Vikrant Shekhawat : Jun 20, 2022, 07:32 AM
Delhi: तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अंतिम रूप देने के लिए 21 जून को विपक्ष की बैठक में शामिल होने की संभावना नहीं है। इसके बजाय पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी मीटिंग में शामिल हो सकते हैं। उपचुनाव से पहले अभिषेक बनर्जी सोमवार को त्रिपुरा में एक दिवसीय अभियान कार्यक्रम में शामिल होंगे, जहां शाम को जनसभा भी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद वह विपक्ष की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली जाएंगे, जिसे एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बुलाया है।
सूत्रों का कहना है कि तृणमूल नेतृत्व बनर्जी का जिक्र किए बिना जिस तरह से उन्हें बैठक में आमंत्रित किया गया, उससे नाराज है। मालूम हो कि सीएम ममता ने ही नई दिल्ली में कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब में इस मामले पर पहली बैठक बुलाई थी। पिछले हफ्ते विपक्षी दलों ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के नाम का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, पवार ने इसे अस्वीकार कर दिया। इसके बाद विपक्ष ने राष्ट्रपति पद के लिए कोई दूसरा उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला कियाफारूक अब्दुल्ला ने भी राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से किया इनकारशनिवार को नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भी उम्मीदवार बनने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। अब्दुल्ला ने अपना नाम प्रस्तावित करने के लिए ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया, लेकिन कहा कि जम्मू-कश्मीर एक अहम मोड़ पर है और वहां उनकी सर्विस की जरूरत है। उन्होंने कहा, "मैं ममता बनर्जी साहिबा की ओर से भारत के राष्ट्रपति पद के लिए संभावित संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में अपना नाम प्रस्तावित करने के लिए सम्मानित महसूस कर रहा हूं। ममता दीदी की ओर से मेरे नाम का प्रस्ताव करने के बाद, मुझे विपक्षी नेताओं से समर्थन की पेशकश करने वाले कई फोन आए हैं।"नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया 15 जून से शुरूजम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि सक्रिय राजनीति में अभी उन्हें बहुत कुछ करना है और वह जम्मू-कश्मीर व देश की सेवा में अभी बहुत कुछ करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं विचारार्थ अपने नाम को पूरे सम्मान के साथ वापस लेना चाहता हूं और संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करूंगा। मालूम हो कि भारत के नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया 15 जून से शुरू हो गई है। नामांकन की अंतिम तिथि 29 जून है और आवश्यकता होने पर 18 जुलाई को मतदान किया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि तृणमूल नेतृत्व बनर्जी का जिक्र किए बिना जिस तरह से उन्हें बैठक में आमंत्रित किया गया, उससे नाराज है। मालूम हो कि सीएम ममता ने ही नई दिल्ली में कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब में इस मामले पर पहली बैठक बुलाई थी। पिछले हफ्ते विपक्षी दलों ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के नाम का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, पवार ने इसे अस्वीकार कर दिया। इसके बाद विपक्ष ने राष्ट्रपति पद के लिए कोई दूसरा उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला कियाफारूक अब्दुल्ला ने भी राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से किया इनकारशनिवार को नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भी उम्मीदवार बनने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। अब्दुल्ला ने अपना नाम प्रस्तावित करने के लिए ममता बनर्जी को धन्यवाद दिया, लेकिन कहा कि जम्मू-कश्मीर एक अहम मोड़ पर है और वहां उनकी सर्विस की जरूरत है। उन्होंने कहा, "मैं ममता बनर्जी साहिबा की ओर से भारत के राष्ट्रपति पद के लिए संभावित संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में अपना नाम प्रस्तावित करने के लिए सम्मानित महसूस कर रहा हूं। ममता दीदी की ओर से मेरे नाम का प्रस्ताव करने के बाद, मुझे विपक्षी नेताओं से समर्थन की पेशकश करने वाले कई फोन आए हैं।"नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया 15 जून से शुरूजम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि सक्रिय राजनीति में अभी उन्हें बहुत कुछ करना है और वह जम्मू-कश्मीर व देश की सेवा में अभी बहुत कुछ करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं विचारार्थ अपने नाम को पूरे सम्मान के साथ वापस लेना चाहता हूं और संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करूंगा। मालूम हो कि भारत के नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया 15 जून से शुरू हो गई है। नामांकन की अंतिम तिथि 29 जून है और आवश्यकता होने पर 18 जुलाई को मतदान किया जाएगा।