दुनिया / हजारों टन तेल के रिसाव के बाद दो हिस्सों में टूटा जहाज, मॉरीशस के कई हिस्से प्रभावित

जापान के एक स्वामित्व वाले जहाज से कई टन तेल का रिसाव हो गया। यह विशाल जहाज 25 जुलाई को मॉरीशस के मूंगा-चट्टान से जा टकराया और इसका ढांचा तेज लहरों के साथ टूटना शुरू हुआ, जिसके बाद जहाज से तेल रिसाव शुरू हुआ। छह अगस्त को करीब 1,000 टन तेल का रिसाव हो गया, जिससे संरक्षित समुद्री पार्क में मैंग्रोव वनों और विलुप्तप्राय प्रजातियों के लिए खतरा पैदा हो गया।

AMAR UJALA : Aug 16, 2020, 08:59 AM
जापान के एक स्वामित्व वाले जहाज से कई टन तेल का रिसाव हो गया। यह विशाल जहाज 25 जुलाई को मॉरीशस के मूंगा-चट्टान से जा टकराया और इसका ढांचा तेज लहरों के साथ टूटना शुरू हुआ, जिसके बाद जहाज से तेल रिसाव शुरू हुआ। छह अगस्त को करीब 1,000 टन तेल का रिसाव हो गया, जिससे संरक्षित समुद्री पार्क में मैंग्रोव वनों और विलुप्तप्राय प्रजातियों के लिए खतरा पैदा हो गया। रविवार के दिन सोशल मीडिया पर आधिकारिक तौर पर इस जहाज को फोटो साझा की गई, जिसमें दिखाया जा रहा है कि एमवी वाकाशियो दो टुकड़ों में बंट गया था।

हालांकि जब ये हुआ तो तेल अवरोधक और एक स्किमर जहाज भी पास ही में थे। पिछले हफ्ते मॉरीशस में पर्यावरणीय आपातकालीन स्थिति का एलान कर दिया था। शनिवार तक जहाज पर 90 टन तेल शेष रहा, जिसमें से ज्यादातर तेल रिसाव किए तेल का बचा हुआ हिस्सा था।

इस बीच, जापान के पर्यावरणीय मंत्री शिनजीरो कोईजूमी ने कहा कि जापान की राजधानी टोक्यो ने मंत्रालय की ओर से एक आधिकारिक जहाज और दूसरे जरूरी विशेषज्ञ भेजने की घोषणा की है ताकि मॉरीशस में हुई हानि का अंदेशा लगाया जा सके। कोईजूमी ने कहा कि ये तेल संकट गभीर है और इससे जैव विविधता को भी नुकसान पहुंच सकता है।

इसके अलावा मॉरीशस की सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है कि उसने अब तक जहाज को रोकने के लिए कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवींद जुशनॉथ ने कहा कि खराब मौसम की वजह से एक्शन लेने में देरी हो गई। इस जहाज के स्वामी नाशाशिकी शिपिंग कंपनी इस बात की जांच कर रही हैं कि जहाज से तेल रिसाव कैसे हुआ।

कंपनी ने भी क्षति का जायजा लेने के लिए जानकारों को मौके पर भेजा है। मॉरीशस सरकार कंपनी से मुआवजे की मांग कर रही है। इधर नागाशिकी ने समुद्री पर्यावरण को हुए नुकसान का मुआवजा देने वाले प्रस्ताव का जवाब देने का वादा किया है। इसके अलावा फ्रांस और जापान ने समुद्र से तेल हटाने के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन में मॉरीशस की मदद करने को कहा है।

जैसे ही जापान ने पर्यावरणीय आपातकाल की घोषणा की, वैसे ही हजारों की संख्या में स्वैच्छिक कर्मचारी वहां पहुंच गए और तेल को हटाने का काम करने लगे। अब तक 800 टन से ज्यादा तेल लिक्विड वेस्ट और 300 टन से ज्यादा सॉलिड वेस्ट गाद बन चुका है और मलबे को समुद्र से हटा दिया गया है।

मॉरीशस में 13 लाख के करीब की आबादी है, इस देश की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग पर सबसे ज्यादा टिकी है। कोरोना वायरस के बाद मॉरीशस का पर्यटन उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। मॉरीशस के लोग इस स्थिति से काफी दुखी हैं, उन्हें इस घटना को देखकर गुस्सा भी आता है कि आखिर उनके देश में ऐसा क्यों हुआ।