Share Market Crash / बाजार को मंदी का लगा 'पंच', दो दिन में निवेशकों के डूबे 6.40 लाख करोड़

शेयर बाजार में भारी गिरावट जारी है, जिससे निवेशकों को 6.40 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अमेरिकी टैरिफ, मुनाफावसूली, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, हैविवेट शेयरों में गिरावट और डॉलर इंडेक्स में उछाल प्रमुख कारण हैं। सेंसेक्स 800 अंक लुढ़का, जबकि निफ्टी में 205 अंकों की गिरावट दर्ज हुई।

Share Market Crash: भारतीय शेयर बाजार को एक बार फिर से भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है। 25 मार्च से शुरू हुई इस गिरावट ने निवेशकों के 6.40 लाख करोड़ रुपये डुबो दिए हैं। मंगलवार को मामूली बढ़त के बावजूद निवेशकों को 3.34 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि बुधवार को सेंसेक्स और निफ्टी में 1% की गिरावट दर्ज की गई, जिससे कारोबार के दौरान 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है।

गिरावट के पीछे पांच बड़े कारण

  1. अमेरिकी टैरिफ की अनिश्चितता - अमेरिकी व्यापार नीतियों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ी है।

  2. मुनाफावसूली के कारण बिकवाली - हाल ही में 5.7% की बढ़त के बाद निवेशकों ने मुनाफा बुक करना शुरू कर दिया, जिससे बाजार दबाव में आ गया।

  3. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल - वैश्विक आपूर्ति चिंताओं के चलते कच्चे तेल की कीमतें तीन हफ्ते की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, जिससे भारतीय बाजार प्रभावित हो रहा है।

  4. हैवीवेट शेयरों में गिरावट - एचडीएफसी बैंक, इंफोसिस, रिलायंस इंडस्ट्रीज, बजाज फाइनेंस जैसी कंपनियों के शेयरों में गिरावट से सेंसेक्स पर नकारात्मक असर पड़ा।

  5. डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड में इजाफा - डॉलर इंडेक्स और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे हैं।

सेंसेक्स और निफ्टी की स्थिति

बुधवार को सेंसेक्स 800 अंकों की गिरावट के साथ 77,237.24 के स्तर पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 205 अंकों की गिरावट के साथ 23,463.65 पर पहुंच गया। इससे पहले, लगातार 7 कारोबारी दिनों में निफ्टी में 5.7% की बढ़त देखी गई थी।

निवेशकों के लिए आगे की राह

बाजार के जानकारों के अनुसार, मौजूदा परिस्थितियों में सतर्कता बरतना आवश्यक है। निवेशकों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और गुणवत्ता वाली कंपनियों में निवेश बनाए रखना चाहिए। वैश्विक कारकों पर नजर रखना भी जरूरी है, क्योंकि आने वाले दिनों में अमेरिकी व्यापार नीति, कच्चे तेल की कीमतें और डॉलर इंडेक्स बाजार की दिशा तय करेंगे।