जम्मू-कश्मीर / सीताराम येचुरी ने सुप्रीम कोर्ट से बयां की श्रीनगर दौरे की आपबीती, केंद्र को मिला नोटिस

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के महासचिव सीताराम येचुरी एक मात्र विपक्षी नेता हैं, जिन्होंने 5 अगस्त के बाद जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटाए जाने के बाद वहां की यात्रा की है। अदालत ने सीपीएम महासचिव को घाटी की यात्रा करने की अनुमति दी थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसए बोबडे और अब्दुल नजीर की पीठ ने येचुरी के इस आरोप का जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को एक नोटिस भेजा।

Jansatta : Sep 06, 2019, 10:29 AM
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के महासचिव सीताराम येचुरी एक मात्र विपक्षी नेता हैं, जिन्होंने 5 अगस्त के बाद जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटाए जाने के बाद वहां की यात्रा की है। येचुरी ने जम्मू-कश्मीर के अपने दौरे पर एक हलफनामा सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया। अदालत ने सीपीएम महासचिव को घाटी की यात्रा करने की अनुमति दी थी। उनके हलफनामे के आधार पर शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि वह डायबटिक और हृदय से संबंधित अन्य रोगों से पीड़ित अपने साथी यूसुफ तारिगामी को दिल्ली स्थिति एम्स में इलाज के लिए भर्ती कराएं।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसए बोबडे और अब्दुल नजीर की पीठ ने येचुरी के इस आरोप का जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को एक नोटिस भेजा, जिसमें उन्होंने बताया कि तारिगामी को अवैध तरीके से हिरासत में रखने से उनकी तबीयत और खराब हुई और उनके परिवार को भी गैर-कानूनी ढंग से नंजरबंद कर दिया गया। लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हलफनामा कुछ ऐसी बातों का जिक्र करता है जिसमें यह लगता है कि उन्हें (येचुरी)अपनी यात्रा पर कहीं जाने की अनुमति नहीं थी। हमने हलफनामे की जांच की है और हम उनसे (केंद्र की) प्रतिक्रिया मांगेंगे।”

सीताराम येचुरी ने अपने हलफनामे में श्रीनगर दौरे की पूरी आप बीती बताई है। हलफनामे के मुताबिक, “दिनांक 29-08-2019 को निजी सहायक के साथ साक्षी (सीताराम येचुरी) बताए गई उड़ान (इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट 6 बी 2136) से यात्रा की और श्रीनगर हवाई अड्डे पर पहुंचे। उनके विमान से बाहर नहीं निकलते ही एरोब्रिज के भीतर ही दो पुलिस अधिकारी उसके पास पहुंचे और उन्हें हवाई अड्डे के आगमन क्षेत्र के एक कमरे में ले गए, जहां पहचाने गए अधिकारी मीर इम्तियाज हुसैन (सीनियर एसपी) ने उनसे मुलाकात की। पुलिस अधिकारी इम्तियाज ने संकेत दिया कि वह साक्षी (येचुरी) को उनके साथी तारिगामी से मिलाने ले जाएंगे और इसके बाद उन्हें वह एयरपोर्ट वापस लाएंगे 5 बजे के करीब दिल्ली की फ्लाइट से विदा कर देंगे। साक्षी ने इम्तियाज को बताया कि वह उसी शाम लौटेंगे या नहीं यह तारिगामी की स्वास्थ्य स्थिति के आंकलन पर निर्भर करेगा।”

“साक्षी और उनके निजी सहयाक को एक उच्च सुरक्षा मानकों वाली कार में सवार होने के लिए कहा गया था, जिसके सामने और पीछे दोनों तरफ सुरक्षाकर्मियों की एक टुकड़ी थी। कारों का यह काफिला फिर श्रीनगर शहर में गुप्कर रोड पर तारिगामी के घर के लिए रवाना हुआ।” हलफनामे में आगे जिक्र है, “तारिगामी के घर पर साढ़े 12 बजे पहुंचने के बाद साक्षी (येचुरी) ने उनसे मुलाकात की। इस दौरान वह (तारिगामी) साक्षी (येचुरी) को देखकर बेहद खुश और राहत महसूस कर रहे थे। वह मिस्टर तरिगामी के ड्राइंग रूम में बैठ गए। पहले घंटे के लिए संबंधित अधिकारी, एसएसपी इम्तियाज भी साक्षी और तरिगामी के साथ ड्राइंग रूम में बिन बुलाए बैठे थे, हालांकि उन्हें वहां उपस्थित होने की कोई आवश्यकता नहीं थी।” इसके बाद जब येचुरी ने तारिगामी से उनके स्वास्थ्य के अलावा उन्हें नजरबंद किए जाने के घटनाक्रम और घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर बातचीत शुरू करनी चाही तो उन्होंने येचुरी को वहां मौजूद पुलिस अधिकारी की ओर इशारा किया।

हलफनामें में आगे बताया गया है, “इसके बाद (जब येचुरी ने पूछताछ की) तारिगामी ने अधिकारी की मौजूदगी की तरफ इशारा किया। हालांकि, उन्हें हिरासत का कोई आदेश नहीं दिया गया था। उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पिछले 25 दिनों से अधिकारियों द्वारा घर के भीतर बाहरी लोगों के प्रवेश और तारिगामी तथा उनके परिजनों के घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई है। वह और उनका परिवार वास्तव में ‘हाउस अरेस्ट’ था।” इसके सीताराम येचुरी को तारिगामी ने अपने स्वास्थ्य जुड़ी परेशानियों और अस्पतालों के बारे में विस्तार से बातया। हलफनामें में आगे कहा गया है, “साक्षी ने यह मान लिया कि वह तरिगामी के घर पर रात भर रह सकते हैं। हालांकि, संबंधित अधिकारी इम्तियाज ने संकेत दिया कि तारिगामी के घर में कोई भी प्रवेश या निकास नहीं कर सकता है, लिहाजा साक्षी अपने मित्र के घर में रात भर नहीं रह सकते हैं।”

तारिगामी ने आगे संकेत देते हुए अपने साथ हो रहे कुछ मुद्दों की तरफ ध्यान भी खींचा है, जिसका जिक्र उनका हवाला देते हुए हलफनामे में दिया गया है। जिसके मुताबिक,

वह और उनके बच्चे तथा पोते-पोतियों को भी नजरबंद (de facto house arrest) करके रखा गया है।

न किसी को घर से बाहर जाने की इजाजत है और न ही किसी बाहरी को घर के भीतर आने की अनुमति है।

घर के संबंध तमाम जरूरतों की आपूर्ति सुरक्षा अधिकारियों के द्वारा की जाती है।

उनके पास श्रीनगर, कश्मीर या भारत के बाकी हिस्सों में अपने परिवार या दोस्तों के साथ बातचीत करने का कोई साधन नहीं है, क्योंकि न तो मोबाइल नेटवर्क और न ही लैंडलाइन नेटवर्क काम कर रहे हैं। यहां तक कि उनके घर में दोनों लैंडलाइन बंद हैं। इससे आपातकालीन चिकित्सा सहायता लेना भी मुश्किल हो जाता है। वह अपने नियमित चिकित्सक से संपर्क करने में भी असमर्थ रहे हैं।

अपने ही घर में नजरबंद और लॉकडाउन के मद्देनजर परिवार के पास पैसे और नकदी की भी कमी है।