Lok Sabha Election / NDA की बिहार में सीट शेयरिंग पर लगी मुहर, BJP-JDU को मिली इतनी सीट

बीजेपी बिहार में इस बार 20 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है. इन 20 सीटों में 2 सीट पारस गुट के सांसद को आवंटित की जाएगी लेकिन उन्हें बीजेपी के ही चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहना होगा. कहा जा रहा है कि पारस गुट के दिए जा रहे 2 सीट में से एक प्रिंस राज और दूसरा सूरजभान सिंह की पत्नी को दिया जायेगा. सूत्रों के मुताबिक पशुपतिनाथ पारस को सरकार में अलग तरह की भूमिका दी जा सकती है जिसके लिए

Vikrant Shekhawat : Feb 14, 2024, 05:55 PM
Lok Sabha Election: बीजेपी बिहार में इस बार 20 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है. इन 20 सीटों में 2 सीट पारस गुट के सांसद को आवंटित की जाएगी लेकिन उन्हें बीजेपी के ही चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहना होगा. कहा जा रहा है कि पारस गुट के दिए जा रहे 2 सीट में से एक प्रिंस राज और दूसरा सूरजभान सिंह की पत्नी को दिया जायेगा. सूत्रों के मुताबिक पशुपतिनाथ पारस को सरकार में अलग तरह की भूमिका दी जा सकती है जिसके लिए मंत्रणा का दौर जारी है.

वहीं चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी(रामविलास) पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी, ये लगभग तय हो चुका है. एलजेपी (रामविलास) गुट पांच लोकसभा सीट के अलावा एक राज्यसभा सीटें की भी मांग कर रहा था लेकिन बीजेपी राज्यसभा के लिए तैयार नहीं दिख रही है. बताया जा रहा है कि एलजेपी (रामविलास) फिलहाल पांच लोकसभा सीटें आवंटित किए जाने के बाद एनडीए में ही बने रहने का मन बना लिया है.

जेडीयू 12 सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर तैयार?

पिछली बार की तरह इस बार बीजेपी और जेडीयू बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने नहीं जा रहे हैं. बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक बीजेपी इस बार लोकसभा चुनाव में जेडीयू को 12 सीटें आवंटित करने का फैसला कर चुकी है. कहा जा रहा है कि जेडीयू भी 12 सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर तैयार है. बिहार में नीतीश कुमार साल 2025 के विधानसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे लेकिन लोकसभा चुनाव में जेडीयू को 12 सीटों पर ही समझौता इस बार करना पड़ेगा.

बीजेपी के ही एक दूसरे नेता के मुताबिक जेडीयू को दी जाने वाली 12 सीटों में भी कुछ सीटों पर बीजेपी अपने उम्मीदवार को लड़ाने की तैयारी कर रही है जिस पर जेडीयू तैयार नहीं हो रही है. जेडीयू और बीजेपी के बीच इसी मसले पर पेंच फंसा है जिसे जल्द सुलझा लेने की उम्मीद है. कहा जा रहा है कि बीजेपी कई सर्वे का हवाला देकर अपने घटक दलों को ये समझाने में सफल रही है कि बीजेपी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ना उम्मीदवारों की जीत ज्यादा सुनिश्चित करेगी. इसलिए पारस गुट के दो उम्मीदवार हों या जेडीयू को कम सीटें देने की बात, इन दोनों मसले पर बीजेपी के घटक दल लगभग तैयार हो चुके हैं.

रालोसपा, हिन्दुस्तानी मोर्चा एनडीए में ही रहेंगे

विश्वासमत के दरम्यान जीतनराम मांझी ने अपना फोन बंद कर एनडीए की सिरदर्दी बढ़ा दी थी. लेकिन नित्यानंद राय को उनके घर भेजकर बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने उन्हें मना लिया था. कहा जा रहा है जीतन राम मांझी नीतीश सरकार में दो मंत्रीपद की चाहत रखते हैं जबकि उनकी इच्छा राज्यसभा में एक सीट पाने की थी. लेकिन राज्यसभा में बीजेपी ने अपने कोटे से दो उम्मीदवारों की घोषणा कर जीतनराम मांझी की मुश्किलें बढ़ा दी थी.जीतनराम मांझी फिलहाल मान गए हैं. उन्हें गया का एक सीट दिया जा सकता है. वहीं नीतीश कुमार की कैबिनेट में उनकी इच्छाओं का ध्यान रखा जाएगा ऐसा कह उन्हें एनडीए में बने रहने के लिए मनाया गया है.

महागठबंधन के कमजोर होने का होगा फायदा

रालोसपा के उपेन्द्र कुशवाहा भी एनडीए के साथ ही बने रहेंगे ये भी तय माना जा रहा है. उन्हें एनडीए की तरफ से दो लोकसभा सीटें देने का फैसला लिया जा चुका है. जाहिर है बिहार में नई राजनीतिक परिस्थितियों में तमाम छोटे घटक दलों को थोड़ा नुकसान तो हुआ है. लेकिन नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद रालोसपा और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा दोनों एनडीए में ही बने रहकर चुनाव लड़ने को लेकर लगभग तैयार हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार की एंट्री के बाद इंडिया गठबंधन काफी कमजोर हुआ है. इसलिए एनडीए की तरफ से जो भी सीटें घटक दलों को आवंटित हो रही हैं उसमें उनकी जीत की उम्मीदें कहीं ज्यादा बढ़ गई हैं.