मनोरंजन / KBC 11 में पहुंचीं सुनीता कृष्णन ने सुनाई आपबीती- 15 साल की थी, तब 8 लोगों ने रेप किया था

समाज सेविका सुनीता कृष्णन इस सप्ताह 'केबीसी 11' के स्पेशल एपिसोड कर्मवीर की मेहमान बनेंगी। इस एपिसोड का प्रोमो सामने आ चुका है, उन्होंने बताया कि जब वे सिर्फ 15 साल की थीं, तब 8 लोगों ने उनका रेप किया था। यह सुनकर अमिताभ हैरान रह गए। गौरतलब है कि सुनीता एनजीओ प्रज्जवला की मुख्य अधिकारी और सह-संस्थापक हैं। यह एनजीओ यौन तस्करी की शिकार महिलाओं-लड़कियों के बचाव और उनके पुनर्वास के लिए काम करता है।

Dainik Bhaskar : Oct 17, 2019, 01:52 PM
KBC 11 |   समाज सेविका सुनीता कृष्णन इस सप्ताह 'केबीसी 11' के स्पेशल एपिसोड कर्मवीर की मेहमान बनेंगी। इस एपिसोड का प्रोमो सामने आ चुका है, जिसमें सुनीता बिग बी को आपबीती सुनाती दिख रही हैं। उन्होंने बताया कि जब वे सिर्फ 15 साल की थीं, तब 8 लोगों ने उनका रेप किया था। यह सुनकर अमिताभ हैरान रह गए। गौरतलब है कि सुनीता एनजीओ प्रज्जवला की मुख्य अधिकारी और सह-संस्थापक हैं। यह एनजीओ यौन तस्करी की शिकार महिलाओं-लड़कियों के बचाव और उनके पुनर्वास के लिए काम करता है।

17 बार हुए जानलेवा हमले

'केबीसी' के प्रोमो में सुनीता ने बताया कि उनके काम के चलते अब तक उन पर 17 बार जानलेवा हमले हो चुके हैं। हालांकि, वे मरने से नहीं डरतीं। वे कहती हैं, "जब तक मेरी सांस है, तब तक दूसरी लड़कियां, जो इस तरह से पीड़ित वेश्यालयों में हैं, उनके लिए मैं अपनी जिंदगी को कमिट करूंगी।"

22 हजार से ज्यादा को कर चुकीं आजाद

प्रोमो में बिग बी ने सुनीता के बारे में बताते हुए कहा, "22 हजार से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों को यौन तस्करी से आजाद किया है। कभी हार न मानने वाली कर्मवीर सुनीता कृष्णनजी नमन करते हैं आपको।" 

बचपन से ही समाज सेवा का शौक

बंगलुरु में जन्मी सुनीता को बचपन से ही समाज सेवा का शौक है। जब वे 8 साल की थीं, तब उन्होंने मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को डांस सिखाना शुरू कर दिया था। 12 साल की उम्र में वे वंचित बच्चों के लिए झुग्गियों में स्कूल चलाती थीं। 

15 की उम्र में जब वे दलित कम्युनिटी के लिए नव साक्षरता अभियान चला रही थीं, तब 8 लोगों ने उनका बलात्कार किया था। उन्हें उनके पुरुष प्रधान समाज में एक महिला  की दखलंदाजी पसंद नहीं थी। 

सुनीता को बुरी तरह पीटा भी गया था। इससे उनका एक कान भी आंशिक रूप से डैमेज हो गया और उन्हें कम सुनाई देने लगा। हालांकि, सुनीता ने हार नहीं मानीं और अपने समाज सेवा के काम को आज भी जारी रखा है। 2016 में उन्हें देश का चौथा सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री दिया जा चुका है।