Vikrant Shekhawat : Jun 04, 2021, 05:08 PM
न्यूयॉर्क: हर बच्चे के लिए मां का दूध (Mother's milk) बहुत जरूरी होता है। बल्कि विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे की अच्छी शारीरिक और मानसिक ग्रोथ के लिए कम से कम 4 से 6 महीने तक केवल मां का दूध ही देना चाहिए। हालांकि, कभी-कभी किसी कारणवश बच्चों को मां का दूध उपलब्ध नहीं हो पाता है। ऐसे बच्चों के लिए एक बड़ी खोज हुई है। वैज्ञानिकों ने लैब (Lab) में मां का दूध तैयार कर लिया है।
अमेरिकी स्टार्ट-अप बायोमिल्क (Biomilq) ने यह उपलब्धि हासिल की है। बायोमिल्क ने महिलाओं की ब्रेस्ट की कोशिकाओं से दूध को तैयार करने में कामयाबी पाई है। कंपनी का कहना है कि लैब में तैयार किए गए इस दूध में काफी हद तक वे सभी पौष्टिक तत्व हैं जो आमतौर पर ब्रेस्ट मिल्क में पाए जाते हैं। जैसे कि प्रोटीन, कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट, बायोएक्टिव लिपिड्स आदि।हालांकि दोनों ही दूध में केवल एक अंतर है, वो है एंटीबॉडीज का है। बायोमिल्क की को-फाउंडर और चीफ साइंस ऑफिसर डॉक्टर लीला स्ट्रिकलैंड ने फोर्ब्स के साथ बातचीत में कहा कि एंटीबॉडी ना होने के बावजूद हमारे प्रोडक्ट का न्यूट्रिशिनल और बायोएक्टिव कंपोजिशन किसी भी अन्य प्रोडक्ट के मुकाबले ज्यादा है। साथ ही काफी कुछ ब्रेस्ट मिल्क (Breast milk) जैसा ही है।इनसाइडर डॉट कॉम के मुताबिक पेशे से सेल बायोलॉजिस्ट स्ट्रिकलैंड का बेटा समय से पहले पैदा हो गया था। इस कारण उन्हें अपने बेटे के लिए ही पर्याप्त दूध देने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2013 में उन्होंने लैब में ब्रेस्ट मिल्क तैयार करने की इस दिशा में काम शुरू किया। 2019 में उन्होंने फूड साइंटिस्ट मिशेल एगर के साथ पार्टनरशिप की।
एगर कहती हैं कि हमारा प्रॉडक्ट इम्युन डेवलेपमेंट, आंतों की परिपक्वता, माइक्रोबायोम की आबादी और दिमाग के विकास को जिस तरह से सपोर्ट करता है वैसा कोई अन्य प्रॉडक्ट नहीं कर सकता है। हमारी कोशिश है कि हम इस प्रॉडक्ट को अगले तीन सालों में मार्केट में उपलब्ध कराएं।इतनी बड़ी खोज करने वाली इन महिला वैज्ञानिकों का कहना है कि वे अपने प्रोडक्ट के जरिए ब्रेस्ट फीडिंग को खत्म नहीं करना चाहती हैं। बल्कि उनका मकसद ब्रेस्ट फीडिंग का विकल्प देने का है। वे चाहती हैं कि हर व्यक्ति को अपने परिवार के लिए बेहतर फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए। इसी के तहत हम अपने प्रोडक्ट के जरिए एक विकल्प (Option) दे रहे हैं।
अमेरिकी स्टार्ट-अप बायोमिल्क (Biomilq) ने यह उपलब्धि हासिल की है। बायोमिल्क ने महिलाओं की ब्रेस्ट की कोशिकाओं से दूध को तैयार करने में कामयाबी पाई है। कंपनी का कहना है कि लैब में तैयार किए गए इस दूध में काफी हद तक वे सभी पौष्टिक तत्व हैं जो आमतौर पर ब्रेस्ट मिल्क में पाए जाते हैं। जैसे कि प्रोटीन, कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट, बायोएक्टिव लिपिड्स आदि।हालांकि दोनों ही दूध में केवल एक अंतर है, वो है एंटीबॉडीज का है। बायोमिल्क की को-फाउंडर और चीफ साइंस ऑफिसर डॉक्टर लीला स्ट्रिकलैंड ने फोर्ब्स के साथ बातचीत में कहा कि एंटीबॉडी ना होने के बावजूद हमारे प्रोडक्ट का न्यूट्रिशिनल और बायोएक्टिव कंपोजिशन किसी भी अन्य प्रोडक्ट के मुकाबले ज्यादा है। साथ ही काफी कुछ ब्रेस्ट मिल्क (Breast milk) जैसा ही है।इनसाइडर डॉट कॉम के मुताबिक पेशे से सेल बायोलॉजिस्ट स्ट्रिकलैंड का बेटा समय से पहले पैदा हो गया था। इस कारण उन्हें अपने बेटे के लिए ही पर्याप्त दूध देने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2013 में उन्होंने लैब में ब्रेस्ट मिल्क तैयार करने की इस दिशा में काम शुरू किया। 2019 में उन्होंने फूड साइंटिस्ट मिशेल एगर के साथ पार्टनरशिप की।
एगर कहती हैं कि हमारा प्रॉडक्ट इम्युन डेवलेपमेंट, आंतों की परिपक्वता, माइक्रोबायोम की आबादी और दिमाग के विकास को जिस तरह से सपोर्ट करता है वैसा कोई अन्य प्रॉडक्ट नहीं कर सकता है। हमारी कोशिश है कि हम इस प्रॉडक्ट को अगले तीन सालों में मार्केट में उपलब्ध कराएं।इतनी बड़ी खोज करने वाली इन महिला वैज्ञानिकों का कहना है कि वे अपने प्रोडक्ट के जरिए ब्रेस्ट फीडिंग को खत्म नहीं करना चाहती हैं। बल्कि उनका मकसद ब्रेस्ट फीडिंग का विकल्प देने का है। वे चाहती हैं कि हर व्यक्ति को अपने परिवार के लिए बेहतर फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए। इसी के तहत हम अपने प्रोडक्ट के जरिए एक विकल्प (Option) दे रहे हैं।