- भारत,
- 29-Apr-2025 03:40 PM IST
Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में भारी तनाव बना हुआ है। इस हमले ने पूरे भारत को झकझोर दिया है, और देश के हर कोने से "पहलगाम के इंतकाम" की आवाज़ बुलंद हो रही है। वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान इस संभावित बदले से घबराया हुआ है। हालात बिगड़ते देख भारत ने त्वरित एक्शन लेते हुए डिप्लोमैटिक स्ट्राइक के तहत सिंधु जल समझौता निलंबित कर दिया। इस कदम से बौखलाए पाकिस्तानी नेता लगातार युद्ध की गीदड़भभकियां दे रहे हैं। हाल ही में बिलावल भुट्टो ने तो "खून बहाने" तक की बात कह दी। हालांकि, पाकिस्तान की यह पुरानी आदत रही है – बड़ी-बड़ी धमकियां, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहती है।
अब सवाल यह उठता है कि अगर भारत ने पाकिस्तान पर कोई बड़ा एक्शन लिया, तो क्या पाकिस्तान पलटवार कर पाएगा? जवाब एक शब्द में दिया जाए तो – नहीं। आखिर क्यों पाकिस्तान इस स्थिति में नहीं है? आइए इसे समझते हैं चार अहम बिंदुओं के माध्यम से, जो पाकिस्तान की बेहाली और बेबसी को बयां करते हैं।
1️⃣ पाकिस्तान को किसका समर्थन?
पाकिस्तान तभी पलटवार की सोच सकता है जब कोई सुपरपावर उसका साथ दे। मौजूदा हालात में लगभग सभी बड़े देशों का स्टैंड साफ है। जिस चीन की गोद में बैठकर पाकिस्तान भारत को आंखें दिखाता था, अब वही चीन युद्ध के खिलाफ साफ संदेश दे चुका है। चीन ने न सिर्फ युद्ध के खिलाफ अपना रुख स्पष्ट किया है, बल्कि हाल ही में भारत की राष्ट्रपति को एक पत्र भेजकर भारत के साथ मजबूत रिश्तों की इच्छा भी जताई है। ऐसे में चीन से किसी भी तरह के बैकअप की उम्मीद करना बेकार है।
अगर बाकी समर्थकों पर नजर डालें तो तुर्की ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने पाकिस्तान को सैन्य सहायता दी है। लेकिन तुर्की कोई सुपरपावर नहीं, और उसकी मदद सिर्फ पाकिस्तानी नेताओं की झूठी शान के लिए काफी है। रूस खुलेआम भारत के साथ खड़ा है, अमेरिका भारत के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं करेगा, और ब्रिटेन भी पाकिस्तान को समर्थन देने के मूड में नहीं है। ऐसे में अगर भारत आतंक के ठिकानों पर एक और स्ट्राइक करता है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को कोई खास समर्थन नहीं मिलेगा।
2️⃣ युद्ध की स्थिति में नहीं पाक सेना
युद्ध का निर्णय लेने से पहले पाकिस्तान को अपनी आर्थिक हालत पर एक नजर डालनी चाहिए। कर्ज के बोझ से दबी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही चरमराई हुई है। महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ रखी है। इन हालातों में पाकिस्तान युद्ध के बारे में सोच भी कैसे सकता है?
पाकिस्तानी सेना की स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। हाल ही में बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनखवा में सेना के खिलाफ जनता का असंतोष खुलकर सामने आया है। सैन्य क्षमताओं की पोल तब खुली जब म्यांमार ने पाकिस्तानी लड़ाकू विमान JF-16 को "कबाड़" बताकर वापस लौटा दिया। चीन से खरीदे गए एयर डिफेंस सिस्टम भी ठप निकले। ऐसे में जब सेना का मनोबल खुद ही टूटा हुआ है, तो किसी युद्ध में जीत की कल्पना करना बेमानी है।
3️⃣ पूर्व पीएम नवाज शरीफ की नसीहत
रविवार रात प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने बड़े भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की, जहां भारत-पाक तनाव पर चर्चा हुई। नवाज ने मौजूदा हालातों पर संयम बरतने की सलाह दी। उनका साफ कहना था कि शांति में ही पाकिस्तान का फायदा है।
नवाज ने न सिर्फ शांत रहने की सलाह दी, बल्कि शहबाज को मंत्रियों और नेताओं को गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी से रोकने को भी कहा ताकि हालात और न बिगड़ें। नवाज का मानना है कि दोनों देशों के परमाणु संपन्न होने के कारण किसी भी टकराव की कीमत पाकिस्तान को भारी पड़ सकती है। नवाज फिलहाल बैकडोर डिप्लोमेसी के जरिए हालात को संभालने की कोशिश में हैं, जिससे यह साफ होता है कि पाकिस्तान सरकार खुद अपनी स्थिति से भलीभांति वाकिफ है और किसी भी तरह के टकराव से बचना चाहती है।
4️⃣ आतंक पर कबूल चुका है सच
पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरी चाल चलता आया है, लेकिन हाल ही में पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ब्रिटिश न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में सच कबूल कर लिया। उन्होंने माना कि पाकिस्तान ने दशकों तक आतंकवाद को समर्थन, प्रशिक्षण और फंडिंग दी है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत के संभावित जवाबी हमले का डर पाकिस्तान को सताता है, क्योंकि कोई भी बड़ा हमला युद्ध में तब्दील हो सकता है।
ख्वाजा आसिफ के इस कबूलनामे ने पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को और नुकसान पहुंचाया है। लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के सवाल पर भले ही सफाई दी गई हो, लेकिन पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर समर्थित TRF द्वारा लेना पाकिस्तान के दावों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यही वजह है कि आज कुछ गिन-चुने देशों को छोड़कर कोई भी देश पाकिस्तान के साथ खड़ा होने को तैयार नहीं है।