दुनिया / 3 माह पहले बोत्सवाना में इस बैक्टीरिया के जहर से हुई थी 350 हाथियों की रहस्यमयी मौत

3 महीने पहले दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना में 350 से ज्यादा हाथियों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई थी। इन हाथियों की मौत का कारण अब पता चला है। 2 जुलाई के आसपास बोत्सवाना के जंगलों में सैकड़ों हाथियों की लाशें देखने को मिली थीं। ये हाथी जलस्रोतों के करीब मरे मिले थे। उसके बाद बोत्सवाना की सरकार ये पता करने की कोशिश कर रही थी

AajTak : Sep 22, 2020, 09:22 AM
Delhi: 3 महीने पहले दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना में 350 से ज्यादा हाथियों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई थी। इन हाथियों की मौत का कारण अब पता चला है। 2 जुलाई के आसपास बोत्सवाना के जंगलों में सैकड़ों हाथियों की लाशें देखने को मिली थीं। ये हाथी जलस्रोतों के करीब मरे मिले थे। उसके बाद बोत्सवाना की सरकार ये पता करने की कोशिश कर रही थी कि इन हाथियों को जहर दिया गया है या इनकी मौत किसी अनजान बीमारी से हुई है। तीन महीने के बाद आखिरकार इन प्यारे जीवों की असामयिक मौत का कारण पता चल गया है।

डिपार्टमेंट ऑफ वाइल्डलाइफ एंड नेशनल पार्क के डिप्टी डायरेक्टर सिरिल ताओलो ने कहा है कि उत्तरी बोत्सवाना और उसके ओकावैंगो डेल्टा में 350 से ज्यादा हाथियों के सड़े-गले शव बिखरे थे। हाथी की पहली रहस्यमयी मौत मई महीने में हुई थी। उसके बाद कुछ दिनों के अंदर ओकवैंगो डेल्टा में 169 हाथी मर गए। जून के मध्य तक हाथियों के मरने की संख्या लगभग दोगुनी हो गई। इनमें से 70 फीसदी हाथियों की मौत जलस्रोतों के आसपास हुई थी। 

सिरिल ने बताया कि जांच में पता चला है कि पानी में साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) थे। जिनकी वजह से पैदा हुए जहर से हाथियों की मौत हुई है। हालांकि, अभी इस बात की जांच चल रही है कि आखिरकार ये किस तरह का जहर था जिसने सीधे हाथियों के दिमाग पर असर किया था। क्योंकि यह तो स्पष्ट है कि यह एक न्यूरोटॉक्सिन था। आमतौर पर साइनोबैक्टीरिया जहर नहीं छोड़ते न ही इतने हानिकारक होते हैं। 

जुलाई में नेशनल पार्क रेसक्यू के निदेशक डॉ। निएल मेक्केन ने बताया कि ऐसा कई सालों के बाद देखने को मिला है कि इतनी ज्यादा संख्या में हाथियों की मौत हुई है। आमतौर पर सूखा पड़ने पर हाथियों की ऐसी मौत होती है लेकिन इस समय इतने मौतों का कारण समझ में नहीं आ रहा है। उस समय, देश और दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने बोत्सवाना की सरकार से अपील की है कि हाथियों के शवों की जांच कराई जाए ताकि पता चल सके कि कहीं कोई नई बीमारी तो नहीं फैली है। 

वैज्ञानिकों को इस बात का डर था कि कहीं हाथियों की मौत के बाद कोई बीमारी इंसानों न फैलने लगे। स्थानीय लोगों ने बताया था कि उन लोगों ने हाथियों को गोल घेरे में घूमते देखा था। हाथी ऐसा तब करते हैं जब वे देख नहीं पाते। उनकी दृष्टि तब बाधित होती है जब वो बीमार हों या फिर उन्हें किसी ने जहर दे दिया हो। इन दोनों वजहों से उनका नर्वस सिस्टम कमजोर पड़ने लगता है। 

डॉ। मेक्केन ने उस समय कहा था कि अगर आप हाथियों के शवों के गिरने की स्थिति को देखेंगे तो पता चलेगा कि कुछ हाथियों की मौत बेहद जल्दी हुई है। क्योंकि वो सीधे खड़े-खड़े मुंह के बल गिरे पड़े हैं। जबकि, कुछ हाथियों की मौत धीरे-धीरे हुई है। इसलिए ये बता पाना मुश्किल है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ है? 

दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना में हाथियों की आबादी 80 हजार से 1।30 लाख के बीच है। हालांकि शिकार के कारण हाथियों की संख्या में कमी भी आई है। लेकिन अगर कोई बीमारी हाथियों की इस तरह से जान ले रही है तो ये बेहद खतरनाक स्थिति है। सिरिल ताओलो ने कहा है कि बोत्सवाना की यह एक घटना हैरान करती है लेकिन इसके जंगल असुरक्षित नहीं हैं।