Zee News : Sep 19, 2020, 03:43 PM
पुलवामा: दक्षिण कश्मीर में पुलवामा आज भी आतंक का गढ़ बना हुआ है और पाकिस्तान लगातार यहां के युवाओं को रेडिक्लाइज कर आतंक की राह पर ले जाने की साजिश रचता रहा है। जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा है, उसके बाद से आतंकियों के खिलाफ जहां ऑपरेशन में तेजी लाई गई है। वहीं दशकों से रुके तमाम डेवलपमेंट के प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा किया जा रहा है। पुलवामा वही इलाका है जहां पर साल 2019 में आतंकियों के एक हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
जम्मू कश्मीर की ग्राउंड रियालिटी क्या है इसे समझने के लिए हमने आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित पुलवामा जाने का फैसला किया। पुलवामा में आने के बाद हमें यहां एक दूसरी ही तस्वीर दिखी जो काफी सुकून देने वाली थी।
केसर की पैदावार बढ़ाने में मददहम आपको बता दें कि पुलवामा के केसर की सप्लाई पूरी दुनिया में होती है। बेहद उम्दा किस्म के इन केसरों की पूरी दुनिया में काफी है। आतंक से प्रभावित पुलवामा में केसर की खेती के लिए पर्याप्त सुविधा न होने की वजह पुलवामा के किसानों को काफी मुश्किलें आ रही थी। लेकिन अब इस कमी को दूर करने के लिए पुलवामा में एक स्पाइस पार्क बनाया गया है जिसकी मदद से किसानों को केसर की पैदावार बढ़ाने में मदद की जा रही है।पुलवामा के डूसू में 22 करोड़ रुपए की लागत से बन कर तैयार स्पाइस पार्क की मदद से किसानों को अब केसर के कलेक्शन से लेकर उसकी पैकेजिंग और बेहतर क्वालिटी बनाये रखने में मदद मिलेगी।केसर की बिक्री के लिए ई-नीलामी पोर्टलकेसर काफी महंगा होता है इसलिए इसे लाल सोना भी कहा जाता है। केसर की खेती भारत में जम्मू के किश्तवाड़ (Kishtwar), श्रीनगर, बडगांव (Budgam) और पंपोर (Pampore) में करीब 3200 हेक्टेयर में होती है। इस कीमती फसल को बेचने के लिए किसानों को इधर-उधर भटकना न पड़े इसके लिए सरकार इस बार किसानों को ई-मार्केटिंग सुविधा देने जा रही है। जम्मू-कश्मीर के कृषि विभाग ने केसर की बिक्री के लिए ई-नीलामी पोर्टल लॉन्च किया है। इसके लिए केसर की खेती करने वाले किसानों का रिकॉर्ड ऑनलाइन किया गया है।नवंबर से किसान मंडियों से सीधा संपर्क कर केसर बेच सकेंगे और कीमत भी ऑनलाइन ले सकेंगे। किसानों को यह फायदा होगा कि वह बिचौलियों के बजाय खुद ही सीधे मंडियों में फसल बेच सकेंगे और उन्हें कमीशन नहीं देना पड़ेगा। इससे किसानों की इनकम में इजाफा होगा।
जीआई टैगिंग शुरू की गईसरकार की तरफ से केसर मिशन के तहत कश्मीरी केसर को बढ़ावा देने के लिए जीआई टैगिंग शुरू की गई है। केसर की बिक्री के दौरान इसकी पैकिंग में जीआई टैगिंग का जिक्र होगा। जीआई टैगिंग का मतलब कि केसर बिना किसी मिलावट के पूरी तरह से शुद्ध है। जीआई टैगिंग से किसानों को केसर के ज्यादा दाम मिलेंगे।इंडिया इंटरनेशनल कश्मीर केसर ट्रेडिंग सेंटर (IIKSTC) के पैन इंडिया ई-ऑक्शन पोर्टल के माध्यम से जीआई-टैगे कश्मीर केसर (GI-tagged Kashmir Saffron) के व्यापार को बढ़ावा देने की योजना बनाई जा रही है। ईरान में केसर की सबसे ज्यादा पैदावार होती है, ऐसे में ईरान को पछाड़ने की पूरी तैयारी की जा रही है। पुलवामा के केसर को अमेरिका, ब्रिटेन और खाड़ी के देशों में सप्लाई किया जाता है। भारत में पैदा होने वाले ये केसर गुणवत्ता के लिहाज से सबसे बेहतर माना जाता है।
बैट इंडस्ट्री को भी बढ़ावापुलवामा के लोग बंदूक, बम और हिंसा से तंग आ चुके हैं वो आतंक की जगह विकास चाहते हैं। पुलवामा के युवा इस इलाके को बदलने की सरकार की कोशिशों के साथ खड़े हैं। हम पुलवामा के लसीपुरा में डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्री सेंटर यानी डीआईसी भी गए जहां पर इन इलाकों के तेजी से विकास पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। डीआईसी की मदद से फर्नीचर, फार्मा , प्लाईवुड, खाद और क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाले बैट इंडस्ट्री को मजबूत किया जा रहा है। जिससे ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिल सके।पुलवामा में आज भी आतंकी गतिविधियां विकास के लिए एक बड़ी चुनौती है लेकिन जिस तरह से लोग सरकार के साथ कंधे से कंधे मिलाकर इस इलाके की तस्वीर बदलने की कोशिश में लगे हैं वो दिन दूर नहीं है जब पुलवामा की गिनती देश के सबसे समृद्ध जिले में हो।
