाई के दौरान बेटी के आरोपों को सही मानते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने लड़की की मां और मौसा की सजा को बरकरार रखा है. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि ऐसा बहुत कम होता है जब कोई बेटी अपनी ही मां पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाती हो. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट (Court) ने माना कि पीड़ित लड़की की ओर से लगाए गए सभी आरोप बिल्कुल सही हैं और ऐसे में आरोपियों को सजा में छूट नहीं दी जा सकती.


बता दें कि महिला और उसके जीजा (महिला की बहन के पति) को फरवरी 2017 में चंडीगढ़ के एक सत्र न्यायालय ने दोषी ठहराया था. पीड़ित की मां को धारा 354-ए (यौन उत्पीड़न) के तहत दोषी ठहराया गया था और उसे 120 आईपीसी की धारा के तहत तीन साल की कैद जबकि आरोपी युवक को धारा 354A के साथ-साथ POCSO अधिनियम की धारा 8 और 12 के तहत दोषी ठहराया गया था. कोर्ट आरोपी युवक को चार साल के कारावास की सजा सुनाई थी.


पीड़िता एक छात्रा है, जिसने 2014 में पुलिस को अपनी शिकायत में बताया था कि मां और मौसा के कारण वह डिप्रेशन में चली गई है. पीड़िता ने आरोप लगाया था कि साल 2011 के बाद से ही उसके मौसा ने एक से अधिक बार उसका यौन उत्पीड़न किया और उसकी मां ने हर बार इस बात को अनदेखा किया. यही नहीं जब पीड़िता ने इसकी शिकायत अपनी मां से की तो उसकी पिटाई भी की गई. पीड़िता की शिकायत के अनुसार, आरोपी मौसा ने उसे यह कहते हुए एक डीवीडी सौंपी कि यह उसकी मां का अश्लील वीडियो है. आरोपी ने धमकी दी कि अगर वह उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाती है तो उसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा. डीवीडी की धमकी के बाद उसने यह बात अपने भाई और पिता को बताई, जिसके बाद उन्होंने उसे वहां से निकाला. बताया जाता है कि पीड़िता का भाई और पिता साल 2009 में ही पारिवारिक विवाद के बाद से अलग रहते हैं.


उच्च न्यायालय में जिरह करते हुए मुख्य अभियुक्त के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ POCSO अधिनियम, 2012 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. वकील ने तर्क दिया कि क्योंकि कानून लागू होने से पहले पीड़ित बालिग हो चुकी थी, इसलिए उनके मुवक्किल पर यह एक्ट लागू नहीं होता. वकील ने कहा उनके मुवक्किल को झूठे आरोप में फंसाया गया है क्योंकि उन्होंने एक लड़के के साथ लड़की के रिश्ते का विरोध किया था. पीड़िता की मां ने यह भी कहा कि उनके वैवाहिक कलह के कारण उनके पिता ने उन्हें मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया है