Vikrant Shekhawat : Jun 11, 2021, 09:16 AM
इंग्लैंड: वैज्ञानिकों ने धरती से 9 अरब प्रकाशवर्ष से ज्यादा की दूरी एक अनोखी आकृति खोजी है। आर्क जैसी यह आकृति 3।3 अरब प्रकाशवर्ष में फैली है। इसके बाद अंतरिक्ष को लेकर यह चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर यह दिखता कैसा है। इसकी खोज करने वाली कॉस्मोलॉजिस्ट एलेक्सिया लोपेज कहती हैं कि इस खोज के बाद उन चीजों में खासा बदलाव आ सकता है, जो अब तक हम अंतरिक्ष के बारे में जानते थे।
बदल जाएगी थ्योरी ब्रह्मांड को लेकर एक थ्योरी है कि इसका जितना हिस्सा देखा जा सकता है, बाकी भी वैसा ही होगा। यानी कि एक हिस्से में जो पैटर्न देखा जाता है, पूरा ब्रह्मांड भी वैसे ही पैटर्न से भरा होगा। अलेक्सिया कहती हैं, 'आमतौर पर किसी आकृति की सीमा ज्यादा से ज्यादा 1।2 अरब प्रकाशवर्ष तक मानी जाती है लेकिन हमें मिली यह विशालकाय आर्क इससे करीब 3 गुना बड़ी है। ऐसे में इस आर्क के मिलने से इस थ्योरी पर सवाल खड़े हो गए हैं ब्रह्मांड में पैटर्न की सीमा क्या होगी।' वहीं यूनिवर्स के बड़े स्ट्रक्चर्स का अध्ययन करने वाले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट सुबीर सरकार कहते हैं, ' यदि यह आर्क वाकई में है, तो यह बड़ी खोज है।' 40 हजार क्वेजर के प्रकाश का किया अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लंकनशेर के जेरेमाया हॉरक्स इंस्टिट्यूट में PhD स्टूडेंट अलेक्सिया लोपेज और एडवाइजर रॉजर क्लोज ने यूनवर्सिटी ऑफ लुईविल के जेरार्ड विलिजर के साथ मिलकर Sloan Digital Sky Survey की मदद से यह खोज की है। इसके लिए रिसर्चर्स ने 40 हजार क्वेजर के प्रकाश को स्टडी किया। क्वेजर ऐसी दूरस्थ गैलेक्सी होती हैं जो बड़ी मात्रा में ऊर्जा और रोशनी उत्सर्जित करती हैं। अलेक्सिया का कहना है कि क्वेजर एक विशाल लैंप की तरह काम करता है। उन्होंने बताया है कि इन क्वेजर से बने स्पेक्ट्रा को टेलिस्कोप की मदद से स्टडी किया जा सकता है।
बदल जाएगी थ्योरी ब्रह्मांड को लेकर एक थ्योरी है कि इसका जितना हिस्सा देखा जा सकता है, बाकी भी वैसा ही होगा। यानी कि एक हिस्से में जो पैटर्न देखा जाता है, पूरा ब्रह्मांड भी वैसे ही पैटर्न से भरा होगा। अलेक्सिया कहती हैं, 'आमतौर पर किसी आकृति की सीमा ज्यादा से ज्यादा 1।2 अरब प्रकाशवर्ष तक मानी जाती है लेकिन हमें मिली यह विशालकाय आर्क इससे करीब 3 गुना बड़ी है। ऐसे में इस आर्क के मिलने से इस थ्योरी पर सवाल खड़े हो गए हैं ब्रह्मांड में पैटर्न की सीमा क्या होगी।' वहीं यूनिवर्स के बड़े स्ट्रक्चर्स का अध्ययन करने वाले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट सुबीर सरकार कहते हैं, ' यदि यह आर्क वाकई में है, तो यह बड़ी खोज है।' 40 हजार क्वेजर के प्रकाश का किया अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लंकनशेर के जेरेमाया हॉरक्स इंस्टिट्यूट में PhD स्टूडेंट अलेक्सिया लोपेज और एडवाइजर रॉजर क्लोज ने यूनवर्सिटी ऑफ लुईविल के जेरार्ड विलिजर के साथ मिलकर Sloan Digital Sky Survey की मदद से यह खोज की है। इसके लिए रिसर्चर्स ने 40 हजार क्वेजर के प्रकाश को स्टडी किया। क्वेजर ऐसी दूरस्थ गैलेक्सी होती हैं जो बड़ी मात्रा में ऊर्जा और रोशनी उत्सर्जित करती हैं। अलेक्सिया का कहना है कि क्वेजर एक विशाल लैंप की तरह काम करता है। उन्होंने बताया है कि इन क्वेजर से बने स्पेक्ट्रा को टेलिस्कोप की मदद से स्टडी किया जा सकता है।