Ram Mandir / पीढ़ियों से एक ही परिवार सिल रहा रामलला के कपड़े, भूमिपूजन के दिन ऐसी होगी पोशाक

पांच अगस्त को अयोध्या उन लम्हों की साक्षी बनेगी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी और भूमिपूजन होगा। इस कार्यक्रम को लेकर अयोध्या में तैयारियां काफी तेज चल रही हैं। आइए जानते हैं कि 5 अगस्त के दिन रामलला को किस तरह की पोशाक पहनाई जाएगी और कौन दर्जी रामलला की पोशाक सिलेगा।

AajTak : Jul 30, 2020, 12:33 PM
Ram Mandir : पांच अगस्त को अयोध्या उन लम्हों की साक्षी बनेगी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी और भूमिपूजन होगा। इस कार्यक्रम को लेकर अयोध्या में तैयारियां काफी तेज चल रही हैं। आइए जानते हैं कि 5 अगस्त के दिन रामलला को किस तरह की पोशाक पहनाई जाएगी और कौन दर्जी रामलला की पोशाक सिलेगा।

दरअसल, एक परिवार रामलला के लिए पीढ़ियों से वस्त्र सिलते आ रहे हैं। बाबूलाल टेलर्स के नाम से मशहूर भगवत प्रसाद अपने परिवार के साथ रामलला के वस्त्र सिलते हैं और इस ऐतिहासिक घड़ी में रामलला को रत्न जड़ित और हरे रंग की पोशाक पहनाई जाएगी। यह पोशाक अयोध्या के ही एक संत कलकीराम रामलला के लिए सिलवा रहे हैं। भूमि पूजन के दिन रामलला इसी वस्त्र को धारण करेंगे।

अयोध्या के मंदिरों में भगवान की पोशाक दिन के हिसाब से निर्धारित होती हैं इसी परंपरा का पालन अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर में भी किया जाएगा। रामलला के दर्जी भगवत प्रसाद का कहना है कि रामलला के 7 दिन के 7 वस्त्र होते हैं। रविवार को गुलाबी सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, बृहस्पतिवार को पीला, शुक्रवार को क्रीम कलर और शनिवार को नीला पोशाक रामलला के बनते हैं।

5 अगस्त को बुधवार है। इस दिन रामलला हरा वस्त्र धारण करेंगे। इसमें भगवा रंग का गोटा लगा है, पीला गोटा लगा है लाल गोटा लगा है। पीली छड़ी लगी है। इसके अलावा इसमें रत्न जड़े जाएंगे। नवरत्न की माला भी पहनाई जाएगी।

रामलला के लिए पोशाक सिलवा रहे अयोध्या के संत कलकी राम का कहना है कि हमारे सनातन धर्म में वस्त्र और आभूषण दोनों अलग चीज है। वस्त्र अलग होता है आभूषण दूसरा होता है और वर्तमान में कोरोना जैसी महामारी है, दुनिया के सारे देश त्रस्त हैं, भारत भी इससे अछूता नहीं है। ऐसे में जो आवश्यक है वही किया जा रहा है।

रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का कहना है कि कुछ लोगों का विचार यह था कि रंग बदल दिया जाए, बुधवार को हरा न पहना कर भगवा पहनाया जाए लेकिन बाद में यह बात आई कि जो पहले से परंपरा चली आ रही है उस परंपरा को तोड़ा न जाए।

उस दिन बुधवार पड़ रहा है तो हरे रंग का ही वस्त्र रामलला को पहनाया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जहां तक भोग की बात है तो जो भोग लगता है, वही लगेगा। इनमें मेवा, मिष्ठान और पेड़ा इत्यादि शामिल है।