जम्मू कश्मीर की ग्राउंड रियालिटी क्या है इसे समझने के लिए हमने आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित पुलवामा जाने का फैसला किया। पुलवामा में आने के बाद हमें यहां एक दूसरी ही तस्वीर दिखी जो काफी सुकून देने वाली थी।
केसर की पैदावार बढ़ाने में मददहम आपको बता दें कि पुलवामा के केसर की सप्लाई पूरी दुनिया में होती है। बेहद उम्दा किस्म के इन केसरों की पूरी दुनिया में काफी है। आतंक से प्रभावित पुलवामा में केसर की खेती के लिए पर्याप्त सुविधा न होने की वजह पुलवामा के किसानों को काफी मुश्किलें आ रही थी। लेकिन अब इस कमी को दूर करने के लिए पुलवामा में एक स्पाइस पार्क बनाया गया है जिसकी मदद से किसानों को केसर की पैदावार बढ़ाने में मदद की जा रही है।पुलवामा के डूसू में 22 करोड़ रुपए की लागत से बन कर तैयार स्पाइस पार्क की मदद से किसानों को अब केसर के कलेक्शन से लेकर उसकी पैकेजिंग और बेहतर क्वालिटी बनाये रखने में मदद मिलेगी।केसर की बिक्री के लिए ई-नीलामी पोर्टलकेसर काफी महंगा होता है इसलिए इसे लाल सोना भी कहा जाता है। केसर की खेती भारत में जम्मू के किश्तवाड़ (Kishtwar), श्रीनगर, बडगांव (Budgam) और पंपोर (Pampore) में करीब 3200 हेक्टेयर में होती है। इस कीमती फसल को बेचने के लिए किसानों को इधर-उधर भटकना न पड़े इसके लिए सरकार इस बार किसानों को ई-मार्केटिंग सुविधा देने जा रही है। जम्मू-कश्मीर के कृषि विभाग ने केसर की बिक्री के लिए ई-नीलामी पोर्टल लॉन्च किया है। इसके लिए केसर की खेती करने वाले किसानों का रिकॉर्ड ऑनलाइन किया गया है।नवंबर से किसान मंडियों से सीधा संपर्क कर केसर बेच सकेंगे और कीमत भी ऑनलाइन ले सकेंगे। किसानों को यह फायदा होगा कि वह बिचौलियों के बजाय खुद ही सीधे मंडियों में फसल बेच सकेंगे और उन्हें कमीशन नहीं देना पड़ेगा। इससे किसानों की इनकम में इजाफा होगा।
जीआई टैगिंग शुरू की गईसरकार की तरफ से केसर मिशन के तहत कश्मीरी केसर को बढ़ावा देने के लिए जीआई टैगिंग शुरू की गई है। केसर की बिक्री के दौरान इसकी पैकिंग में जीआई टैगिंग का जिक्र होगा। जीआई टैगिंग का मतलब कि केसर बिना किसी मिलावट के पूरी तरह से शुद्ध है। जीआई टैगिंग से किसानों को केसर के ज्यादा दाम मिलेंगे।इंडिया इंटरनेशनल कश्मीर केसर ट्रेडिंग सेंटर (IIKSTC) के पैन इंडिया ई-ऑक्शन पोर्टल के माध्यम से जीआई-टैगे कश्मीर केसर (GI-tagged Kashmir Saffron) के व्यापार को बढ़ावा देने की योजना बनाई जा रही है। ईरान में केसर की सबसे ज्यादा पैदावार होती है, ऐसे में ईरान को पछाड़ने की पूरी तैयारी की जा रही है। पुलवामा के केसर को अमेरिका, ब्रिटेन और खाड़ी के देशों में सप्लाई किया जाता है। भारत में पैदा होने वाले ये केसर गुणवत्ता के लिहाज से सबसे बेहतर माना जाता है।
बैट इंडस्ट्री को भी बढ़ावापुलवामा के लोग बंदूक, बम और हिंसा से तंग आ चुके हैं वो आतंक की जगह विकास चाहते हैं। पुलवामा के युवा इस इलाके को बदलने की सरकार की कोशिशों के साथ खड़े हैं। हम पुलवामा के लसीपुरा में डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्री सेंटर यानी डीआईसी भी गए जहां पर इन इलाकों के तेजी से विकास पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। डीआईसी की मदद से फर्नीचर, फार्मा , प्लाईवुड, खाद और क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाले बैट इंडस्ट्री को मजबूत किया जा रहा है। जिससे ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिल सके।पुलवामा में आज भी आतंकी गतिविधियां विकास के लिए एक बड़ी चुनौती है लेकिन जिस तरह से लोग सरकार के साथ कंधे से कंधे मिलाकर इस इलाके की तस्वीर बदलने की कोशिश में लगे हैं वो दिन दूर नहीं है जब पुलवामा की गिनती देश के सबसे समृद्ध जिले में हो।