AMAR UJALA : Oct 23, 2019, 10:42 AM
नई दिल्ली | कांगेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी बुधवार को कर्नाटक कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री डीके शिवकुमार से मिलने के लिए तिहाड़ जेल पहुंचीं। सोनिया सुबह करीब नौ बजे तिहाड़ पहुंचीं। दोनों नेताओं के बीच लगभग आधे घंटे मुलाकात हुई। एक सूत्र ने बताया कि सोनिया कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेस नेता शिवकुमार की खैरियत जानने के साथ-साथ उनके प्रति एकजुटता जताने के लिए गई थीं। बता दें कि शिवकुमार मनी लांड्रिंग मामले में इस समय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं।
गौरतलब है कि मनी लांड्रिंग मामले के आरोप में गिरफ्तार शिवकुमार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कुछ हफ्ते पहले गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। सोनिया ने आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से भी तिहाड़ पहुंचकर मुलाकात की थी।शिवकुमार की जमानत याचिका पर आज हो सकता है फैसलावहीं डी के शिवकुमार की जमानत याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुना सकता है। न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने उनकी जमानत याचिका पर 17 अक्तूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिखा था। याचिका में दावा किया गया है कि यह मामला राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम था और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं।ईडी ने उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और अगर उन्हें रिहा किया गया तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
गौरतलब है कि मनी लांड्रिंग मामले के आरोप में गिरफ्तार शिवकुमार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कुछ हफ्ते पहले गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। सोनिया ने आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से भी तिहाड़ पहुंचकर मुलाकात की थी।शिवकुमार की जमानत याचिका पर आज हो सकता है फैसलावहीं डी के शिवकुमार की जमानत याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुना सकता है। न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने उनकी जमानत याचिका पर 17 अक्तूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिखा था। याचिका में दावा किया गया है कि यह मामला राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम था और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं।ईडी ने उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और अगर उन्हें रिहा किया गया तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।