Vikrant Shekhawat : Jan 06, 2021, 09:33 AM
Farmers Protest: किसान आंदोलन का 42वां दिन है, आठ दौर की चर्चा के बाद भी सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बना हुआ है। सरकार जहां किसानों को तीन कृषि कानूनों के फायदे गिना रही है तो वहीं किसान संगठन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। इस बीच आंदोलन को लेकर विपक्ष का सरकार पर हमला जारी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी से लेकर शिवसेना तक सरकार पर निशाना साध रहे हैं।कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी किसान आंदोलन और ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉन का दौरा रद्द होने को जोड़ते हुए सरकार पर तंज कसा है। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ''अब ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन जी नहीं आ रहे हैं तो मोदी जी किसान के प्रतिनिधियों को गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि क्यों नहीं बना देते?''आम आदमी पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। संजय सिंह ने कहा, ''आज पूरे देश का किसान आंदोलित है, करोड़ों किसान सड़क पर बैठे है, भाजपा सरकार को अडानी-अम्बानी की गुलामी छोड़कर किसानों की बात माननी चाहिए, तीनो काले कानूनों को वापस लेना चाहिए।''शिवसेना ने सामना में मोदी सरकार को अहंकारी बताया है। सामना में लिखा, ''आठ दौर की वार्ता हो जाने के बावजूद भी कोई नतीजा नहीं निकला, किसानों के इस आंदोलन को जारी रखना है और यही सरकार की राजनीति है। सरकार किसानों से चर्चा करने का नाटक कर रही है। किसान जिद से तमतमाए हुए हैं और भाजपा की मोदी सरकार अहंकार में जल रही है।''किसानों और सरकार के बीच नहीं बनी बात, तेज होगा आंदोलनभीषण सर्दी, बारिश और जलभराव की स्थिति में भी किसान विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की अपनी मांग को लेकर दिल्ली से लगी सीमाओं पर डटे हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच सोमवार को हुई वसातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही थी। वहीं किसान संगठनों ने मंगलवार को आगे के आंदोलन के बारे में जानकारी दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों ने ऐलान किया कि दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर मौजूद किसान 7 जनवरी को दिल्ली के एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर तक ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। ये मार्च दरअसल 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर झांकी का रिहर्सल होगी।